Emma Reilly: पहले अमेरिका की नाक के नीचे बनाई पुलिस चौकियां, अब UN पर कंट्रोल करना चाहता है चीन? दस्तावेजों के साथ चौंकाने वाला दावा
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Emma Reilly: पहले अमेरिका की नाक के नीचे बनाई पुलिस चौकियां, अब UN पर कंट्रोल करना चाहता है चीन? दस्तावेजों के साथ चौंकाने वाला दावा

Unites Nations News: संयुक्त राष्ट्र (UN) में समय-समय पर चीन (China) की पोलपट्टी खोलने वाली सामाजिक कार्यकर्ता और वकील एमा रिली (Emma Reilly) ने 'ड्रैगन' पर दादागिरी जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए विश्व व्यवस्था में छेड़छाड़ करने का दावा किया है. उन्होंने अपने दावों को लेकर कुछ सबूत भी पेश किए हैं.   

Emma Reilly: पहले अमेरिका की नाक के नीचे बनाई पुलिस चौकियां, अब UN पर कंट्रोल करना चाहता है चीन? दस्तावेजों के साथ चौंकाने वाला दावा

Chian UN conspiracy: वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) हो या वर्ल्ड ट्रे़ड ऑर्गेनाइजेशन (WTO), चीन (China) अपनी साजिशों को अंजाम देने के लिए मौका देखकर चौका मारने की आदत से बाज नहीं आ रहा है. यूनाइटेड नेशंस (UN) की व्हिसिलब्लोवर और मशहूर वकील ऐमा रीली (Emma Reilly) ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और उनके कई अफसरों की करतूतों का खुलासा करते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. ऐमा का कहना है कि चीन ने अब सीधे संयुक्त राष्ट्र संघ (United Nations) को टारगेट में लिया है. ऐमा का दावा है कि चीन 'साम-दाम-दंड-भेद' सबकुछ अपनाते हुए 'खुला खेल फर्रुखाबादी' की नई मिसाल पेश कर रहा है. ऐमी ने अपने दावों के पक्ष में कुछ दस्तावेज बतौर सबूत पेश किए हैं. 

दो आरोप दोनों पुराने लेकिन सबूत नए

यूएन की व्हिसलब्लोअर, ऐमा ने कुछ सबूत पेश करते हुए चौंकाने वाला दावा किया है कि चीन अपनी इमेज का मेकओवर करने के लिए विश्व व्यवस्था से छेड़छाड़ कर रहा है. चीनी अफसर अपनी प्राथमिकताओं को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को नया आकार देने की साजिश में काफी आगे बढ़ चुका है. इसचीनी रणनीति में सदस्य देशों के वोटों को प्रभावित करने के साथ अपनी आलोचना को दूर करने के लिए पहले आ चुकी रिपोर्टों को एडिट करके उन्हें अपने मनमुताबिक करवाया जाता है.

रिश्वत बांटकर संयुक्त राष्ट्र को खोखला कर रहा चीन?

इस काम के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) के अधिकारियों को रिश्वत तक दी जा रही है. ऐमा का आरोप है कि चीन शिनजियांग में मानवाधिकारों के हनन जैसे संवेदनशील विषयों पर चर्चा करने से बचने के लिए अक्सर संयुक्त राष्ट्र पर दबाव डालता है और मानवाधिकार एक्टिविस्ट के परिवारों को निशाना बनाकर असहमति की आवाज़ को दबाता है.

चीन ने कोरोना महामारी के समय चीन ने अपने देश में हुई मौतों के आंकड़े को छिपाकर रखा. विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को जांच करने से रोका और समय समय पर जनता के आक्रोश को दबाते हुए दुनिया से झूठ बोला. संयुक्त राष्ट्र संघ में जब ऐसी कई शिकायतें गईं तो अब वो यूएन के सर्वर पर अपनी खराब इमेज का पुराना डाटा डिलीट करवाकर सबकुछ अपने मन मुताबिक रिपोर्टें बनवा रहा है.

इस तरह चीन करेगा संयुक्त राष्ट्र पर नियंत्रण?

बीते कुछ सालों में चीन ने यूएन से संबंधित कई एजेंसियों के वरिष्ठ पदों पर चीनी नागरिकों को बड़े पैमाने पर एंट्री दिलाने में कामयाबी हासिल की है. ऐमी ने दस्तावेजों के हवाले से ये आरोप भी लगाया कि चीन ने कोविड की उत्पत्ति पर विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की रिपोर्ट को बड़े पैमाने पर एडिट कराया. चीनी कैंपों में उइगर मुसलमानों पर हुए अत्याचारों से जुड़ी रिपोर्टों को भी बदलवाया गया. जिन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के हवाले से ये रिपोर्ट आई थीं, उन्हें चीन विरोधी प्रोपेगेंडा का हिस्सा बताया गया.

दुनियाभर के देशों में चीन ने खोल रखे हैं निजी थाने

यूएन को टारगेट में लेने से पहले चीन ने दुनियाभर में अपनी पहुंच बनाने के लिए जो पैंतरा अपनाया था. उसे दुनिया जान चुकी है. सितंबर 2022 में स्पेन के नागरिक अधिकार समूह की एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ था कि चीन ने कई देशों में चीनी ओवरसीज पुलिस स्टेशनों (COPS)की स्थापना कर ली है. करीब सालभर पहले 53 देशों में चीन ने 100 से ज्यादा पुलिस स्टेशन खोलने का खुलासा हुआ था. एक रिपोर्ट के अनुसार, COPS का नेटवर्क चीन स्थित सार्वजनिक सुरक्षा ब्यूरो (PSB) द्वारा 2016 में स्थापित किया गया है. अलग-अलग देशों में स्थित चीन के इस थाने का काम चीन के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों पर नजर रखना है. इसके अलावा चीन से भागकर दूसरे देश पहुंचे नागरिकों को वापस चीन भेजने का दबाव बनाया जाता है. वहीं राजनीतिक विरोधियों और चीन से नाराज जैसे तिब्बतियों, उइगरों और चीन विरोधी आवाजों को कमजोर करने का काम भी इन्हीं अवैध पुलिस थानों के जरिए किया जाता है.

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