दुश्मन चीन की फिर धमकी - भारत आग से न खेले तो बेहतर !

दुश्मन चीन की जान भारत से कितनी जली हुई है- इसका मुजाहिरा है ये धमकी. हालांकि चीन को अच्छी तरह से पता है कि भारत उन देशों में नहीं है जो चीन की धमकी में आ जाएं, फिर भी चीन जब चीन के बस में कुछ नहीं रहा तो वो अब धमकियों पर उतारू है..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 5, 2020, 02:32 PM IST
    • भारत को चीन की फिर चेतावनी - भारत आग से न खेले तो बेहतर !
    • अमेरिकी राष्ट्रपति के G-7 निमंत्रण से जला चीन
    • ट्रम्प ने भारत और रूस को दिया निमंत्रण
    • चीनी धमकी का अर्थ आर्थिक क्षति है
दुश्मन चीन की फिर धमकी - भारत आग से न खेले तो बेहतर !

नई दिल्ली.  गौर करने वाली बात ये है कि अमेरिका को चीन ने अब तक एक भी धमकी नहीं दी है जबकि अमेरिका उसे लगातार धमकी देते हुए उस पर कार्रवाई करने पर तुला हुआ है. चीन को एक बात अभी तक समझ नहीं आई है कि भारत मोदीराज में चीन के पिट्ठू देशों का उदाहरण नहीं है बल्कि एक वैश्विक शक्ति है जिसे अमेरिका अपने साथ जोड़ना चाह रहा है और जिसे दुनिया के सभी बड़े देशों का समर्थन प्राप्त है. 

 

ट्रम्प के G-7 निमंत्रण से जला चीन    

भारत तो पहले ही आदमकद था अब और आदमकद होता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने पहले भारत को G-7 में शामिल करने की घोषणा की, उसके बाद उस घोषणा को कार्यान्वित करते हुए भारतीय प्रधानमंत्री को फ़ोन कर उनसे इस संबंध में बाकायदा आग्रह भी किया है. भारत को मिल रही इस अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा से ईर्ष्याग्रस्त हो कर चीन ने भारत को फिर से चेतावनी दी है कि भारत आग से खेल रहा है, कहीं अपना सब कुछ न जला बैठे!

अमेरिका का भारत और रूस को निमंत्रण 

चीन से बुरी तरह कुपित अमेरिका G-7 देशों में दो बड़े देशों को शामिल करना चाहता है. इसके लिए ट्रम्प ने रूस से भी बात की लेकिन रूस ने इस प्रस्ताव के प्रति फिलहाल अनिच्छा ही प्रकट की है किन्तु चीनी वायरस की महामारी से बुरी तरह जूझता रूस भविष्य में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर सकता है. भारत और रूस को इस तरह अमेरिका के पाले में जाते देखना चीन को नागवार गुजर रहा है.

 

चीनी धमकी का अर्थ आर्थिक क्षति है 

चीनी धमकी के शब्द आग से खेलने का अर्थ है कि भारत यदि चीन के दुश्मन देशों के पाले में गया तो उसे भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है.  मंदबुद्धि चीन को समझना चाहिए ये धमकी तो उसे भारत की सीमा पर आक्रामक तेवर अपनाने के पहले देनी चाहिए थी तब शायद बात कुछ समझ में आती. आज जब भारत से उसने खुल कर दुश्मनी कर ही ली है तो उसकी धमकी और चेतावनी का कोई अर्थ नहीं सिवाए इसके कि दुश्मन खुद अपनी आग में जल रहा है. चीन को लगता है कि 16 बिलियन डॉलर्स के भारत से चीन के निर्यात से भारत कंगाल हो जायेगा जबकि वो ये बात भूल जाता है कि इससे चार गुना अधिक अर्थात 60 बिलियन डॉलर्स का  नुकसान खुद चीन को उठाना पडेगा.   

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