PM मोदी ने राजेश्‍वर स्‍वामी मंदिर में की पूजा, जानें भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास
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PM मोदी ने राजेश्‍वर स्‍वामी मंदिर में की पूजा, जानें भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास

PM Modi Visit to Raja Rajeshwara Swamy Temple: लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं. उन्होंने तेलंगाना में स्थित श्री राजा राजेश्वरी स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की. इसके चलते आज हम आपको भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.

PM मोदी ने राजेश्‍वर स्‍वामी मंदिर में की पूजा, जानें भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास

PM Modi Telangana Visit: देवों के देव महादेव यानी भगवान शिव के देशभर में कई मंदिर मौजूद हैं. हर एक मंदिर का अपने आप में एक इतिहास और महत्व है. इसी कड़ी में भगवान शिव को समर्पित एक बहुत प्राचीन मंदिर तेलंगाना के वेमुलावाड़ा शहर में स्थित हैं. जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दौरे पर हैं. उन्होंने तेलंगाना में स्थित श्री राजा राजेश्वरी स्वामी मंदिर में पूजा अर्चना की. इसके चलते आज हम आपको भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं. आइए जानते हैं.

शिव लिंगम के रूप में भगवान शिव
श्री राज राजेश्वर स्वामी मंदिर तेलंगाना के करीमनगर जिले के वेमुलावाड़ा में स्थित है. मंदिर में मुख्य देवता शिव लिंगम के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं. इसके साथ-साथ श्री राज राजेश्वरी देवी और सिद्दी विनायक की मूर्तियां भी हैं. आपको बता दें इस मंदिर को दक्षिण काशी और हरि हर क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है.

मंदिर का इतिहास
वेमुलावाड़ा श्री राजराजेश्वर मंदिर तेलंगाना में भगवान शिव के सबसे पुराने निवासों में से एक माना जाता है. पुराणों के अनुसार, सूर्य देव यहां मंदिर में प्रार्थना करने से विकलांगता से उबर गए थे और इसलिए इस मंदिर को भास्कर क्षेत्रम भी कहा जाता है. ये भी कहा जाता है कि राजा इंद्र ने भक्तिपूर्वक भगवान श्री राज राजेश्वर की पूजा करके स्वयं को ब्रह्महत्या दोष से शुद्ध किया था. मंदिर का निर्माण परीक्षित के पोते राजा नरेंद्र द्वारा करवाया गया था जहां भगवान शिव और देवी राजा राजेश्वरी देवी प्रकट हुए थे. उन्हें एक मंदिर बनाने और शिव लिंगम स्थापित करने का निर्देश दिया, जो एक पुष्कर्णी के बिस्तर पर स्थित था. 

कोडे मोक्कू की अनूठी रस्म
इस मंदिर में श्रद्धालु कोडे मोक्कू की अनूठी रस्म निभाते हैं. स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि जब भक्त बैल को मंदिर के चारों ओर ले जाते हैं तो भगवान भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं. फिर बैल को मंदिर के चारों ओर ले जाने के बाद, भक्त बैल को मंदिर के अधिकारियों को सौंप देते हैं.

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मंदिर के परिसर में हैं कई सारे मंदिर
हर साल महा शिवरात्रि और रामनवमी के समय यहां भक्तों का तांता लगता है. दर्शन पूजा करने के लिए यहां लोग देश के कोने कोने से आते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि मंदिर परिसर में अनंत पद्मनाभ स्वामी मंदिर, सीता राम मंदिर, अंजनेय मंदिर, काशी विश्वेश्वर मंदिर, दक्षिण मूर्ति मंदिर, सुब्रमण्य मंदिर, बाला त्रिपुरा सुंदरी देवी मंदिर, सोमेश्वर मंदिर, उमा महेश्वर मंदिर, महिषासुर मर्दानी मंदिर, कोटिलिंगलु और काल भैरव स्वामी मंदिर भी मौजूद हैं.

 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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