बांग्‍लादेश सरकार का 3500 लोगों को लेकर शेख हसीना पर बड़ा आरोप, कहा- भारत में बैठकर...!
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बांग्‍लादेश सरकार का 3500 लोगों को लेकर शेख हसीना पर बड़ा आरोप, कहा- भारत में बैठकर...!

Sheikh Hasina News: बांग्‍लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर बड़ा आरोप लगा है. अंतरिम सरकार के जांच आयोग ने कहा है कि शेख हसीना ने कई लोगों को जबरन गायब करवाया है.

बांग्‍लादेश सरकार का 3500 लोगों को लेकर शेख हसीना पर बड़ा आरोप, कहा- भारत में बैठकर...!

Bangladesh News: बांग्‍लादेश की अंतरिम सरकार अपदस्‍थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को घेरने के लिए नित नए प्रयोग कर रही है. अब अंतरिम सरकार के जांच आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना कई लोगों की जबरन गुमशुदगी की घटनाओं में शामिल रही हैं. इतना ही नहीं ऐसे मामलों की संख्‍या थोड़ी-मोड़ी नहीं बल्कि साढ़े 3 हजार बताई गई है. यानी कि शेख हसीना का 3500 लोगों को जबरन गायब करवाने में हाथ है. इस रिपोर्ट में हसीना के अलावा उनके डिफेंस एडवाइजर तारिक अहमद सिद्दीक, टेलीकम्युनिकेशन के पूर्व डॉयरेक्टर जियाउल अहसान और कई पुलिस अधिकारी को भी शामिल बताया गया है.

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यूनुस सरकार का सत्‍य का खुलासा

5 सदस्यीय आयोग ने बांग्‍लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस को 'सत्य का खुलासा'' शीर्षक से अपनी अंतरिम रिपोर्ट सौंपी है जिसके बाद यह बयान जारी किया गया है.  लोगों के लापता होने की घटनाओं की जांच के लिए गठित आयोग ने अनुमान लगाया है कि ऐसे मामलों की संख्या 3,500 से अधिक है.  

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मुख्य सलाहकार (सीए) के कार्यालय की प्रेस शाखा ने एक बयान में कहा, ''आयोग को इस बात के सबूत मिले हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के निर्देश पर लोगों को गायब किया गया. इसमें अपदस्थ प्रधानमंत्री के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसन, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम एवं मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल पाए गए.''

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फरार हैं सभी अधिकारी

बयान में कहा गया है कि सेना और पुलिस के ये सभी पूर्व अधिकारी फरार हैं. ऐसा माना जा रहा है कि वे छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह के बाद 5 अगस्त को हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद देश से बाहर से चले गए थे.

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बयान के अनुसार, आयोग के अध्यक्ष एवं उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस को बताया कि जांच के दौरान उन्हें एक व्यवस्थित तरीके की जानकारी मिली जिसके कारण इन घटनाओं का पता नहीं चल सका. लोगों को गायब करने या न्यायेतर हत्या करने वाले व्यक्तियों को भी पीड़ितों की जानकारी नहीं होती थी.

लोगों को गायब कराने में कई एजेंसियों ने मिलकर काम किया
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की विशिष्ट अपराध-विरोधी रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसी ने लोगों को जबरन ले जाने, उन्हें प्रताड़ित करने और हिरासत में रखने की घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक-दूसरे के साथ मिलकर काम किया. आरएबी में सेना, नौसेना, वायु सेना और पुलिस के लोग शामिल होते हैं. आयोग ने आतंकवाद रोधी अधिनियम, 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को खत्म करने का प्रस्ताव भी रखा.  

मानवाधिकार कार्यकर्ता और आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने इस तरह की घटनाओं के कारण लोगों के लापता होने की 1,676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 मामलों की जांच की है. इनमें से 200 लोग या 27 प्रतिशत पीड़ित कभी वापस नहीं लौटे और जो वापस लौटे, उनमें से अधिकतर को रिकॉर्ड में गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के तौर पर दिखाया गया है.  

मिले 8 गुप्‍त हिरासत केंद्र

आयोग में अध्यक्ष के अलावा न्यायमूर्ति फरीद अहमद शिबली, मानवाधिकार कार्यकर्ता नूर खान, निजी बीआरएसी विश्वविद्यालय की शिक्षिका नबीला इदरीस और मानवाधिकार कार्यकर्ता सज्जाद हुसैन भी शामिल हैं. इससे पहले आयोग ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की कि उसे ढाका और उसके बाहरी इलाकों में आठ गुप्त हिरासत केंद्र मिले हैं.

आयोग के अध्यक्ष ने शनिवार को यूनुस को बताया कि वह मार्च में एक और अंतरिम रिपोर्ट पेश करेंगे तथा सभी आरोपों की जांच पूरी करने के लिए उन्हें कम से कम एक और वर्ष लगेगा. यूनुस ने उनसे कहा है, ''आप वास्तव में बहुत महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं.  हम आपको हर तरह की सहायता देने के लिए तैयार हैं.''

नए कानून की मांग

टीवी चैनलों और सोशल मीडिया पर उन पीड़ितों के साक्षात्कार प्रसारित किए गए जिन्हें कथित रूप से गायब किया गया था. इन पीड़ितों में हसीना के शासन का सक्रिय रूप से विरोध करने वाले विपक्ष के कार्यकर्ता और पूर्व सैन्य अधिकारी शामिल हैं. यूनुस ने कल रिपोर्ट प्राप्त करते समय कहा कि वह कुछ संयुक्त पूछताछ कक्षों और गुप्त हिरासत केंद्रों का दौरा करेंगे क्योंकि वह पीड़ितों की पीड़ा के बारे में सीधे उन्हीं से जानकारी लेना चाहते हैं. रिपोर्ट में लोगों को गायब किए जाने की घटनाओं को अपराध घोषित करने के लिए एक नया कानून बनाने की मांग की गई है.  (भाषा)

 

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