आज Vinayaka Chaturthi पर चंद्र दर्शन के बाद करें व्रत पारण, लेकिन पहले करें ये काम तभी होगा रिद्धि-सिद्धि का वास
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आज Vinayaka Chaturthi पर चंद्र दर्शन के बाद करें व्रत पारण, लेकिन पहले करें ये काम तभी होगा रिद्धि-सिद्धि का वास

Chaturthi Aarti: विनायक चतुर्थी के दिन बप्पा की श्रद्धा पाने और उनकी कृपा बनाए रखने के लिए भक्त श्रद्धा भाव से व्रत रखते हैं और पूजा पाठ करते हैं. इस दिन चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है. लेकिन चंद्र दर्शन के बाद गणेश जी की आरती करने के बाद ही व्रत पूर्ण माना जाता है. 

 

vinayak chaturthi 2024

Vinayak chaturthi 2024 Upay: ज्योतिष शास्त्र में हर तिथि का खास महत्व बताया गया है. माह के लगभग सभी तिथि किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित होती है. हर माह की चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है. इस दिन विधि विधान के साथ गणेश जी की पूजा करने से सभी दुखों और कष्टों से छुटकारा मिलता है. ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.

मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की श्रद्धा-भाव के साथ पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. साथ ही, व्यक्ति को ज्ञान, सुख-शांति, धन और यश में वृद्धि होती है. बता दें कि इस माह विनायक चतुर्थी का व्रत 10 जून 2024 यानी सोमवार के दिन रखा जा रहा है.  
 
अगर आप गणेश जी की कृपा दृष्टि बनाए रखना चाहते हैं, तो इस दिन कठिन उपवास का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूजा का समापन हमेशा आरती के साथ ही किया जाता है. जानें विनायक चतुर्थी पर चंद्र दर्शन के बाद ही व्रत पारण किया जाता है. लेकिन इससे पहले गणेश जी की आरती करें. 

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गणेश स्तोत्र 

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

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॥श्री गणेश जी की आरती॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥ 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
 

 

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