निरंजन मुकुंदन; जन्म से पैर जुड़े थे, 17 सर्जरी कराई... अब देश के लिए जीत रहे हैं गोल्ड मेडल
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निरंजन मुकुंदन; जन्म से पैर जुड़े थे, 17 सर्जरी कराई... अब देश के लिए जीत रहे हैं गोल्ड मेडल

कर्नाटक के निरंजन मुकुंदन (Niranjan Mukandan) ने नॉर्वे स्विमिंग चैंपियनशिप (Norwegian Swimming Championship) में पांच गोल्ड मेडल जीते. 

निरंजन मुकुंदन जूनियर वर्ल्ड चैंपियन रह चुके हैं. (फोटो साभार: @SwimmerNiranjan)

नई दिल्ली: मुश्किलों को कैसे जीता जाता है? अगर आपको इसका जवाब चाहिए तो आपको निरंजन मुकुंदन (Niranjan Mukandan) को जानना चाहिए. कर्नाटक के इस दिव्यांग ने जब जन्म लिया तो उसके दोनों पैर जुड़े थे. फिर जिंदगी की दुश्वारियां. सर्जरी और एक्सरसाइज का अनवरत सिलसिला... जब वे छठी क्लास में थे तब खड़े भी नहीं हो सकते थे. कोई भी इन मुश्किलों से हार सकता था. लेकिन निरंजन मुकुंदन गोल्ड मेडल जीतकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. हालांकि, यह सुर्खियां इतनी ही हैं, जो क्रिकेट विश्व कप (ICC World Cup 2019) की खबरों के तले आसानी से दब जाएं. 

24 साल के दिव्यांग निरंजन मुकुंदन ने नॉर्वे में एक-दो बार नहीं, पूरे पांच बार तिरंगा लहराया. कर्नाटक के इस खिलाड़ी ने नॉर्वे स्विमिंग चैंपियनशिप (Norwegian Swimming Championships 2019) में पांच गोल्ड मेडल जीते. उन्होंने ये मेडल उन दिनों में ही जीते, जब भारतीय टीम विश्व कप में पाकिस्तान को हरा रही थी. पैरा वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीत चुके निरंजन का यह पदक हालांकि खबरें नहीं बन सका. वे पैरा एशियन गेम्स में मेडल जीत चुके हैं. 

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बता दें कि निरंजन पैरा स्वीमर हैं. वे जन्म से ही स्पाइना बाइफिडा के शिकार थे. उनके दोनों पैर जुड़े हुए थे. माता-पिता डॉक्टरों के पास पहुंचे तो पता चला कि यह बीमारी औसतन 10 लाख बच्चों में से किसी एक को होती है. इलाज भी कुछ ऐसा नहीं है, जो इसे 100 फीसदी फिट कर दे. निरंजन इसी बीमारी के साथ बड़े होने लगे. उम्र बढ़ी तो डॉक्टर ने सर्जरी की सलाह दी. इसके बाद तो जैसे सर्जरी का अनवरत सिलसिला चल निकला. अब तक 17 सर्जरी हो चुकी हैं. एक बार तो यह सर्जरी 16 घंटे चली. 

 

 

 

निरंजन आठ साल की उम्र से स्वीमिंग कर रहे हैं. डॉक्टरों ने बता दिया था कि सर्जरी कोई 100 फीसदी इलाज नहीं है. उन्हें इसके लिए एक्सरसाइज करनी होगी. इसके लिए दो खेल सहायक हो सकते हैं. स्वीमिंग और हॉर्स राइडिंग. निरंजन ने एक बार टेडएक्स टॉक्स कार्यक्रम में बताया, ‘मुझे हॉर्स राइडिंग से डर लगता था. इसलिए मैंने स्वीमिंग चुना. पहली बार जब मैंने स्वीमिंग की तो मेरे पैर सामान्य से बेहतर चल रहे थे. जब मैं पानी से बाहर आया तो पैरों की हरकत भी कम हो गई. इससे अंदाजा हो गया कि पानी मेरे पैरों के लिए जादू का काम कर सकता है. आज इसी पानी ने मुझे पहचान दी है.’

निरंजन कहते हैं, ‘हर खिलाड़ी का सपना होता है कि वह देश के लिए खेले. जिस दिन मेरा भी यह सपना पूरा हुआ, वह मेरे लिए सबसे खुशी का दिन था. मैंने देश के लिए जो मेडल पहली बार देखा, वही मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है.’ साल 2018 में ही उनकी एक सर्जरी हुई थी. वे इसके बाद करीब दो महीने तक बेडरेस्ट पर थे. जैसे ही उनका बेडरेस्ट का समय पूरा हुआ, वे फिर स्वीमिंग पूल में थे... 

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