देवी पार्वती के हृदय से निकली तीस्ता नदी, जिसके जल के लिए बेकरार है बांग्लादेश

तीस्ता नदी भी भारत की पौराणिक नदी है जो कि पूर्व दिशा की भूमि को सींचती है. यहां कि वह मुख्य नदी है और आस्था का केंद्र भी. तीस्ता का शाब्दिक अर्थ है तृष्णा. यानी कि जिसका कभी अंत न हो. इसके अलावा तीस्ता नदी का एक प्राचीन नाम भी है, जिसे त्रि-स्त्रोता कहते हैं. यानि कि जल के तीन स्त्रोत.

Written by - Vikas Porwal | Last Updated : Mar 26, 2021, 09:36 AM IST
  • देवी पार्वती के हृदय से निकली है तीस्ता नदी
  • तीस्ता का अर्थ है त्रि-स्त्रोता यानी तीन धाराएं
देवी पार्वती के हृदय से निकली तीस्ता नदी, जिसके जल के लिए बेकरार है बांग्लादेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को बांग्लादेश के दौरे के लिए जा रहे हैं. बांग्लादेश की स्वतंत्रता के 50 साल पूरे होने के मौके पर कई कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं. पीएम मोदी और बांग्लादेश में उनकी समकक्ष शेख हसीना की यह मुलाकात दोनों देशों के बीच कूटनीतिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक-सामाजिक संबंधों के बीच अहम कड़ी बनेगी. 

दो दिवसीय दौरा और तीस्ता जल समझौता
इस दो दिवसीय दौरे के बीच यह भी अटकलें हैं कि भारत और बांग्लादेश के बीच कई अहम समझौते भी हो सकते हैं. इस दौरान जो मुद्दा सबसे अधिक चर्चित है वह है तीस्ता जल विवाद और तीस्ता समझौते का.

बांग्लादेश भारत से बहने वाली इस नदी के जल की मांग कर रहा है जो कि बांग्लादेश से भी होकर बहती है. वह इस जलराशि को बढ़ाने की मांग कर रहा है. इसके लिए पिछली सरकारों के साथ भी कई दौर की बातें हो चुकी हैं. 

भारत देश में नदियां सांस्कृतिक धरोहर
भारत देश के लिए नदियां भूमि पर बहने वाली केवल पानी की धारा ही नहीं हैं, बल्कि वह जीती-जागती सांस्कृतिक धरोहर हैं. गंगा की पवित्रता को त्रिदेवों में एक भगवान विष्णु का वरदान माना जाता है. इसी तरह यमुना, सरस्वती, नर्मदा, कावेरी भी अपना पौराणिक महत्व रखती हैं. 

पौराणिक नदी है तीस्ता
तीस्ता नदी भी भारत की पौराणिक नदी है जो कि पूर्व दिशा की भूमि को सींचती है. यहां कि वह मुख्य नदी है और आस्था का केंद्र भी. तीस्ता का शाब्दिक अर्थ है तृष्णा. यानी कि जिसका कभी अंत न हो. इसके अलावा तीस्ता नदी का एक प्राचीन नाम भी है, जिसे त्रि-स्त्रोता कहते हैं. यानि कि जल के तीन स्त्रोत.

दरअसल तीस्ता नदी तीन नदियों करतोया, अत्रे एवं जमुनेश्वरी नदियों का संगम है. इसलिए इसे संस्कृत ग्रंथों और मंत्रों में त्रि-स्रोता नाम मिला है. पाली भाषा में यही नदी तंडा कहलाती है. 

मां पार्वती से जुड़ी है तीस्ता की कथा
वेद और पुराणों की कल्पना में कालिकापुराण में इस नदी का वर्णन किया गया है. जहां इसकी कथा भी शिव-पार्वती से होकर निकलती है. पुराण कथा के अनुसार तीस्ता नदी को हिमालय पर्वत की ही छोटी पुत्री के रूप में जाना जाता है. 

जब असुरों ने किया स्त्रियों का अपमान
कथा है कि एक बार असुरों की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें शक्ति का वर दिया. असुर शिव भक्त तो थे लेकिन देवी पार्वती को प्रति घृणा रखते थे. वह उन्हें सामान्य स्त्री ही समझते थे और कुत्सित मानसिकता के प्रभाव में हर स्त्री को तुच्छ समझते थे. अपने राज्य में वह लगातार स्त्री अपमान करते रहते थे.

तब सभी महिलाओं ने देवी आदिशक्ति को पुकारा. जब देवी ने असुरों को चेतावनी दी तब उन्होंने माता पार्वती का भी अपमान कर दिया. 

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देवी पार्वती की कृपा है तीस्ता
इसके बाद देवी पार्वती एवं असुरों के मध्य भयंकर युद्ध हुआ. युद्ध में घायल होने के बाद और मरणासन्न स्थिति में पहुंचे असुरों ने स्त्री की शक्ति को पहचाना और देवी पार्वती को माता कहते हुए प्रार्थना की. उन्होंने कहा कि वह थक गए हैं और उन्हें प्यास भी लगी है. उनकी करुण पुकार सुनकर माता के हृदय से तीन धाराएं फूट पड़ीं.

यही धारा तीस्ता के नाम से प्रसिद्ध है और आज भी संसार की प्यास बुझा रही है. 

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