मदरसे के गेट पर टीचर को दबोचा, नीचे गिरा रेत डाली गर्दन, पाकिस्तान की लड़कियों को सजा-ए-मौत लेकिन...
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मदरसे के गेट पर टीचर को दबोचा, नीचे गिरा रेत डाली गर्दन, पाकिस्तान की लड़कियों को सजा-ए-मौत लेकिन...

Pakistan Blasphemy News: ईशनिंदा के लिए टीचर की हत्या करने वाली दो छात्राओं को पाकिस्तान में मौत की सजा सुनाई गई है. एक और छात्रा को उम्रकैद की सजा मिली है.

मदरसे के गेट पर टीचर को दबोचा, नीचे गिरा रेत डाली गर्दन, पाकिस्तान की लड़कियों को सजा-ए-मौत लेकिन...

Blasphemy In Pakistan: जर्मन दार्शनिक कार्ल मार्क्स ने कभी कहा था, 'धर्म जनता की अफीम है'. पाकिस्तान का हाल देखकर लगता है कि यह उससे कहीं आगे की चीज है. नफरत, उन्‍माद और हिंसा में डूबा पाकिस्तान अपनी अवाम को जॉम्बी बना रहा है. ऐसे जॉम्बी जो ईशनिंदा के नाम पर गले काटते हैं. इस्लाम की बेअदबी हुई... ये जॉम्बी इतना सुनते ही निकल पड़ते हैं. उन्हें जरा भी फर्क नहीं पड़ता कि ईशनिंदा का आरोप सच है या नहीं. ऐसे ही तीन महिला जॉम्बियों ने अपनी मदरसा टीचर का गला रेत दिया. उनमें से दो को एक लोकल कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई है. तीसरी लड़की नाबालिग है इसलिए उसे उम्रकैद हुई है. मामला मार्च 2022 का है. महिला टीचर मदरसे से बाहर निकल रही थी कि गेट पर इन तीनों ने उसे घेर लिया. पहले लाठियों से पीटा फिर चाकू निकाला और सरेआम उसका गला रेत डाला. गिरफ्तारी के बाद इन लड़कियों ने गुनाह कबूल कर लिया. क्‍यों मारा? पूछने पर एक बताती है कि उसकी किसी रिश्तेदार को सपना आया था कि टीचर ने ईशनिंदा की है. जरा सोचिए, किसी को सपना आया और उसके आधार पर इन तीनों ने बर्बरता से टीचर का गला काटने में जरा भी हिचक नहीं दिखाई. आखिर पाकिस्तान में इस तरह की हैवानियत के लिए जिम्मेदार कौन है?

पाकिस्तान में 'ईशनिंदा' पर टीचर की हत्या : पूरा केस क्‍या है?

ये तीनों लड़कियां खैबर पख्तूनख्वा के डेरा इस्माइल खान के जामिया इस्लामिया फलाह मदरसा में पढ़ती थीं. उनके नाम रजिया हनफी, आयशा नौमानी और उमरा अमन हैं. हनफी की उम्र 23 साल और अमन की उम्र 24 साल है. आयशा की उम्र महज 16 साल है. मार्च 2022 में उन्होंने अपनी टीचर, सफूरा बीबी को बेरहमी से कत्ल कर दिया, यह कहते हुए कि उसने ईशनिंदा की है. तीनों की गिरफ्तारी के बाद, मौके से लाठियां और चाकू बरामद हुए थे. तीनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. ट्रायल के बाद एक स्थानीय अदालत ने हनफी और अमन को सजा-ए-मौत दी. आएशा वारदात के समय नाबालिग थी, इसलिए उसे अधिकतम उम्रकैद ही दी जा सकती थी.

ईशनिंदा पर पाकिस्तान का कानून क्‍या कहता है?

धर्म से जुड़े अपराधों को अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड, 1860 में शामिल किया था. 1927 में इनका दायरा और बढ़ाया गया. 1947 में जब पाकिस्तान अलग मुल्‍क बना तो उसने इन कानूनों को जस का तस अपना लिया. 1980 के दशक में जब जनरल जिया-उल हक की हुकूमत आई तो इन कानूनों को बेहद कड़ा बना दिया गया. 1980 में, इस्लामी हस्तियों के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करना अपराध बना दिया गया. इसके तहत, अधिकतम तीन साल की जेल की सजा थी. 1982 में एक और धारा जोड़ी गई. उसमें कुरान के 'जानबूझकर' अपमान के लिए उम्रकैद का प्रावधान किया गया. 1986 में, पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ ईशनिंदा पर कानून बना. इसके दोषी को 'मृत्यु, या आजीवन कारावास' की सजा सुनाई जाती है. ईरान, ब्रुनेई जैसे कई अन्य देशों में भी धर्म के अपमान पर मौत की सजा का प्रावधान है. 

पाकिस्तान में इन कानूनों का इस्तेमाल निजी बदले या अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाने बनाने के लिए होता रहा है. राष्ट्रीय न्याय और शांति आयोग (NCJP) के आंकड़ों से पता चलता है कि 1987 से 2018 तक, कुल 776 मुसलमानों, 505 अहमदियों, 229 ईसाइयों और 30 हिंदुओं पर ईशनिंदा कानून की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं. अदालतें भी ईशनिंदा के मामलों में सजा-ए-मौत देने से नहीं कतरातीं. हालांकि, ईशनिंदा के तहत अभी तक पाकिस्तान में किसी को सूली पर चढ़ाया नहीं गया है.

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कट्टरपंथी पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का खूब दुरुपयोग होता है : एमनेस्‍टी इंटरनेशनल

ऐसी हैवानियत कहां से आती है, जिम्मेदार कौन?

पाकिस्तान एक मुस्लिम मुल्क है. वहां की करीब 96% आबादी मुस्लिम है. पाकिस्तान में ईशनिंदा का आरोप लगना मतलब मौत तय है! अगर धर्म के नाम पर गला काटने वाले सिरफिरों से बच गए तो अदालतें नहीं छोडेंगी. पाकिस्तान में ईशनिंदा की सजा मौत है. मगर बहुत सारे मामलों में बात अदालत तक पहुंच ही नहीं पाती. भीड़ कानून अपने हाथ में लेकर फैसला सुना देती है.

पाकिस्तान की वो पुलिस अफसर कौन है, जो महिला की जान लेने पर उतारू भीड़ से अकेले भिड़ गई थी

अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग (USCIRF) ने दिसंबर 2023 में पाकिस्तान में ईशनिंदा पर एक रिपोर्ट जारी की. इसके मुताबिक, पाकिस्तान में 1987 से कम से कम 89 लोग ईशनिंदा के आरोपों के लिए भीड़ के हाथों मारे गए.  2,100 से ज्यादा लोगों पर ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है. कम से कम 40 ऐसे हैं जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई है. पाकिस्तान में बच्चों सहित पाकिस्तानी, मानसिक रूप से बीमार और बुजुर्गों पर भी ईशनिंदा का आरोप लगाया गया है. 

पाकिस्तान में ऐसे तमाम समूह सक्रिय हैं जो ईशनिंदा के मामलों में हिंसा को बढ़ावा देते हैं. अल्पसंख्यकों से लेकर राजनीतिक हस्तियां, छात्र, धर्मगुरु तक उन्मादी भीड़ के शिकार हुए हैं. किसी को जिंदा जला दिया गया, किसी को सरेआम सूली पर लटका दिया, किसी को भरी अदालत में गोलियों से भूना गया तो किसी का सड़क किनारे गला रेत दिया गया. पाकिस्तान में कट्टरपंथी सोच का आलम यह है कि जब भीड़ हिंसा पर उतारू होती है तो पुलिस मूकदर्शक बनी रहती है. 

पाकिस्तान में 'ईशनिंदा' से जुड़ी हालिया घटनाएं

इसी महीने, पंजाब प्रांत की एक अदालत ने 22 साल के छात्र को ईशनिंदा के लिए मौत की सजा सुनाई थी. अदालत ने कहा कि उसने मुस्लिमों की भावनाएं आहत करने की नीयत से तस्वीरें और वीडियो व्हाट्सएप पर शेयर किए. उसी मामले में 17 साल के एक लड़के को उम्रकैद की सजा हुई. दोनों बार-बार अदालत से कहते रहे कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है.

पिछले महीने, लाहौर में एक महिला की अरबी प्रिंट वाली कुर्ती को लोगों ने कुरान की आयतें समझ लिया. भीड़ ने उसे ऐसा घेरा कि बेचारी की जान पर बन आई थी. अगर पुलिस दखल न देती तो भीड़ शायद उस महिला को पीट-पीटकर मार देती.

अगस्त 2023 में, जरांवाला शहर में दो ईसाई व्यक्तियों पर कुरान के पन्ने फाड़ने का आरोप लगा. उसके बाद पूरे शहर में आग सी लग गई. मुसलमानों ने तमाम चर्च को फूंक दिया और अल्पसंख्यक ईसाइयों के घरों में घुसकर तोड़फोड़ की. 

अगस्त में ही, बलूचिस्तान में कुछ बंदूकधारियों ने एक इंग्लिश टीचर, अब्दुल रऊफ बलोच को गोलियों से भून दिया था. रऊफ पर उसके कुछ स्टूडेंट्स ने ईशनिंदा का आरोप लगाया था. वह उलेमाओं के सामने अपनी बात रखने ही जा रहे थे जब उनकी हत्या कर दी गई.

मई 2023 में, मर्दन जिले में सियासी रैली के दौरान भीड़ ने मौलाना निगार आलम की हत्या कर दी थी. आलम ने कथित रूप से रैली के आखिर में ऐसी टिप्पणी कर दी थी जिससे ईशनिंदा होती थी. आलम को भीड़ से बचाने के लिए पुलिस ने उन्हें एक नजदीकी दुकान में बंद किया था लेकिन दरवाजा तोड़ते हुए लोग भीतर घुस गए. आलम को बाहर निकालकर मौत के घाट उतार दिया गया.

फरवरी 2023 में, ननकाना साहिब शहर में गुस्साई भीड़ ने मोहम्मद वारिस को पीट-पीटकर मार डाला था. वारिस को पुलिस ने ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया था. हजारों की भीड़ थाने पर जमा हुई, वारिस को घसीटकर बाहर लाया गया. उसके कपड़े फाड़ दिए गए और फिर लाठी-डंडों से तब तक पीटा गया जब तक उसका दम नहीं निकल गया.

फरवरी 2022 में, पंजाब प्रांत में भीड़ ने एक मानसिक रोगी को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार दिया था. स्‍थानीय मस्जिद के मौलवी ने उसपर कुरान की बेअदबी का आरोप लगाया था. पुलिस आरोपी को कस्टडी में लेने गई थी तो पथराव हुआ और पुलिस उल्टे पांव वापस लौट गई. फिर 300 से ज्यादा लोगों की भीड़  उस मरीज पर टूट पड़ी.

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