Amrish Puri Special: सरकारी नौकरी छोड़ अमरीश पुरी बने सबसे बड़े खलनायक, शूटिंग में लगी चोट ने ले ली जान

Amrish Puri Special: अमरीश पुरी का नाम हमेशा ही भारतीय सिनेमा के बेहतरीन विलेन्स की लिस्ट में लिया जाएगा. उन जैसा कलाकार न कभी आया और न ही कभी आएगा. चलिए आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर 'मोगेम्बो' से जुड़ी कुछ खास बातों पर नजर डालते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 12, 2024, 09:00 AM IST
    • बहुत जिंदादिल शख्स थे अमरीश
    • हर किरदार में डाल देते थे जान
Amrish Puri Special: सरकारी नौकरी छोड़ अमरीश पुरी बने सबसे बड़े खलनायक, शूटिंग में लगी चोट ने ले ली जान

Amrish Puri Special: किसी भी फिल्म को हिट बनाने के लिए उसमें विलेन का होना भी उतना ही जरूरी है, जितना उसके हीरो का होना है. वहीं, जब भी भारतीय सिनेमा के विलेन्स की चर्चा होती है तो उसमें सबसे पहला नाम अमरीश पुरी का आता है. उन्होंने जो भी किरदार पर्दे पर उतारे, वो दर्शकों के दिलों में ऐसे बसे कि फिर उन्हें भुलाया नहीं जा सका. अमरीश के निभाए हुए रोल्स ही नहीं, उनके डायलॉग्स भी ऐसे मशहूर हुए कि आज तक अक्सर लोगों की जुबां से सुनने को मिल जाते हैं.

12 जनवरी को दुनिया को अलविदा कह गए अमरीश पुरी

अमरीश पुरी आज बेशक हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन अपने अनोखे अंदाज, दमदार आवाज और फिल्मों के कारण हमेशा दर्शकों के दिलों जिंदा रहेंगे. अमरीश ऐसे पर्दे पर ऐसे विलेन बनकर उभरे कि उन जैसा या उनके आस-पास भी कोई दूसरा एक्टर कभी हो ही नहीं सकता. एक्टर ने 12 जनवरी, 2005 को हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. चलिए आज उनकी पुण्यतिथि के मौके पर एक्टर की जिंदगी से जुड़ी कुछ दिलचस्प किस्सों पर चर्चा करते हैं.

अमरीश पुरी ने एक्टिंग के लिए छोड़ी सरकारी नौकरी

फिल्मों में एक्टिंग करियर की शुरुआत से पहले अमरीश पुरी बीमा निगम में क्लर्क के तौर पर करीब 21 सालों तक सरकारी नौकरी की. इसी दौरान एक दिन उनकी मुलाकात थिएटर डायरेक्टर इब्राहिम अल्काजी से हुई. उन्होंने अमरीश को थिएटर जॉइन करने की सलाह दी. वहीं, अमरीश के दिल के कोने में भी शायद यही इच्छा दबी थी. उन्होंने कुछ समय बाद ही नौकरी छोड़ी थिएटर करने लगे. इसी दौरान उनकी मुलाकात सत्यदेव दुबे से हुई. इसके बाद उन्हें 'रेशमा और शेरा' के लिए कास्ट कर लिया, जो 1971 में रिलीज हुई. 

17 मिनट बिना पलकें झपकाए की एक्टिंग

अमरीश पुरी उन कलाकारों में से थे, जो अपने हर किरदार को पूरी शिद्दत से पर्दे पर पेश करते थे. जब वह थिएटर कर रहे थे तब उन्होंने धर्मवीर भारती का लिखा नाटक ‘अंधा युग’ में भी धृतराष्ट्र का किरदार निभाया. यह अमरीश का पहला नाटक था. उनका किरदार अंधे रहने का था. वहीं, उनके लंबे-लंबे लंबे मोनोलॉग भी थे. इस नाटक में अमरीश को बिना पलकें झपकाए अपना किरदार निभाना था, जिसे लेकर एक्टर के साथ-साथ हर कोई परेशान था. हालांकि, जब नाटक शुरू हुआ तो अमरीश पुरी ने 17 मिनट तक बिना पलकें झपकाए इस नाटक को पूरा कर दिखाया. उनके इस जज्बे को देख हर कोई हैरान था.

शूटिंग के दौरान हुआ एक्सीडेंट बन गया गंभीर बीमारी

अमरीश पुरी के बेटे राजीव पुरी ने एक बार अपने एक इंटरव्यू में बताया था कि 2003 में अमरीश हिमाचल प्रदेश में फिल्म 'जाल: द ट्रैप' की शूटिंग कर रहे थे. उस दौरान एक्टर का बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ था, जिसमें उन्हें गंभीर चोटें आई थी और काफी खून बह गया था. इसके बाद उन्हें तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान कुछ ऐसी गड़बड़ हो गई कि एक्टर को खून से जुड़ी बीमारी मायलोइड्सप्लास्टिक सिंड्रोम हो गया था. इस बीमारी के कारण ही उनकी भूख कम होने लगी और धीरे-धीरे वह कमजोर होते चले गए.

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