Graveyard Orbit: इंसान ने अंतरिक्ष में तमाम सैटेलाइट्स भेजे हैं. सभी मशीनों की तरह, सैटेलाइट्स भी एक दिन काम करना बंद कर देते हैं. आइए आपको बताते हैं कि हम पुराने सैटेलाइट्स से कैसे छुटकारा पाते हैं.
Trending Photos
Graveyard Orbit Distance From Earth: पृथ्वी की अलग-अलग कक्षाओं में करीब 10 हजार सैटेलाइट्स सक्रिय हैं. सभी सैटेलाइट्स एक न एक दिन काम करना बंद कर देते हैं. सक्रिय सैटेलाइट्स के बीच में बेकार सैटेलाइट्स का क्या काम! आपस में टकराने का भी खतरा रहता है इसलिए पुराने सैटेलाइट्स को निपटा दिया जाता है. पुराने सैटेलाइट्स को ठिकाने लगाने के दो तरीके हैं.
तरीका कौन सा इस्तेमाल होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सैटेलाइट धरती की सतह से कितनी ऊंचाई पर हैं. नजदीकी कक्षाओं में मौजूद सैटेलाइट्स को धीमा कर दिया जाता है. इससे धीरे-धीरे वे कक्षा से गिर जाते हैं और वायुमंडल में जलकर भस्म हो जाते हैं.
ऊंची कक्षाओं में मौजूद सैटेलाइट्स को धीमा करना थोड़ा पेचीदा है. उसमें काफी ईंधन भी लगता है. इन ऊंचे सैटेलाइट्स को धरती पर वापस भेजने की तुलना में अंतरिक्ष में दूर भेजना ज्यादा किफायती है. ऐसे सैटेलाइट्स को 'कब्रिस्तान कक्षा' में भेज दिया जाता है. यह कक्षा 22,400 मील (36,049 किलोमीटर) ऊपर है.
निचली कक्षा में मौजूद छोटे सैटेलाइट्स से छुटकारा पाना आसान है. अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के मुताबिक, हवा के घर्षण से पैदा होने वाली गर्मी उपग्रह को जला देती है और वह हजारों मील प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी की ओर गिरता है.
स्पेस स्टेशन और अन्य बड़े सैटेलाइट्स शायद जमीन तक पहुंचने से पहले पूरी तरह भस्म न हो पाएं. उन्हें आबादी से दूर, एक निर्जन स्थान पर गिराया जाता है. वह जगह 'स्पेसक्राफ्ट कब्रिस्तान' कहलाती है. धरती पर यह कब्रिस्तान प्रशांत महासागर में मौजूद है, किसी भी इंसान से बहुत दूर.
पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अधिकतर सैटेलाइट्स जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में रहते हैं जिसे GEO भी कहा जाता है. यह भूमध्य रेखा से 35,786 किमी (22,236 मील) की ऊंचाई पर, पृथ्वी के केंद्र से 42,164 किमी (26,199 मील) की त्रिज्या पर, तथा पृथ्वी के घूमने की दिशा में चलने वाली एक वृत्ताकार कक्षा है.
ऊंचाई पर मौजूद तमाम बड़े सैटेलाइट्स को 'कब्रिस्तान कक्षा' में भेजा जाता है. यह पृथ्वी से सबसे दूर सक्रिय उपग्रहों की तुलना में लगभग 200 मील दूर है और पृथ्वी से 22,400 मील ऊपर है.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) के अनुसार, 'टकराव के जोखिम को खत्म करने के लिए, सैटेलाइट्स को उनके मिशन के आखिर में जियोस्टेशनरी रिंग से बाहर ले जाना चाहिए. उनकी कक्षा को लगभग 300 किमी तक बढ़ाया जाना चाहिए. कक्षा की ऊंचाई को 300 किमी तक बढ़ाने के लिए वेग में जरूरी परिवर्तन 11 मीटर/सेकंड है.'