पीएम नरेंद्र मोदी की राह चला उनका 'दोस्त', खुद को बताया ‘मिस्टर सिक्योरिटी'
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पीएम नरेंद्र मोदी की राह चला उनका 'दोस्त', खुद को बताया ‘मिस्टर सिक्योरिटी'

भारत में लोकसभा 2019 के चुनाव के लिए मतदान गुरुवार 11 अप्रैल से शुरू हो रहा है. इस चुनाव के मुद्दे कुछ ऐसे हैं जिन पर इजराइल में भी चुनाव लड़ा गया जहां इसी सोमवार को भी वोट डाले गए थे. मतगणना में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं. 

नेतन्याहू की पार्टी को फिर मिल सकती है सत्ता..(फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: भारत में लोकसभा 2019 के चुनाव के लिए मतदान गुरुवार 11 अप्रैल से शुरू हो रहा है. इस चुनाव के मुद्दे कुछ ऐसे हैं जिन पर इजराइल में भी चुनाव लड़ा गया जहां इसी सोमवार को भी वोट डाले गए थे.  मतगणना में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं. नेतन्याहू को उनकी दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड और अन्य राष्ट्रवादी और धार्मिक पार्टियों को संसद में पूर्ण बहुमत मिलने की ज्यादा संभावना दिख रही है. 

इस सोमवार को आम चुनाव के लिए मतदान हुआ. मतगणना में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने के आसार दिखाई दे रहे हैं. नेतन्याहू को उनकी दक्षिणपंथी पार्टी लिकुड और अन्य राष्ट्रवादी और धार्मिक पार्टियों को संसद में पूर्ण बहुमत मिलने की ज्यादा संभावना दिख रही है. 

इन चुनावों से पहले भी यही लग रहा था कि नेतन्याहू को चुनौती देने वाला विपक्ष उतना मजबूत नहीं है कि उन्हें हटा सके. विशेषज्ञ इन चुनावों को भारत के आम चुनावों के साथ कई तरह से समान मान रहे हैं. जिस तरह भारत के चुनावों में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद को देश का चौकीदार बता रहे हैं. नेतन्याहू ने भी  खुद को इजराइल का ‘मिस्टर सिक्योरिटी’ कहा है. 

भारत की तरह ही राष्ट्रीय सुरक्षा बना प्रमुख मुद्दा
इन चुनावों में भारत की तरह इजराइल का चुनाव भी राष्ट्रीय सुरक्षा पर लड़ा गया है. दोनों देशों में चुनाव के केंद्र वहां के प्रधानमंत्री ही हैं. इजराइल में हुई मतगणना में अब तक 7.4 प्रतिशत मतों की गिनती हुई है जिसमें लिकुड और उसके अन्य सहयोगियों को संसद में 65 सीटों में से 55 सीटें मिल रही हैं. इन चुनावों में कई छोटे दल  अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस वजह से संसद का अंतिम स्वरूप अभी तय नहीं हुआ है. इसके बावजूद माना यही जा रहा है कि नेतन्याहू इस बार अपने प्रधानमंत्री बनने का नया रिकॉर्ड बना लेंगे. 

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इजराइल भी बढ़ रहा है दक्षिणपंथ की ओर
जिस तरह पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में दक्षिणपंथ और राष्ट्रवाद के पक्ष में चुनाव के नतीजे आ रहे हैं, इजराइल भी उससे अछूता नजर नहीं आ रहा है. चुनाव परिणाम ने इजराइल के दक्षिणपंथ की ओर लगातार झुकाव को प्रदर्शित किया है और इजरायल-फलस्तीनी संघर्ष का बातचीत के जरिए समाधान की उम्मीदों की तस्वीर धुंधली की है. फिर से चुने जाने से नेतन्याहू एक मजबूत नेता उभर कर आएंगे. 

नेतन्याहू मजबूत नेता बन कर उभरेंगे
भले ही अभी से ही यह माना जा रहा हो कि इजराइल में नेतन्याहू की पार्टी को बहुमत नहीं मिलेगा, लेकिन इतना भी तय है कि उनके अलावा किसी और दल या कोई और गठबंधन सरकार बना ले, मुश्किल ही है. इससे नेतन्याहू एक बड़े विजेता बनकर सामने आएं तो हैरानी नहीं होनी चाहिए. जो भी हो इतना तय है कि इजराइल में अब एक सत्तारूढ़ गठबंधन की सरकार बनाने के लिए आने वाले कुछ दिनों तक राजनीतिक वार्ताओं का दौर चलेगा. 

भारत की तरह ही हुआ है यहां का चुनाव
नेतन्याहू इन दिनों भ्रष्टाचार के आरोप झेल रहे हैं, उनका मुकाबला एक साफ छवि वाले सेवानिवृत्त जनरल बेनी गैंट्ज से है. ‘ब्ल्यू एंड वाइट’ गठबंधन के प्रमुख गैंट्ज हाल ही में राजनीति में आए हैं और अपनी छवि के मुताबिक साफ-सुथरी राजनीति का वादा कर रहे हैं. भारत में भी चुनाव प्रधानमंत्री और उनके खिलाफ मुकाबला हो रहा है. ऐसा ही कुछ इजराइल में देखने को मिला. यहां तक कि भारत के प्रधानमंत्री ने जहां “मैं हूं चौकीदार” का नारा दिया, वहीं नेतन्याहू ने खुद को “मिस्टर सिक्योरिटी” कह दिया था. 

(इनपुट भाषा)

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