Panchang 10 Sep: शनिवार को जरूर करें ये उपाय, शनिदेव होंगे मेहरबान; जानें आज का शुभ मुहूर्त और पंचांग

Aaj Ka Panchang: आज शनिवार है. शनिवार के दिन शनिदेव का पूजन किया जाता है. शनि को न्याय देवता कहा जाता है. व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से शनिदेव फल देते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 10, 2022, 06:43 AM IST
  • जानिए आज का पंचांग
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Panchang 10 Sep: शनिवार को जरूर करें ये उपाय, शनिदेव होंगे मेहरबान; जानें आज का शुभ मुहूर्त और पंचांग

नई दिल्लीः Aaj Ka Panchang आज शनिवार है. शनिवार के दिन शनिदेव का पूजन किया जाता है. ये दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है. शनि को न्याय देवता कहा जाता है. व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से शनिदेव फल देते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनिदेव जब किसी व्यक्ति पर मेहरबान होते हैं तो उसका जीवन बदल जाता है. वो आर्थिक, शारीरिक और मानसिक तीनों रूप से समृद्ध होता है. पहले आपको आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त बताते हैं.

आज का पंचांग
भाद्रपद - शुक्ल पक्ष - पूर्णिमा - शनिवार
नक्षत्र- शतभिषा नक्षत्र
महत्वपूर्ण योग- धृति योग
चन्द्रमा का कुंभ के उपरांत मीन राशि पर संचरण
आज का शुभ मुहूर्त - 11.59 बजे से 12.48 बजे तक
राहु काल- 09.19 बजे से 10.51 बजे तक

त्योहार- पूर्णिमा, महालय श्राद्ध पक्ष प्रारंभ, वक्री बुध
आज भाद्रपद पूर्णिमा भी है. धर्मशास्त्र की दृष्टिकोण से भाद्रपद पूर्णिमा का बड़ा ही महत्व है. आज भाद्रपद मास की अंतिम तिथि है और कल से आश्विन मास और पित्र पक्ष प्रारंभ हो रहा है. यह पित्रपक्ष 15 दिन का होता है और यह पूर्वजों की मोक्ष की प्राप्ति के लिए बड़ा ही महत्वपूर्ण दिन माना जाता है. इसकी चर्चा कल करेंगे.

गुप्त मनोकामना की पूर्ति के लिए क्या करें
सायकाल से पहले एकाक्षी नारियल, पांच कौड़ी, पांच लौंग, पांच इलायची और सिक्के को लाल वस्त्र में लपेटकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और अपनी मनोकामना का स्मरण करें.

शनिवार को सरसों के तेल से जलाएं दीपक
शनिवार को शनि दोष से पीड़ित जातकों को शनिदेव की पूजा-अर्चना अवश्य करनी चाहिए. शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधि पूर्वक पूजन करें. इसके बाद हर दिन शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजन करें और सरसों के तेल से दीपक जलाएं. तथा नीला या काला फूल चढ़ाएं.

मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं शनि
ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, रोग, पीड़ा, विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, कर्मचारी, सेवक, जेल आदि का कारक माना जाता है. यह मकर और कुंभ राशि का स्वामी होता है. तुला राशि शनि की उच्च राशि है, जबकि मेष इसकी नीच राशि मानी जाती है.

हिंदू धर्म में शनि ग्रह शनि देव के रूप में पूजे जाते हैं. शनि इस पृथ्वी में सामंजस्य को बनाए रखते हैं और जो व्यक्ति के बुरे कर्म करता है वह उसको दंडित करते हैं.

नवग्रहों में शनि की गति सबसे धीमी
हिंदू धर्म में शनिवार के दिन लोग शनि देव की आराधना में व्रत करते हैं तथा उन्हें सरसों का तेल अर्पित करते हैं. शनि का गोचर एक राशि में ढाई वर्ष तक रहता है. ज्योतिषीय भाषा में इसे शनि ढैय्या कहते हैं. नौ ग्रहों में शनि की गति सबसे मंद है. शनि की दशा साढ़े सात वर्ष की होती है, जिसे शनि की साढ़े साती कहा जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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