किस्सा-ए-कंज्यूमर : ऑनलाइन कंपनी से आपको मिला है रिफंड?
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किस्सा-ए-कंज्यूमर : ऑनलाइन कंपनी से आपको मिला है रिफंड?

क्या होता है जब आप घर आया डिलिवरी पैकेट खोलें और निकले टूटा फूटा या डिफेक्टिव माल? क्या ई-कॉमर्स कंपनी वो सामान बिना टाल-मटोल के वापस ले लेती है? क्या आपको आपके पैसे आराम से वापस मिल जाते हैं? 

किस्सा-ए-कंज्यूमर : ऑनलाइन कंपनी से आपको मिला है रिफंड?

अमेजन, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील आज हमारी आदतों में शुमार हैं. ई-कॉमर्स की क्रांति ने शॉपिंग को ऐसा खेल बना दिया है कि हम अक्सर जरूरी-गैरजरूरी चीजें ऑर्डर करते रहते हैं. लेकिन क्या होता है जब आप कोई ब्रांडेड सामान ऑर्डर करें और मिल जाए नकली सामान? क्या होता है जब आप घर आया डिलिवरी पैकेट खोलें और निकले टूटा फूटा या डिफेक्टिव माल? क्या ई-कॉमर्स कंपनी वो सामान बिना टाल-मटोल के वापस ले लेती है? क्या आपको आपके पैसे आराम से वापस मिल जाते हैं? अगर आपका जवाब हां है तो आप किस्मत वाले हैं क्योंकि हाल ही एक शख्स को अपने खराब फोन के पैसे वापस लेने के लिए कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटना पड़ा. 

नया फोन और कंपनी का नाटक
मामला है पंजाब के जालंधर का. जालंधर के एकता एन्क्लेव में रहनेवाले हरजिंदर सिंह ने अमेजन पर रेडमी 4 हैंडसेट ऑर्डर किया. फोन की कीमत थी 9,499 रुपए. तय समय से फोन आ भी गया. हरजिंदर ने बड़े शौक से फोन को इस्तेमाल करना शुरू किया तो पाया कि फोन में कुछ तकनीकी गड़बड़ी, वो ठीक से  काम नहीं कर रहा है. हरजिंदर का मूड खराब हो गया. उन्होंने फैसला किया कि फोन वापस करेंगे और अपना पैसा वापस लेंगे. हरजिंदर ने अमेजन के कस्टमर केयर से संपर्क किया. कस्टमर केयर ने उन्हें भरोसा दिलाया कि पैसा 5 से 7 दिन में उनके खाते में आ जाएगा, लेकिन पैसा नहीं आया. कई बार फोन और ई-मेल का कोई नतीजा नहीं निकला तो हरजिंदर कंज्यूमर फोरम पहुंचे. 
 
कोर्ट में कंपनी की पलटी 
कंज्यूमर फोरम में अमेजन ने ये तो मान लिया कि शिकायतकर्ता ने कस्टमर केयर से संपर्क  किया था और मोबाइल फोन में गड़बड़ी की शिकायत की थी. लेकिन साथ ही कंपनी ने ये भी कहा ग्राहक से फोन वापस भेजने को कहा गया था लेकिन जो डिब्बा ग्राहक ने भेजा वो खाली निकला, इसलिए रिफंड नहीं किया गया. अब इसकी सच्चाई जो भी हो लेकिन अमेजन ने आगे जो दलील दी वो गौर करने लायक है. कंपनी ने कहा उसकी वेबसाइट पर जो भी प्रोडक्ट लिस्ट होते हैं उन्हें थर्ड पार्टी सेलर्स लिस्ट करते हैं, लिहाजा इन प्रोडक्ट्स के लिए अमेजन जिम्मेदार नहीं है. अब यहीं पर सबसे बड़ा पेंच है. अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी कंपनियां आए दिन ऐसे मामलों में फंसती हैं. हर बार उनका तर्क यही होता है कि वो न तो कोई प्रोडक्ट बेचती हैं ना ही कोई ऑफर देती हैं. वो तो सिर्फ एक ऑनलाइन मार्केट या प्लेटफॉर्म मुहैया कराती हैं जहां अलग-अलग विक्रेता अपने प्रोडक्ट बिक्री के लिए लिस्ट करते हैं. ऐसे में कोई गड़बड़ी होती है तो अमेज़न की जिम्मेदारी नहीं है. 

नहीं गली अमेजन की दाल 
बहरहाल कंज्यूमर फोरम को अमेजन की दलील हजम नहीं हुई. फोरम ने कहा कि चूंकि प्रोडक्ट अमेज़न के प्लेटफॉर्म पर बेचा गया था इसलिए अगर प्रोडक्ट नकली निकला या फिर उसमें कोई गड़बड़ी पाई गई तो इसके लिए पूरी तरह अमेज़न ही जिम्मेदार होगा, थर्ड पार्टी नहीं. फोरम ने कहा कि अमेजन पर शॉपिंग करने वाला ग्राहक पेमेंट अमेजन को करता है, किसी थर्ड पार्टी सेलर को नहीं, इसलिए थर्ड पार्टी का बहाना बनाकर अमेजन अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता. और जहां तक खाली बॉक्स की बात है तो ग्राहक के ई-मेल के जवाब में अमेजन की तरफ से कई ई-मेल किए गए, हर ई-मेल में भरोसा दिलाया गया कि पैसे जल्द ही रिफंड हो जाएंगे, किसी भी ई-मेल में इस बात का जिक्र नहीं किया गया कि ग्राहक ने जो बॉक्स भेजा था वो खाली था. 

अमेजन को भरने पड़े पूरे पैसे
आखिरकार कंज्यूमर फोरम ने हुक्म दिया कि अमेजन उस नए फोन की कीमत के बराबर पैसा यानी 9,499 रुपया ग्राहक को वापस करे. साथ ही 7000 रुपया मुआवजा चुकाए. इतना ही नहीं, मुकदमा लड़ने के खर्च के तौर पर 3,000 रुपया ग्राहक को और दिए जाएं. तो इस तरह हरजिंदर की कहानी की हैप्पी एंडिंग हुई. हालांकि अब ज्यादातर मामलों में ई-कॉमर्स कंपनी से शिकायत करने पर कंपनी खुद सेलर से बात करती है और सुनिश्चित करती है कि ग्राहक की परेशानी खत्म हो. लेकिन भारत में ही ऐसे मामले भी देखने को मिले हैं जहां ई-कॉमर्स कंपनी पैसे लौटाने को तैयार नहीं हुईं. कंज्यूमर फोरम से रिफंड का आदेश होने पर भी कंपनी ऊपरी अदालत में चली गई. लिहाजा आने वाले कंज्यूमर प्रोटेक्शन बिल में इस बात के इंतजाम किए जा रहे हैं कि खराब या नकली प्रोडक्ट होने पर ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे तौर पर जिम्मेदार बनाया जाए क्योंकि कंज्यूमर तो शॉपिंग भी उन्हीं के प्लेटफॉर्म पर कर रहा है और पेमेंट भी उन्हीं को कर रहा है.

(लेखक गिरिजेश कुमार ज़ी बिज़नेस से जुड़े हैं.)
(डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं)

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