श्रीलंका के मुरलीधरन ने कहा कि युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव की भारतीय स्पिन जोड़ी अच्छा प्रदर्शन कर रही है.
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नई दिल्ली: मोहाली में खेले गए चौथे वनडे में भारतीय टीम की हार के बाद कई क्रिकेट पंडित और प्रशंसक भारतीय टीम को लेकर आलोचनात्मक हो गए हैं. भारतीय टीम इस मैच में 358 रन बनाने के बावजूद हार गई थी. इस हार के बाद कई क्रिकेट पंडितों ने गेंदबाजों की काबिलियत पर सवाल उठाए तो कई लोगों ने विराट कोहली की कप्तानी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि महेंद्र सिंह धोनी के बिना कोहली अधूरे हैं.
श्रीलंका के पूर्व ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भारतीय टीम की इन आलोचनाओं को गलत बताया है. उनका मनाना है कि लोगों को धैर्य रखने की जरूरत है क्योंकि एक टीम में 11 खिलाड़ी मैच विजेता नहीं हो सकते. उन्होंने साथ ही कहा कि विश्व कप में जाने से पहले सभी तरह के संयोजन आजमाना जरूरी है. मुथैया मुरलीधरन ने कहा, ‘आपको टीम के साथ धैर्य रखना होगा. भारतीय टीम काफी अच्छा कर रही है और विश्व कप नजदीक होते हुए प्रयोग भी कर रही है. आपको सफलता के रास्ते पर कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि एक टीम में 11 विराट कोहली नहीं हो सकते. हर कोई मैच विजेता नहीं हो सकता.’ श्रीलंका के पूर्व ऑफ स्पिनर ने कहा, ‘आप कुछ मैच जीतेंगे और कुछ मैच हारेंगे. अन्यथा, हर टीम के पास 11 विराट कोहली, 11 सचिन तेंदुलकर, 11 डॉन ब्रेडनमैन होते, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता.’
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भारतीय टीम के स्पिन विभाग पर बात करते हुए मुरलीधरन ने कहा कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल के रूप में टीम के पास अच्छे स्पिनर हैं. मुरली ने कहा, ‘मुझे लगता है कि वे शानदार काम कर रहे हैं. दोनों के पास अच्छी योग्यता है. उनका हर परिस्थिति में अच्छा प्रदर्शन करना बताता है कि उनमें कितनी प्रतिभा है. साथ ही, आपको क्यों लगता है कि रविचंद्रन अश्विन जैसा खिलाड़ी सीमित ओवरों के लिए सही नहीं है? ऐसा इसलिए है क्योंकि इन दोनों स्पिनरों ने अच्छा प्रदर्शन किया है. सिर्फ एक खराब मैच (मोहाली) के दम पर आप उनकी आलोचना नहीं कर सकते. हम रोबोट के साथ नहीं खेल रहे हैं.’
मुरलीधरन ने कहा है कि भारतीय प्रशंसकों को भी धैर्य रखने की जरूरत है क्योंकि भारत की जीत में वे भी बड़ा रोल निभा सकते हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रशंसकों को भी धैर्य रखना होगा. भारतीय खिलाड़ियों ने अच्छा किया है और आप उन पर ज्यादा दबाव नहीं डाल सकते. यह खेल है, इसमें जीतने वाले और हारने वाले दोनों होते हैं. यह जरूरी है कि खिलाड़ियों पर दबाव नहीं हो ताकि वह अपने खेल पर ध्यान दे सकें क्योंकि इसी से परिणाम निकलते हैं.’
(आईएएनएस)