Hanuman wrote Ramayan: वाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने रामायण लिखी और समुद्र में फेंक दी, जानें इसका कारण
Advertisement

Hanuman wrote Ramayan: वाल्मीकि से पहले हनुमान जी ने रामायण लिखी और समुद्र में फेंक दी, जानें इसका कारण

क्या आप जानते हैं कि पहली रामायण महर्षि वाल्मीकि ने नहीं बल्कि रामभक्त हनुमान जी ने लिखी थी. लेकिन उन्होंने अपनी रामायण को अपने हाथों से समुद्र में फेंक दिया था. क्या है इसके पीछे का रहस्य यहां जानें.

इन्होंने लिखी थी पहली रामायण

नई दिल्ली: यह तो हम सभी जानते हैं कि सबसे पहली रामायण महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) ने लिखी थी. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि वाल्मीकि रामायण (Valmiki Ramayan) के अलावा दुनियाभर में 24 से ज्यादा भाषाओं में 300 से अधिक रामायण लिखी जा चुकी हैं. भारत के अलावा अन्य 9 देशों की अपनी-अपनी रामायण हैं. भारत में वाल्मीकि रामायण के अलावा गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस (Ramcharit Manas) सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. लेकिन बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि सबसे पहली रामायण वाल्मीकि जी ने नहीं बल्कि राम भक्त हनुमान ने लिखी थी (Lord Hanuman). पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अपनी लिखी रामायण को हनुमान जी ने समुद्र में फेंक दिया था. आखिर इसका क्या कारण है, यहां जानें.

  1. हनुमान जी ने शिलाओं पर अपने नाखूनों से लिखी थी रामायण
  2. हनुमद रामायण को अपने हाथों से समुद्र में फेंक दिया था
  3. इसलिए महर्षि वाल्मीकि की रामायण ही पहली रामायण मानी जाती है

क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा?

राम भक्त हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण को हनुमद रामायण (Hanumad Ramayan) के नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब रावण पर विजय प्राप्त कर भगवान राम (Lord Ram) लंका से वापस लौटे तो वे अयोध्या पर राज करने लगे और हनुमान जी, राम जी से आज्ञा लेकर हिमालय पर तपस्या करने चले गए. उन्होंने भगवान शिव की आराधना करने के दौरान शिलाओं पर भगवान राम को याद करते हुए अपने हाथ के नाखूनों से रामायण लिखी (Wrote Ramayan on stones). 

ये भी पढ़ें- मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए ऐसे सिद्ध करें रामचरित मानस के मंत्र

हनुमद रामायण देखकर निराश हो गए थे वाल्मीकि

ऐसी मान्यता है कि एक दिन हनुमान जी यह शिला उठाकर शिवजी को दिखाने कैलाश पर्वत गए जहां कुछ समय बाद वाल्मीकि जी भी अपनी लिखी रामायण लेकर भगवान शिव (Lord Shiva) को अर्पित करने पहुंचे. वहां पर पहले से हनुमान जी द्वारा लिखी हनुमद रामायण देखकर वाल्मीकि जी निराश हो गए. हनुमान जी ने महर्षि वाल्मीकि से उनकी निराशा का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि हनुमान जी द्वारा लिखी गई रामायण के सामने उनकी रामायण कुछ भी नहीं है और भविष्य में उनकी रामायण की उपेक्षा हो सकती है. 

ये भी पढ़ें- ऐसा अनोखा मंदिर जहां स्त्री रूप में होती है हनुमान जी की पूजा

हनुमान जी ने समुद्र में विसर्जित कर दी अपनी रामायण

यह सुनकर हनुमान जी ने अपने एक कंधे पर हनुमद रामायण लिखी शिला को रखा और दूसरे कंधे पर महर्षि वाल्मीकि को बिठाया और समुद्र के पास पहुंचे. यहां हनुमान जी ने अपनी लिखी रामायण की शिला को समुद्र में अर्पित कर दिया और इस तरह हनुमद रामायण हमेशा-हमेशा के लिए समुद्र में विसर्जित हो गयी. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

धर्म से जुड़े अन्य लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

Trending news