जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने चीन को दिया ऐसा झटका, दशकों तक याद रखेगा ड्रैगन
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जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने चीन को दिया ऐसा झटका, दशकों तक याद रखेगा ड्रैगन

Giorgia Meloni: चीन के लिए यह इसलिए भी झटका है क्योंकि इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी ने हमेशा ही इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है. अब इटली ने आखिकारिक तौर पर अपना नाम वापस ले लिया है. माना जा रहा है कि दोनों देशों की दोस्ती के लिए यह बड़ा सेटबैक है.

जॉर्जिया मेलोनी की सरकार ने चीन को दिया ऐसा झटका, दशकों तक याद रखेगा ड्रैगन

Italy China Relationship: इटली की जॉर्जिया मेलोनी सरकार ने चीन को आखिरकार बड़ा झटका दे ही दिया है. हुआ यह कि इटली ने चीन के बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) से आधिकारिक रूप से वापसी कर ली है. यह राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. इसी के साथ ही यूरोप का वह पहला देश है जिसने बीआरआई में आने के लिए हामी भरी थी. पीएम मेलोनी हमेशा से ही इस प्रोजेक्‍ट के खिलाफ बोलती आई हैं. इटली ने 2019 में BRI में शामिल होने का फैसला किया था. इस पहल के तहत चीन दुनिया भर में सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों और अन्य बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश कर रहा है. जॉर्जिया मेलोनी सरकार के इस फैसले की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है.

फैसले के पीछे कई कारण हैं
दरसअल, एक्पर्ट्स के मुताबिक इटली के इस फैसले के पीछे कई कारण हैं. एक कारण यह है कि इटली पर चीन के कर्ज में बढ़ती चिंता है. दूसरा कारण यह है कि इटली को लगता है कि BRI उसके राष्ट्रीय हितों के अनुरूप नहीं है. इटली के इस फैसले का चीन पर क्या असर होगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि, यह स्पष्ट है कि यह फैसला BRI के भविष्य के लिए एक चुनौती है.बताया गया कि इटली के विदेश मंत्री लियोनॉर्डो डी'इलिया ने कहा कि इटली ने बीआरआई के साथ अपने समझौते को समाप्त कर दिया है, क्योंकि यह देश के हितों के अनुरूप नहीं था. डी'इलिया ने यह भी कहा कि बीआरआई परियोजना के तहत इटली को चीन से भारी कर्ज लेना पड़ रहा था, जो देश के लिए आर्थिक बोझ बन गया था.

बीआरआई एक महत्वाकांक्षी परियोजना
उन्होंने यह भी कहा कि इटली का लक्ष्य है कि वह अपनी विदेश नीति को अधिक स्वतंत्र बनाए और खुद को चीन के प्रभाव से मुक्त करे. इटली की यह घोषणा बीआरआई के लिए एक बड़ा झटका है. बीआरआई एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसके तहत चीन दुनिया भर में बुनियादी ढांचे के विकास में निवेश कर रहा है. चीन का लक्ष्य है कि बीआरआई के माध्यम से वह अपनी आर्थिक और राजनीतिक पहुंच को बढ़ाए. विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इटली का बीआरआई से हटना यूरोपीय संघ के अन्य देशों के लिए भी एक संकेत है.

 इस स्थिति को टालने की कई कोशिशें
यूरोपीय संघ भी बीआरआई परियोजना के बारे में चिंतित है और वह इस परियोजना के तहत चीन के साथ अपने संबंधों को संतुलित करना चाहता है. इटली की इस घोषणा का चीन पर क्या असर पड़ेगा, यह अभी स्पष्ट नहीं है. हालांकि, यह स्पष्ट है कि इटली की यह घोषणा बीआरआई परियोजना के लिए एक बड़ा झटका है. यह भी बताया जा रहा है कि इटली ने समझौते की शर्तों को बदलकर इस स्थिति को टालने की कई कोशिशें की थीं, लेकिन चीन की सरकार ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था.

हाल में बेल्ट एंड रोड फोरम का आयोज
वहीं एक तथ्य यह भी है कि इटली वह इकलौता जी7 देश था जो इस परियोजना में शामिल था. फिलहाल अब यह देखना होगा कि इस पर चीन किस तरह से प्रतिक्रिया देता है. हालांकि अभी तक दोनों देशों की तरफ से इस पर कोई भी आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है कि ऐसा क्यों हुआ है. मालूम हो कि 23 मार्च, 2019 को तत्‍कालीन इटैलियन पीएम ग्यूसेप कोंटे ने चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के साथ इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में बेल्ट एंड रोड फोरम का आयोजन किया था, जिसमें 23 देशों के प्रमुख शामिल हुए थे. लेकिन फोरम आयोजित होने के कुछ दिनों के भीतर ही इटली और फिलीपींस ने बाहर होने की योजना बना ली थी.

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