Humans Living On Mars: एलन मस्क जैसे लोग आने वाले कुछ सालों में मंगल पर इंसानी बस्तियां बसाने की योजना बना रहे हैं. क्या मंगल ग्रह पर मानव रह सकता है?
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Science News: जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के चलते पृथ्वी शायद इंसान के रहने लायक न बचे. स्टीफन हॉकिंग समेत कई मशहूर वैज्ञानिकों ने कहा है कि मानव को पृथ्वी छोड़कर किसी और ग्रह पर बसना पड़ सकता है. मंगल ग्रह पर बसने का सपना इंसान काफी समय से देखता आ रहा है. स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क शिद्दत से इस सपने को साकार बनाने में लगे हैं. लेकिन, मंगल की दुर्गम परिस्थितियां मानव शरीर पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती हैं.
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मंगल की स्थितियां इंसानी शरीर में कई खतरनाक बदलाव ला सकती हैं. इनमें शरीर का रंग हरा होने से लेकर आंखों की रोशनी का कमजोर होना शामिल हैं. एक अमेरिकी बायोलॉजिस्ट का मानना है कि इंसान का मंगल पर सर्वाइव कर पाना बहुत मुश्किल है.
मंगल पर मानव शरीर का क्या होगा?
टेक्सास की राइस यूनिवर्सिटी में बायोलॉजिस्ट डॉ स्कॉट सोलोमन ने चेताया कि मंगल ग्रह पर मनुष्यों में भारी म्यूटेशन हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर मंगल पर बसने वाले मानव बच्चों को जन्म देते हैं तो उनमें कई म्यूटेशंस और विकासवादी परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं. ये म्यूटेशन कम गुरुत्वाकर्षण और हाई रेडिएशन की वजह से होंगे. इनकी वजह से त्वचा का रंग हरा हो सकता है, मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो सकती हैं, आंखों की रोशनी में कमी आ सकती है.
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पृथ्वी की तुलना में मंगल एक छोटा ग्रह है. इसका गुरुत्वाकर्षण हमारे ग्रह की तुलना में 30 प्रतिशत कम है. लाल ग्रह पर पृथ्वी के जैसी ओजोन परत और चुंबकीय क्षेत्र की भी कमी है. ये दोनों पृथ्वी को अंतरिक्ष के रेडिएशन, ब्रह्मांडीय किरणों, अल्ट्रावायलेट किरणों और सूर्य से निकलने वाले आवेशित कणों से बचाते हैं. मंगल पर ऐसी कोई सेफ्टी मैकेनिज्म मौजूद नहीं है.
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डा सोलोमन के मुताबिक, इस वजह से मंगल पर इंसान की त्वचा का रंग बदल सकता है, जो रेडिएशन से बचने में मदद करेगा. उन्होंने अपनी किताब Future Humans में लिखा है कि शायद इंसान हरे रंग के हो सकते हैं. ग्रेविटी में कमी का असर हड्डियों पर पड़ सकता है जिससे वे कमजोर हो सकती हैं. मंगल पर छोटी-छोटी कॉलोनियों में बसने से लोगों को दूर देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे उनकी आंखों की रोशनी भी कमजोर हो सकती है.