चीन ने गुरुवार को कहा कि परमाणु परीक्षण करने पर रोक को लेकर वह प्रतिबद्ध है.
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बीजिंग: चीन ने गुरुवार को कहा कि परमाणु परीक्षण करने पर रोक को लेकर वह प्रतिबद्ध है. इसके साथ ही बीजिंग द्वारा गुप्त रूप से भूमिगत परमाणु परीक्षण शुरू करने के अमेरिका (America) के आरोप को गैर जिम्मेदाराना और गलत इरादे से दिया गया बयान करार दिया.
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक खबर के हवाले से कहा कि चीन संभवत: गोपनीय तरीके से भूमिगत परमाणु परीक्षण की तैयारी कर रहा है जबकि वह दावा करता है कि ऐसे विस्फोट के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध समझौते का अनुपालन करता है.
हांगकांग से प्रकाशित साउथ चाइन मॉर्निंग पोस्ट ने अमेरिकी खबर को उद्धृत करते हुए लिखा, ‘‘अमेरिका की चिंता चीन द्वारा परमाणु विस्फोट के लिए निर्धारित ‘‘जीरो इल्ड’’ मानक के संभावित उल्लंघन को लेकर है जो 2019 में पूरे साल चीन के लोप नूर परमाणु परीक्षण स्थल पर होने वाली गतिविधि से उत्पन्न हुई है.’’
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जीरो इल्ड का अभिप्राय ऐसे परमाणु परीक्षण से है जिसमें परमाणु मुखास्त्र के फ्रस्फोटन से श्रृंखलाबद्ध विस्फोट नहीं होता.
अमेरिका के आरोप पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि चीन उन पहले देशों में है जिसने व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) पर हस्ताक्षर किए और हमेशा इसके उद्देश्य एवं लक्ष्य का समर्थन करता है.
उल्लेखनीय है कि सीटीबीटी बहुपक्षीय संधि है जिसमें किसी भी जगह पर सैन्य एवं नागरिक उद्देश्य के लिए परमाणु विस्फोट पर रोक है. झाओ ने कहा, चीन परमाणु परीक्षण पर रोक को लेकर प्रतिबद्ध है.
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उन्होंने कहा कि चीन की सीमा के भीतर स्थापित निगरानी स्टेशन सीटीबीटी सचिवालय द्वारा मान्यता प्राप्त हैं. झाओ ने कहा, अमेरिका ने सभी तथ्यों को नजरअंदाज किया और चीन के खिलाफ अकारण आरोप लगाया. यह गैर जिम्मेदाराना और गलत इरादे से की गई टिप्पणी है. उन्होंने रेखांकित किया कि अमेरिका ने परमाणु नीति की समीक्षा में कहा कि वह जरूरत पड़ने पर भूमिगत परीक्षण को दोबारा शुरू करेगा.
उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इसपर सतर्क रहना चाहिए. हम अमेरिका से आह्वान करते हैं कि इस मामले पर अपना रुख बदले.’’