सातरुंडा माता मंदिर, जहां भक्तों को बाल्य, युवा और वृद्धावस्था में दर्शन देती हैं मां कंवलका जी
Advertisement
trendingNow1513502

सातरुंडा माता मंदिर, जहां भक्तों को बाल्य, युवा और वृद्धावस्था में दर्शन देती हैं मां कंवलका जी

कहा जाता है की पांडवकाल में भीम अज्ञात वास के समय यहां आए थे और अपनी गाय गुम होने पर उसकी  तलाश करने के लिए यह ऊंची पहाड़ी बनाई थी.

पहाड़ी पर स्थित है मां कवलका जी का मंदिर

(चंद्रशेखर सोलंकी)/रतलामः मध्य प्रदेश के रतलाम में स्थित प्राचीन मां सातरुंडा मंदिर पर चैत्र  नवरात्रि में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ता है. सातरुंडा मां का मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है, लेकिन चारों तरफ दूर तक समतल जमीन के बीच यह पहाड़ी कुदरत के अनोखे रूप को दर्शाती है और इस तरह दूर-दूर तक समतल धरातल पर सिर्फ एक पहाड़ी को लेकर चर्चित कहानी को भी सच साबित करती है. कहा जाता है की पांडवकाल में भीम अज्ञात वास के समय यहां आए थे और अपनी गाय गुम होने पर उसकी  तलाश करने के लिए यह ऊंची पहाड़ी बनाई थी. 

Chaitra Navratri 2019: इन चीजों के बिना अधूरी रह जाएगी माता की पूजा, देखिए पूरी लिस्ट

रतलाम जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर दूर नयागांव लेबड़ फोरलेन पर स्थित सातरुंडा चौराहे से मात्र 3 किलोमीटर बिरमावल ग्राम पंचायत में सातरुंडा माताजी पहाड़ी है. सातरुंडा पहाड़ी पर पांडव कालीन ऐतिहासिक मंदिर में मां कंवलका विराजित हैं. मान्यता है कि मां कालका अपने तीन रूप जिसमें सुबह में बाल्यावस्था, दोपहर में युवावस्था एवं शाम को वृद्धावस्था में भक्तों को दर्शन देती हैं.

fallback

अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे भीम
ऐसी कहा जाता है कि भीम अपने अज्ञातवास के दौरान यहां आए थे और उनकी गाय यहां से खो गई थी. जिस पर अपनी गाय खोजने के लिए भीम ने अपनी विशाल मुठ्ठियों से डेढ़ मुठ्ठी मिट्टी से इस पहाड़ी का निर्माण किया था और इस पहाड़ी पर चढ़कर अपनी गायों को खोजा था.

आज है चैत्र नवरात्रि का पहला दिन, जानें कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा का शुभ मुहूर्त

पुजारी प्रकाशगिरी गोस्वामी ने बताया कि नवरात्र में बड़ी दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं. मां की प्रतिमा को मदिरा का भोग भी लगाया जाता है. श्रद्धालु आम दिनों में भी मदिरा का भोग लगाते हैं. चैत्र नवरात्र में यहां मेला लगता है, श्रद्धालु मां कालका के दर्शन के लिए रतलाम जिले सहित आसपास के उज्जैन, धार, झाबुआ, देवास, इंदौर आदि जिलों से हजारों श्रद्धालु यहां आते हैं. इस ऐतिहासिक पांडवकालीन प्राचीन मंदिर में मुख्य रूप से 4 मूर्तियां विराजित हैं जिनमें मां कवलका की प्रतिमा, उनके पास कालिका माता फिर कालभैरव और भगवान भोलेनाथ शिवजी की प्रतिमाएं आदिकाल से विराजित हैं. यहां नवरात्रि में भी हजारों की संख्या में  श्रद्धालु आते हैं. 300 से अधिक सीढिय़ां चढ़कर मंदिर तक पहुंचा जा सकता हैं. 

Trending news