तारों का बचपन कैसा होता है? NASA के हबल टेलीस्कोप ने दिखाई 'ब्रह्मांड के शिशुओं' की झलक
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तारों का बचपन कैसा होता है? NASA के हबल टेलीस्कोप ने दिखाई 'ब्रह्मांड के शिशुओं' की झलक

Hubble Space Telescope: NASA के हबल टेलीस्कोप ने अंतरिक्ष में नौजवान तारों की तिकड़ी का फोटो खींचा है. इनमें से एक तारा तो सिर्फ एक करोड़ साल पुराना है.

तारों का बचपन कैसा होता है? NASA के हबल टेलीस्कोप ने दिखाई 'ब्रह्मांड के शिशुओं' की झलक

NASA Hubble Space Telescope Images: हबल स्पेस टेलीस्कोप को लॉन्च हुए तीन दशक से भी ज्यादा गुजर चुके हैं. इससे हुई खोजें ब्रह्मांड को लेकर हमारी समझ में बड़ा बदलाव लाई हैं. करीब 547 किलोमीटर की ऊंचाई से पृथ्वी के चक्कर लगा रहा हबल टेलीस्कोप ब्रह्मांड के छिपे रहस्यों से रूबरू कराता है. पिछले हफ्ते, NASA ने हबल टेलीस्कोप से खींचा गया एक अद्भुत फोटो जारी किया. हबल के नए फोटो में एक ट्रिपल स्टार सिस्टम दिख रहा है. तारों की यह तिकड़ी पृथ्वी से 550 प्रकाश वर्ष से भी ज्यादा दूर, वृषभ तारामंडल में स्थित है. हबल ने जिन तारों को अपने कैमरे में कैद किया है, उनके नाम हैं -HP Tau, HP Tau G2, और HP Tau G3. नासा का कहना है कि HP Tau एक T Tauri प्रकार का तारा है.  ये ऐसे तारे होते हैं जिनमें न्यूक्लियर फ्यूजन अभी शुरू नहीं हुआ है. अभी ये तारे अपनी बाल्यावस्था में हैं. हमारे सूर्य की तरह हाइड्रोजन से चलने वाला तारा बनने में इन्हें अभी समय लगेगा. T Tauri आमतौर पर एक करोड़ साल से भी कम पुराने होते हैं. इनकी तुलना में हमारा सूर्य 4.6 बिलियन साल पुराना है और पृथ्वी की उम्र 4.543 बिलियन साल है.

कम-ज्यादा होती रहती है ऐसे तारों की रोशनी

HP Tau उन तारों में से हैं जिनकी चमक घटती-बढ़ती रहती है. T Tauri तारों की चमक में नियमित और अचानक, दोनों तरह के उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. अचानक चमक में बदलाव के पीछे नौजवान तारे के बनने की प्रक्रिया वजह हो सकती है. तारे के चारों तरफ मौजूद एक्रेशन डिस्क से पदार्थ तारे में गिरता रहता है, तारा उसको निगलने के बाद सतह से ज्वालाएं छोड़ता है जिससे चमक बढ़ती है.

तारे के चारों तरफ मौजूद गैस और धूल का बादल उनकी परावर्तित रोशनी से चमकता है. नेबुला खुद रोशनी पैदा नहीं करते, बल्कि नजदीकी तारों की रोशनी जो गैस और धूल से टकराकर लौटती है, उससे चमकते हैं. ठीक उसी तरह, जैसे कार की हेडलाइट से टकराने के बाद कोहरा चमकता है.

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हम इस ट्रिपल स्टार सिस्टम का शानदार नजारा हबल स्पेस टेलीस्कोप की बदौलत देख पाए हैं. हबल टेलीस्कोप का आकार क्लासिक ब्रिटिश डबल डेकर बस जितना है. इसके कोर में 2.4 मीटर का एक शीशा लगा है. यह शीशा सुदूर ऑब्जेक्ट्स से आती रोशनी कलेक्ट करता है, फिर उसे तमाम इंस्ट्रुमेंट्स की ओर भेजता है जहां उसका एनालिसिस होता है.

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