Origin Of Life On Earth: जापानी रिसर्चर्स ने समुद्र में 5 किलोमीटर नीचे मिले नैनोमीटर साइज वाले क्रिस्टल्स में पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति के सुराग खोजे हैं.
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Science News: मारियाना ट्रेंच में समुद्र के नीचे 5 किमी से अधिक गहराई में मिले नैनोमीटर आकार के क्रिस्टल जीवन की उत्पत्ति के बारे में बताते हैं. जापानी रिसर्चर्स की एक टीम ने इन्हें हाइड्रोथर्मल वेंट्स के चारों तरफ पाया. ये स्व-संगठित नैनो संरचनाएं ऐसे कई काम करती हैं जिनसे बिजली पैदा होती है. टीम की रिसर्च के नतीजे Nature Communications जर्नल में छपे हैं.
गर्म पानी के जेट्स से शुरू हुआ जीवन
हाइड्रोथर्मल वेंट वे फव्वारे होते हैं जिनके गर्म पानी में खनिज घुले हुए होते हैं. ये तब बनते हैं जब पानी समुद्र तल के नीचे रिसता है और मैग्मा द्वारा गर्म हो जाता है. ऐसा माना जाता है कि इन्हीं वेंट्स से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई होगी, क्योंकि वहां गर्मी, खनिज और स्थिरता थी.
जापानी रिसर्चर्स की टीम ने प्रशांत महासागर में मारियाना ट्रेंच के शिंकाई सीप फील्ड में 5,743 मीटर की गहराई से जुटाए गए नमूनों की जांच की. उन्होंने ऑप्टिकल माइक्रोस्कोप और एक्स-रे बीम से नमूनों को स्कैन किया.
एक नमूने में - ब्रुसाइट का 84 सेमी का टुकड़ा - छोटे ब्रुसाइट क्रिस्टल के कॉलम थे, जो हाइड्रोथर्मल वेंट से निकलने वाले तरल पदार्थ के लिए चैनल की तरह काम कर सकते थे. इन क्रिस्टलों पर एक इलेक्ट्रिक चार्ज था, लेकिन यह कहीं पॉजिटिव तो कहीं नेगेटिव था.
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क्यों अहम है यह खोज?
यह खोज अहम है क्योंकि इससे 'ऑस्मोटिक एनर्जी' कन्वर्जन जैसी प्रक्रिया के संकेत मिलते हैं. यह जीवन का एक प्रमुख गुण है. ऑस्मोटिक एनर्जी दो तरल पदार्थों में लवणों (salts) की सांद्रता के अंतर से पैदा होती है, जो छोटी नलिकाओं वाली एक झिल्ली द्वारा अलग होते हैं. जीवित कोशिकाएं ऊर्जा प्राप्त करने के लिए अक्सर ऑस्मोसिस पर निर्भर रहती हैं.
रिसर्च टीम के मुखिया, डॉ रयुही नाकामुरा ने कहा, 'अप्रत्याशित रूप से, हमने पाया कि इस तरह का ऊर्जा रूपांतरण, जो आधुनिक पौधे, पशु और सूक्ष्मजीव जीवन का एक अहम फंक्शन है, भूवैज्ञानिक वातावरण में अजैविक रूप से भी हो सकता है.'
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रिसर्चर्स ने लवण की अलग-अलग सांद्रताओं के संपर्क में आने पर उनके वोल्टेज को रिकॉर्ड करके क्रिस्टल के व्यवहार का टेस्ट किया. पता चला कि चैनल सांद्रता के आधार पर अलग-अलग तरीके से संचालित होते हैं, न्यूरॉन्स जैसी कोशिकाओं के समान तरीके से.
रिसर्चर्स ने कहा कि ये क्रिस्टल सिलेक्टिव आयन चैनल्स की तरह व्यवहार करते हैं और स्थितियों के हिसाब से कुछ आयनों को अपने भीतर से गुजरने देते हैं.