कलश के मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में भगवान ब्रह्मा का वास होता है. किसी भी घर में कलश को दो जगहों पर रखना अत्यंत ही शुभ परिणाम देने वाला होता है.
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नई दिल्ली: कलश या कुंभ मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. इसके मुख में भगवान विष्णु, कंठ में भगवान शिव और मूल में भगवान ब्रह्मा का वास होता है. मान्यता ये भी है कि कलश में सभी देवी-देवताओं और तीर्थों का वास माना गया है. घर की पूजा में रखा जाने वाल कलश संपन्नता का प्रतीक होता है.
कलश का प्रयोग तमाम तरह के पूजन जैसे- नवरात्रि पूजन, दीपावली पूजन, गृह प्रवेश पूजन, अक्षय तृतीया पूजन आदि में होता है. किसी भी घर में कलश को दो जगहों पर रखना अत्यंत ही शुभ परिणाम देने वाला होता है. इसमें पहला स्थान हमारा पूजा घर और दूसरा मुख्य द्वार है. दोनों ही स्थानों पर रखे जाने वाले कलश में पवित्र नदी का जल डालकर ही रखना चाहिए. यदि आपके पास किसी पवित्र नदी का जल उपलब्ध न हो तो आप ताजा जल लेकर उसमें गंगाजल मिलाकर रखें.
घर के दरवाजे पर रखें कलश
घर के बाहर रखे जाने वाले कलश का मुंह चौड़ा और खुला होना चाहिए. जिसमें ताजे फूल और अशोक के पेड़ की पत्तियां रख सकते हैं. ज्योतिष के अनुसार ये शुक्र और चंद्र ग्रह का प्रतीक है. चूंकि कलश का संबंध संपन्नता से होता है ऐसे में दरवाजे के पास रखा कलश आपके घर में सुख-समृद्धि लेकर आएगा और बाहर से आने वाली नकारात्मक ऊर्जा को रोकने का काम करेगा.
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पुराणों में बताई गई है कलश की महिमा
पौराणिक कथाओं में कलश की पवित्रता और दिव्यता का उल्लेख मिलता है. जैसे समुद्र मंथन में निकला अमृत कलश जो कि देवताओं और असुरों द्वारा मंदराचल पर्वत से मथने से निकला था. ऋग्वेद में सोम पूरित और अथर्ववेद में घी और अमृत पूरित कलश का वर्णन मिलता है. जीवन से मृत्यु तक कलश अनेक रूप में प्रयोग होता है.
पूजा में स्थापित करें मंगल कलश
वास्तु के अनुसार पूजा में प्रयोग किए जाने वाले मंगल कलश की स्थापना हमेशा ईशान कोण में की जाती है. शुद्ध जल आदि डालकर विधि-विधान से रखा गया कलश घर में सुख-शांति और समृद्धि लाता है. जमीन में कलश को रखने से पहले रोली से अष्टदल कमल बनाएं और उस पर रखें. इसके बाद कलश में कुछ आम के पत्ते और सिक्का डालकर उसके मुख पर पानी वाला नारियल रख दें. इसके बाद कलश देवता का रोली, अक्षत, पुष्प से पूजन करें. कलश पर स्वास्तिक का चिंह बनाएं. कलश के गले पर मोली बांधे.
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