Trending Photos
PODCAST
नई दिल्ली: NASA के एक अंतरिक्ष यान ने पहली बार सूर्य की Magnetic Field को छू लिया है, जिसका तापमान 10 लाख से 20 लाख डिग्री Celcius तक होता है. वैसे तो पृथ्वी से सूर्य की दूरी लगभग 14 करोड़ 32 लाख किलोमीटर है लेकिन भारतीय संस्कृति में सूर्य हमेशा से हमारे काफी करीब रहा है और आप में से बहुत से लोग हर सुबह सूर्य नमस्कार भी करते होंगे. इसलिए आज आप चाहें तो सूर्य को बहुत करीब से नमस्कार कर सकते हैं.
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी NASA ने इस सोलर मिशन को वर्ष 2018 में लॉन्च किया था, जिसका मकसद है सूर्य के स्वभाव को समझना. अब तक कोई भी अंतरिक्ष यान, सूर्य के कोरोना, जिसे Magnetic Field भी कहते हैं, उसे छू नहीं पाया था. असल में सूर्य की सतह से लाखों किलोमीटर दूर तक आग की लपटें उठती हैं. ये लपटें सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की वजह से जितने क्षेत्र तक सीमित रहती हैं. उस क्षेत्र को कोरोना या सूर्य की Magnetic Field भी कहते हैं. यहां तापमान 10 से 20 लाख सेल्सियस डिग्री तक हो सकता है.
ये भी पढ़ें- शौक के लत में बदलने का 'Game', गुनाह के दलदल में 'गुम' हो रहा बचपन
ये पहली बार हुआ है, जब कोई अंतरिक्ष यान इस कोरोना को छूने में सफल रहा हो. अब ये मिशन वर्ष 2025 तक ऐसे ही जारी रहेगा और इस दौरान ये अंतरिक्ष यान सूर्य के इर्द-गिर्द कुल 24 कक्षाओं से गुजरेगा. इस मिशन से पृथ्वी पर वैज्ञानिकों को पहली बार Solar Winds के बारे में सही जानकारी मिल सकेगी.
हालांकि बहुत से लोगों में ये भी सवाल होगा कि ये अंतरिक्ष यान सूर्य के इतना करीब जाकर भी जला क्यों नहीं? असल में इस अंतरिक्ष यान पर Carbon Particles से बनी एक थर्मल शील्ड लगी है, जो इस यान को जलने से बचाती है. इसके अलावा इसके अन्दर एक कूलिंग सिस्टम है, जो इसे लगातार ठंडा रखता है. पृथ्वी से सूर्य की दूरी भले लगभग 14 करोड़ 32 लाख किलोमीटर है. लेकिन अगर करोड़ों भारतीयों के मन से सूर्य की दूरी को देखें तो सूर्य हमें अपने काफी करीब नजर आता है.
ये भी पढ़ें- उत्तर कोरिया में हंसना हो गया मना, 11 दिन तक रहना होगा 'उदास'
भारत में सूर्य देवता की पूजा का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है. ऋग्वेद में सूर्य को देवता के समान माना गया है. इसके अलावा ऋग्वेद में सूर्य को अच्छे विचार, अच्छे स्वास्थ्य और रोशनी का एकमात्र स्रोत भी माना गया है. महाभारत में तो कर्ण को सूर्य पुत्र भी कहा गया है. असल में महाभारत के समय, जब कुंती ने दुर्वासा ऋषि के बताए हुए मंत्र का प्रयोग करके सूर्य का आह्वान किया था तो इसके फलस्वरूप कर्ण की उत्पत्ति हुई थी. और इसी कारण से उन्हें सूर्य पुत्र कहा जाता है.
भगवान हनुमान से जुड़े कई प्रसंगों में भी सूर्य देव का उल्लेख मिलता है. मान्यता है कि बाल अवस्था में एक बार माता अंजनि हनुमान को सुलाकर अन्य कामों में व्यस्त हो गईं. इसके कुछ देर बाद जब हनुमान की आंखें खुलीं और उन्हें भूख की अनुभूति हुई तो उन्होंने आकाशमण्डल में सूर्य को देखा और उसे कोई बड़ा सा लाल फल समझकर उसे खाने के लिए आकाश की ओर चले गए. जैसे ही उन्होंने सूर्य को फल समझकर निगलने की कोशिश की तो इंद्र देवता ने अपने वज्र से उन पर प्रहार कर दिया और हनुमान इस प्रहार से पृथ्वी पर आ गिरे और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई.
भारत में सूर्य देवता का मन्दिर भी है. ये भव्य मन्दिर, ओडिशा के कोणार्क में स्थित है, जिसे 13वीं शताब्दी में यानी आज से 800 वर्ष पूर्व बनाया गया था. ये मन्दिर सूर्य देवता के भव्य रथ का प्रतिबिम्ब है, जिसे सात घोड़े खींच रहे हैं. इस्लाम और ईसाई धर्म की स्थापना से पहले एशिया और यूरोप की सभ्यताओं में भी सूर्य को देवता के रूप में पूजा जाता था. Egypt में सूर्य देवता को 'रा' के नाम से पूजा जाता है. जबकि ईरान में सूर्य देवता को मित्र के नाम से पूजा जाता है. जबकि रोमन साम्राज्य में इसे सोल के नाम से पूजा जाता था.