विराट-शास्त्री के फेवरेट यो-यो टेस्ट के सामने राहुल द्रविड़ बने 'दीवार'
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विराट-शास्त्री के फेवरेट यो-यो टेस्ट के सामने राहुल द्रविड़ बने 'दीवार'

सीनियर टीम में अब यो यो फिटनेस टेस्ट जरूरी हो चुका है. बिना इसे पास किए टीम इंडिया में जगह बनाना असंभव है.

राहुल द्रविड़ ने कहा, जूनियर खिलाड़ियों के चयन का आधार सिर्फ प्रदर्शन हो. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : टीम इंडिया में सिलेक्शन के लिए अब यो यो फिटनेस टेस्ट जरूरी हो चुका है. बिना इसे पास किए टीम इंडिया में जगह बनाना असंभव है. पिछले दिनों युवराज सिंह और सुरैशन रैना जब इस टेस्ट को पास नहीं कर पाए तो वह टीम इंडिया में जगह नहीं बना सके. यहां तक कि तेज गेंदबाज आशीष नेहरा ने यही टेस्ट पास कर टीम में अपनी जगह बनाई और अंतिम मैच खेलकर क्रिकेट से विदाई ली.

  1. राहुल द्रविड़ अंडर-19 और भारत-ए के कोच हैं
  2. जूनियर लेवल के खिलाड़यों के लिए टेस्ट को बताया गैर जरूरी
  3. विराट कोहली और रवि शास्त्री का फेवरेट माना जाता है यो यो टेस्ट

बीसीसीआई ने जिस तरह सीनियर क्रिकेटरों के लिए ये टेस्ट अनिवार्य किया है, कुछ ऐसा ही नियम वह जूनियर क्रिकेटर्स के लिए बनाना चाहती थी. लेकिन उसकी इस योजना को टीम इंडिया की दीवार कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ ने ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर कर दिया. दरअसल राहुल द्रविड़ अंडर-19 और भारत-ए के कोच हैं. उनका साफ मानना है कि जूनियर क्रिकेट के स्तर पर हर इन खिलाड़ियों को सबसे पहले अपनी क्रिकेट की स्किल पर ध्यान देना चाहिए.

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अब हाल ये है कि जब बोर्ड को राहुल द्रविड़ और जूनियर टीम मैनेजमेंट का साथ नहीं मिला तो उसे अपना ये इरादा छोड़ना पड़ा. इस टेस्ट को विराट कोहली और कोच रवि शास्त्री का फेवरेट माना जाता है.

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नेशनल क्रिकेट अकादमी के एक अधिकारी के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में कहा गया है कि, टीम के ट्रेनर ने इस यो-यो टेस्ट को अंडर-19 टीम में शामिल करने की कोशिश की थी. लेकिन द्रविड़ इस फैसले के सामने अड़ गए. उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि जूनियर क्रिकेट में खिलाड़ियों को इसकी जरूरत नहीं है.

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इसके पीछे द्रविड़ की सोच है कि जूनियर खिलाड़ियों को अपने प्रदर्शन पर ध्यान देना चाहिए. फिटनेस भी जरूरी है, लेकिन अगर खिलाड़ी रन बना रहा है, विकेट ले रहा है, तो यही चयन का आधार हो. उधर, भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी ने यो यो टेस्ट को जरूरी बताते हुए कहा था कि टीम मैनेजमेंट ने यो-यो टेस्ट को चयन का आधार बनाया है. इसलिए ये जरूरी होना चाहिए.

क्या है यो यो टेस्ट
यो यो टेस्ट के लिए खिलाड़ियों को खुद को व्यवस्थित रूप से स्पीड अप करने की जरूरत होती है. इसमें खिलाड़ियों को अलग-अलग तरह से दौड़ना, निश्चित समय में दौड़ना और निश्चित समय में दौड़ को खत्म करना होता है. इस परीक्षण के बाद खिलाड़ियों को स्कोर दिया जाता है. नए खिलाड़ियों के लिए बेसिक स्कोर करना जरूरी होता है. यो यो स्केल पर, स्कोर 16.1 होना चाहिए. यह अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का निम्नतम हासिल किया जाने वाला स्कोर है.

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खिलाड़ियों की फिटनेस परखने के लिए यो-यो टेस्ट ‘बीप’ टेस्ट का एडवांस वर्जन है. 20-20 मीटर की दूरी पर दो लाइनें बनाकर कोन रख दिए जाते हैं. एक छोर की लाइन पर खिलाड़ी का पैर पीछे की ओर होता है और वह दूसरी की तरफ वह दौड़ना शुरू करता है. हर मिनट के बाद गति और बढ़ानी होती है और अगर खिलाड़ी वक्त पर लाइन तक नहीं पहुंच पाता तो उसे दो बीप्स के भीतर लाइन तक पहुंचना होता है. अगर वह ऐसा करने में नाकाम होता है तो उसने फेल माना जाता है. पहले खिलाड़ियों को टैलेंट के आधार पर चुना जाता था, लेकिन अब फिटनेट पर भी ध्यान दिया जाने लगा है. 90 के दशक में मोहम्मद अजहरुद्दीन, रॉबिन सिंह और अजय जडेजा को छोड़कर अन्य खिलाड़ियों को 16-16.5 का स्कोर करना होता था.

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