नेहरू की भतीजी बोलीं- दोबारा बुलाने पर सम्मेलन में नहीं जाऊंगी, सरकार ने विवाद से पल्ला झाड़ा
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नेहरू की भतीजी बोलीं- दोबारा बुलाने पर सम्मेलन में नहीं जाऊंगी, सरकार ने विवाद से पल्ला झाड़ा

 अखिल भारतीय मराठी साहित्य सभा के 92वें सम्मेलन के लिए नयनतारा सहगल को पहले निमंत्रित किया लेकिन बाद में उनका निमंत्रण रद्द कर दिया.

नयनतारा ने कहा कि यदि फिर से निमंत्रण भेजा जाता है तो भी वह साहित्य सम्मेलन में नहीं जाएंगी. (फाइल फोटो)

मुंबई: देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की भतीजी और लेखिका नयनतारा सहगल को अखिल भारतीय मराठी साहित्य सभा के 92वें सम्मेलन का उद्घाटन करने के लिए दिये गये निमंत्रण को रद्द करने पर विपक्षी नेताओं और लेखकों द्वारा की जा रही आलोचना के बीच (महाराष्ट्र के) मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने सोमवार को इस विवाद से दूरी बना ली.

मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के स्पष्टीकरण के शीघ्र बाद सहगल (91) ने कहा कि उन्हें यदि फिर से निमंत्रण भेजा जाता है तो भी वह साहित्य सम्मेलन में नहीं जाएंगी. उन्होंने सोमवार रात को कहा, ‘‘मैं महाराष्ट्र में साहित्य सम्मेलन में जाने पर दोबारा विचार नहीं कर रही हूं.’’

सीएमओ का स्पष्टीकरण
एक बयान में मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा कि यह निर्णय आयोजक लेते हैं कि किसे निमंत्रित किया जाए और उसमें राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं होती है. मुख्यमंत्री कार्यालय का बयान उस वक्त आया है जब आयोजकों ने यवतमाल में इसी हफ्ते आयोजित इस सम्मेलन के लिए 91 वर्षीय सहगल को पहले निमंत्रित किया लेकिन बाद में कानून व्यवस्था का हवाला देकर निमंत्रण रद्द कर दिया.

जबरन नाम घसीट रहे
मुख्यमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया है कि मीडिया का एक वर्ग इस विवाद में राज्य सरकार का नाम घसीट रहा है. (सम्मेलन का आयोजक) अखिल भारतीय साहित्य महामंडल एक स्वायत्त निकाय है और न तो मुख्यमंत्री और न ही राज्य सरकार उसके कामकाज में दखल देती है.

कांग्रेस का आरोप
मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष संजय निरुपम समेत विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्तारुढ़ भाजपा के इशारे पर यह निमंत्रण रद्द किया गया है.

डर से यह निमंत्रण रद्द
शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने कहा कि इस डर से यह निमंत्रण रद्द किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह पसंद नहीं करेंगे कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की भतीजी सहगल इसमें हिस्सा लें.

पुरस्कार वापसी अभियान में शामिल
महशूर अंग्रेजी लेखिका को 11 जनवरी को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस की उपस्थिति में इस सम्मेलन का उद्घाटन करना था. इससे पहले वह (केंद्र की राजग सरकार के खिलाफ) पुरस्कार वापसी अभियान में आगे थीं.

असहिष्णु चेहरा बेनकाब
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने कहा कि सहगल को दिये गये निमंत्रण को रद्द करने से देवेंद्र फड़णवीस की अगुवाई वाली भाजपा सरकार का असहिष्णु चेहरा बेनकाब हो गया है. उन्होंने फड़णवीस से कहा कि यदि आयोजकों ने ‘उनके दबाव में’ सहगल का निमंत्रण खारिज नहीं किया है तो उन्हें फिर से निमंत्रण भेजा जाए.

सरकार के मंत्री का ये बयान
महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री विनोद तावड़े ने कहा कि राज्य सभी का स्वागत करता है. मशहूर मराठी लेखिका अरुणा ढेरे ने सहगल का निमंत्रण रद्द करने पर आयोजकों की निंदा की. वह सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगी. अरूणा ने कहा, ‘‘यह स्तब्धकारी है कि आप सम्मान के साथ किसी को आमंत्रित करेंगे और फिर वापस ले लेंगे. सहगल को सम्मान के साथ (एक बार फिर) आमंत्रित किया जाना चाहिए.’’

पहले सोचना चाहिए था
इस साहित्य सम्मेलन के निवर्तमान अध्यक्ष लक्ष्मीकांत देशमुख ने कहा कि आयोजकों को सहगल को निमंत्रित करने से पहले सोचना चाहिए था क्योंकि उनकी विचारधारा सुविदित है. सम्मेलन की स्वागत समिति ने कहा कि आयोजकों ने सहगल के निमंत्रण को खारिज करने का फैसला किया क्योंकि उनके नाम पर विवाद पैदा हो गया था.

(इनपुट-भाषा)

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