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नई दिल्ली: हमारा ब्रह्मांड (Universe) ऐसे रहस्यों का खजाना है, जिनके बारे में आज तक दुनिया भर के वैज्ञानिक (Scientist) पता नहीं लगा पाए हैं. हालांकि वैज्ञानिक निरंतर कुछ रहस्यों के बारे में जानने की कोशिश करते रहते हैं और उन्हें कामयाबी भी हासिल होती है. इस वक्त एलियंस (Aliens) और दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावना का भी पता लगाने के लिए वैज्ञानिक दिन-रात मेहनत कर रहे हैं.
इनके बारे में अभी तक पूरी तरह से कोई जानकारी नहीं मिली है. आपको बता दें कि हाल ही में वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड से कुछ ऐसी आवाजें (Humming Sound Of The Universe) सुनाई दी हैं, जो ‘हम्म्म्म’ की ध्वनि के जैसी हैं. हालांकि यह ध्वनि नहीं है क्योंकि अंतरिक्ष में ध्वनि (Universe Sound) के पैदा होने के लिए वहां कोई मीडियम मौजूद नहीं है.
दरअसल, वैज्ञानिकों को एक सिग्नल मिला है, जिससे माना जा रहा है कि यह तरंगों का सबूत है, जो ‘हम्म्म्म’ (Humming Sound Of The Universe) ध्वनि जैसा है. जाहिर है कि यह ध्वनि नहीं है क्योंकि स्पेस में ध्वनि (Sound In Space) के पैदा होने के लिए कोई मीडियम भी तो होना चाहिए जो वहां मौजूद नहीं है. ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह सिग्नल गुरुत्वाकर्षण तरंगों (Gravitational Waves) के कारण पैदा हो सकता है.
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सिग्नल (Universe Sound) गुरुत्वाकर्षण तरंगों (Gravitational Waves) के कारण हो सकता है. ‘हम्म्म्म’ की आवाज का पता उत्तर अमेरिकी नैनो हर्ट्ज ऑब्जर्वेटरी फॉर ग्रेविटेशनल वेव्स (NANOGrav) द्वारा लगाया गया है और इसके निष्कर्षों को ‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स’ में प्रकाशित भी किया गया है.
गौरतलब है कि NANOGrav, ‘पल्सर’ से संकेतों पर स्टडी कर रहा है, जिसे आमतौर पर यूनिवर्स के समय के रूप में जानते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, यह डाटा इकट्ठा करने के लिए रेडियो तरंगों (Radio Waves) का उत्सर्जन करता है, जो गुरुत्वाकर्षण तरंगों के प्रभावों का संकेत हो सकता है.
इस रिसर्च से मुख्य शोधकर्ता जोसेफ सिमोन (Joseph Simon) का कहना है डाटा के आधार पर इस आवाज के मजबूत सिग्नल मिले हैं. ये सिग्नल पूरे ऑब्जर्वेशन के दौरान मिले हैं. इसलिए अभी और स्टडी किया जाना है ताकि जाना जा सके कि यह आवाज कहां से पैदा हुई है.
इससे पहले नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन यानी नासा (NASA) के वैज्ञानिकों ने सूर्य की आवाज को रिकॉर्ड किया था. नासा ने खुद ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी थी.
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