नई दिल्ली: आंवला नवमी का व्रत रखने वाले स्त्री व पुरूष प्रातः जल्दी उठकर स्नान आदि से मुक्त होकर नऐ वस्त्र धारण करें. जिसके बाद सूर्य भगवान को पानी चढाकर पीपल व तुलसी के पेड़ में पानी चढ़ाने का विधान है. इसके बाद आंवले के पेड़ में पानी चढ़ाकर पूर्व दिशा की और मुह करके उसी वृक्ष के नीचे बैठ जाना है.
अब आंवले के पेड़ को रौली, मौली, चावल, पुष्प, फल, अक्षत, नैवेद्य आदि चढ़ाकर विधिवत रूप से पूजा करे. पूजा के बाद आंवले के पेड़ की जड़ो में कच्चा दूध चढ़ाएं. इसके बाद उस पेड़ के चारों ओर कच्चा धागा बांधना चाहिए.
इसके बाद कपूर बाती या शुद्ध घी की बाती से पेड़ की आरती उतारें, जिसके बाद पेड़ के चारों ओर सात परिक्रमा करनी चाहिए. जिसके पश्ताच आंवला/अक्षत नवमी व्रत कथा सुनें. जिसके बाद उसी पेड़ के नीचे ब्राह्मण को भोजन कराएं. भोजन कराने के बाद यथा शक्ति दान-दक्षिणा देकर स्वयं भोजन ग्रहण करें.
आंवला नवमी पूजन में इस सामग्री का करें इस्तेमाल
1- आंवले का पौधा पत्ते एवम फल, तुलसी के पत्ते एवम पौधा
2- कलश एवं जल
3- कुमकुम, हल्दी, सिंदूर, अबीर, गुलाल, चावल, नारियल, सूत का धागा
4- धूप, दीप,
5- श्रृंगार का सामान, साड़ी ब्लाउज
6- दान के लिए अनाज
आंवला नवमी है शुभ फलदायी
भारतीय सनातन पद्धति में संतान रत्न की प्राप्ति के लिए महिलाओं द्वारा आंवला नवमी की पूजा को महत्वपूर्ण माना गया है. कहा जाता है कि यह पूजा व्यक्ति के समस्त पापों को दूर कर पुण्य फल की प्राप्ति करवाती है. इसके चलते कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को महिलाएं आंवले के पेड़ की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करती हैं.
जानिए आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त
02 नवंबर 2022 बुधवार
आंवला नवमी तिथि प्रारंभ- 01 नवंबर 2022 को रात्रि 11.04 पर
आंवला नवमी तिथि समाप्त- 02 नवंबर 2022 रात्रि 09.09 मिनट पर
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