Shehbaz Sharif: ‘जो बोओगे वही काटोगे’- बांग्लादेश में शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़ जाने पर पाकिस्तानी PM हुए खुश
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Shehbaz Sharif: ‘जो बोओगे वही काटोगे’- बांग्लादेश में शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़ जाने पर पाकिस्तानी PM हुए खुश

Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में शेख हसीना की सत्ता जाने के बाद देश में कई जगहों पर उनके पिता और देश के संस्थापक माने जाने वाले शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियां तोड़ी गई थीं. 

Shehbaz Sharif: ‘जो बोओगे वही काटोगे’- बांग्लादेश में शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़ जाने पर पाकिस्तानी PM हुए खुश

Pakistan News: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद देश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्तियां तोड़े जाने से पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ खासे खुश नजर आते हैं.  द न्यूज इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बुधवार को कहा कि पाकिस्तान के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को अब परिणाम भुगतने पड़ रहे हैं.

इस्लामाबाद में राष्ट्रीय युवा सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'जो बोओगे वही काटोगे.' उनका इशारा शेख मुजीब की मूर्तियां तोड़े जाने की तरफ था.

बता दें बांग्लादेश में आरक्षण विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना के अचानक इस्तीफा देने और देश छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा. इसके बाद देश में अराजकता की स्थिति पैदा हो गई.

शेख मुजीब की विरासत को मिटाने की कोशिश
उथल पुथल के दौर में जिस तस्वीरों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा वे थीं शेख मूजीब की मूर्तियों को गिराए जाने से जुड़ी थी. बात सिर्फ मूर्तियां गिराए जाने तक ही सीमित नहीं रही. बांग्लादेश में 'राष्ट्रपिता' की विरासत को मिटाने की मुहिम सी चल रही है. पहले शेख मुजीब की मूर्तियों को तोड़ा गया, उनको समर्पित एक म्यूजियम को आग के हवाले कर दिया गया, एक्सप्रेसवे से उनकी नेमप्लेट भी हटाई गई. इतना ही नहीं उनकी पुण्यतिथि (15 अगस्त) पर होने वाली सार्वजनिक छुट्टी को अंतरिम सरकार ने रद्द कर दिया. अपने ही 'राष्ट्रपिता' की पहचान को मिटाने की कोशिशों ने दुनिया को हैरान कर दिया.

कौन थे शेख मुजीबुर्रहमान?
बता दें शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान को बांग्लादेश के 'राष्ट्रपिता' माने जाते हैं. उन्होंने 1971 में पाकिस्तान से देश (तत्कालीन ईस्ट पाकिस्तान) की स्वतंत्रता का नेतृत्व किया और इसके पहले राष्ट्रपति बने. हालांकि  15 अगस्त 1975 में एक सैन्य तख्तापलट में मुजीब और उनके पूरे परिवार की हत्या कर दी गई. उनकी दो बेटियां हसीना और रेहाना विदेश में होने की वजह से बच गईं.

 

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