Ajit Doval News: कोई कमजोर देश अपने से ताकतवर देश को हराना चाहता है तो सॉफ्ट पावर का इस्तेमाल करे. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा है कि महात्मा गांधी ने भी अंग्रेजों के खिलाफ यही किया था.
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Ajit Doval On Mahatma Gandhi: राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल की नजर में महात्मा गांधी बेहतरीन रणनीतिकार थे. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि बापू ने अपने से मजबूत प्रतिद्वंद्वी को हराने के लिए 'सॉफ्ट पावर' का इस्तेमाल किया था. वह शुक्रवार (12 जनवरी) को वरिष्ठ पत्रकार और पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की किताब 'गांधी, ए लाइफ इन थ्री कैंपेन्स' के लॉन्च पर बोल रहे थे. डोभाल ने कहा कि अगर आप में अपने विरोधी को उस तरह से प्रभावित करने की क्षमता है जिस तरह से आप चाहते हैं कि वह प्रभावित हो, तो यह असली पावर है. सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा, 'द्वितीय विश्व युद्ध' और उसके बाद के युद्धों ने यह साबित करना शुरू कर दिया, कि राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए क्रूर सैन्य शक्ति सबसे अप्रभावी साधन थी. चाहे अमेरिकियों ने वियतनाम में कोशिश की हो या सोवियत संघ ने अफगानिस्तान में, वे दोनों उस समय दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश थे, लेकिन उन्होंने पाया कि उनसे बहुत कमजोर राष्ट्र उन्हें हराने में सक्षम थे.
गांधी की रणनीति से प्रभावित हुए डोभाल
NSA ने कहा कि ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं जहां सॉफ्ट पावर, सुपर पावर पर हावी होने में सक्षम रहा. गांधी इसके बहुत अच्छे उदाहरण हैं'. साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने कहा, कि 'उन्हें (महात्मा गांधी) को अहसास हुआ कि उनकी नैतिक शक्ति जिसे हम आज सॉफ्ट पावर कहते हैं, कहीं अधिक शक्तिशाली को हराने में सक्षम होगी. यह सॉफ्ट पावर सभ्यता, आपकी संस्कृति की शक्ति है. गांधी समझते थे कि एक बेहद शक्तिशाली प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ युद्ध में संभवत: हथियार भी अलग तरह के इस्तेमाल करने होंगे. उन्होंने कहा कि अब इस पर अधिक शोध और काम किया जा रहा है, कि कैसे सॉफ्ट पावर का उपयोग करके राष्ट्र सुपर पावर बनते हैं.
'गांधी भारत की आध्यात्मिक विरासत के वारिस'
एमजे अकबर की किताब के विमोचन समारोह में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान भी आए थे. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत की आध्यात्मिक विरासत के उत्तराधिकारी थे. वह सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता को राजनीतिक एकता में बदलने वाले और अहिंसक तरीकों से शक्तिशाली ब्रिटिश साम्राज्य को दृढ़ चुनौती देने के लिए इस नई शक्ति का इस्तेमाल करने वाले पहले व्यक्ति थे.