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कुंभ 2019: अखाड़ों की तर्ज पर बनेगा शंकराचार्य सेवा मंडल

शंकराचार्य की परंपरा और सनातन का सन्देश विश्व के जन जन तक पहुंचे इसके लिए शंकराचार्य सेवा मंडल (SSM) की महती आवश्यकता है.

फाइल फोटो
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नई दिल्लीः प्रयागराज 21जनवरी माघी पूर्णिमा के उपलक्ष्य में शंकराचार्य ट्रस्ट की एक आवश्यक बैठक ट्रस्ट के शिविर कार्यालय अर्द्धकुंभ मेला प्रयागराज में सम्पन्न हुई जिसमें अखाड़ों के वर्तमान स्वरूप पर चर्चा हुई और यह निर्णय हुआ कि शंकराचार्य की परंपरा और सनातन का सन्देश विश्व के जन जन तक पहुंचे इसके लिए शंकराचार्य सेवा मंडल (SSM) की महती आवश्यकता है.

बैठक को संबोधित करते हुवे शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज ने बताया कि वर्तमान परिदृश्य में शंकराचार्य की परंपरा की जिमेदारी देखने वाले अखाड़े अब केवल भंडारे तक सीमित हो गए हैं और अपनी परंपरा के प्रति उनका समर्पण अब केवल पैसे पर आकर सिमट गया है कोई नियम और संयम नहीं है. आज अखाड़े में साधु या तो पैसे के लिए या पावर के लिए या फिर नशे के लिए सम्लित हो रहा है.

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शंकराचार्य ट्रस्ट के अध्यक्ष शाम्भवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप जी महाराज

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उन्होंने कहा कि इस विकृत को देखते हुवे अब शंकराचार्य ट्रस्ट ने यह निर्णय लिया है कि बैश्विक परिदृश्य पर सनातन धर्म के मूल स्वरूप को जन जन तक पहुंचाने के लिए शास्त्र और युद्ध क्रिया में पारंगत लोगो का समूह वैश्विक स्तर से लेकर गांव स्तर तक बनाया जाएगा ,संगठन का कार्य और सम्मेलन के दौरान निश्चित गणवेश होगा हाथ मे 4 फिट का दंड होगा जो चारो वेदों में दीक्षित और चारो वेदों को समर्पित होगा.

आनंद स्वरूप महाराज ने आगे बताया कि आगे संगठन के विस्तार के क्रम प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रमुख के रूप में श्रीनाथ तिवारी को मनोनीत किया गया . शंकराचार्य सेवा मंडल के पदाधिकारी यवं कार्यकर्ता केवल गृहस्थ होंगे सरकारी कर्मचारी भी सेवा मंडल के कार्यकर्ता बन सकते हैं .

उन्होंने कहा कि सेवा मंडल गांव गांव घर घर जा कर सनातन धर्म के मूल स्वरूप के बारे में लोगो को बताइएगा चतुर्वण व्यवस्ता के बारे में बताएगा , केवल100 वर्ष पुरानी  कुत्सित जाति व्यवस्था के बारे में लोगो को जागरूक करेगा और बताएगा कि जाति अंग्रेजो द्वारा निर्मित फुट डालो और राज करो कि नीति के तहत एक स्थापित व्यवस्था है जो एक गुलामी की निशानी है अब सही समय है इसे उखाड़ कर फेंकना चाहिए और आदर्श चतुर्वण व्यवस्था जो कर्म के आधार पर स्थापित है को समृद्ध करने का कार्य करना चाहिए ,बैठक में ट्रस्ट के समस्त पदाधिकारी उपस्थित थे .

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