महंगाई से मुकाबला करेगा कैश कूपन, इकोनॉमिक सर्वे की सलाह मानेगी मोदी सरकार?

Economic Survey 2024: संसद में सोमवार को आर्थिक सर्वे पेश किया गया. इसमें महंगाई को लेकर अहम सिफारिशें की गई हैं. इसमें कहा गया है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया खाद्य महंगाई पर गौर न करते हुए नीतिगत दर तय करे और खाद्य महंगाई से निपटने के लिए गरीबों को कूपन देने पर विचार करना चाहिए.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 22, 2024, 05:04 PM IST
  • RBI के पास है महंगाई को काबू करने की जिम्मेदारी
  • 'आपूर्ति की समस्या के कारण बढ़ती है खाद्य महंगाई'
महंगाई से मुकाबला करेगा कैश कूपन, इकोनॉमिक सर्वे की सलाह मानेगी मोदी सरकार?

नई दिल्लीः Economic Survey 2024: आर्थिक सर्वे में महंगाई को लेकर अहम सिफारिशें की गई हैं. सर्वे में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को नीतिगत दर तय करने में खाद्य वस्तुओं की महंगाई पर गौर करना बंद करना चाहिए और सरकार को गरीबों पर खाने के सामान की ऊंची कीमतों का असर कम करने को उन्हें ‘कूपन’ देने या सीधे नकदी हस्तांतरण पर विचार करना चाहिए. 

RBI के पास है महंगाई को काबू करने की जिम्मेदारी

हाल के महीनों में महंगाई दर में कमी आई है, लेकिन आरबीआई ने बढ़ी हुई खाद्य मुद्रास्फीति का हवाला देते हुए नीतिगत दर में कटौती से परहेज किया है. आरबीआई की नीतिगत दर के आधार पर ही बैंक आवास, व्यक्तिगत और कंपनी ऋण की ब्याज तय करते हैं. भारत ने 2016 में मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारण को लेकर रूपरेखा पेश की थी. इसके तहत रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.

केंद्रीय बैंक हर दो महीने पर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के आधार पर नीतिगत दर रेपो तय करता है. इसमें भोजन, ईंधन, विनिर्मित सामान और चुनिंदा सेवाएं शामिल हैं. 

'आपूर्ति की समस्या के कारण बढ़ती है खाद्य महंगाई'

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, '...खाद्य पदार्थों को छोड़कर, महंगाई का लक्ष्य तय करने पर विचार करना चाहिए. प्राय: खाद्य वस्तुओं की ऊंची कीमतें मांग के बजाय आपूर्ति की समस्या के कारण होती हैं.' समीक्षा के अनुसार, मौद्रिक नीति केवल मांग आधारित मूल्य दबाव को नियंत्रित करने में मददगार है. आपूर्ति बाधाओं के कारण होने वाली महंगाई से निपटने के लिए उसके उपयोग का प्रतिकूल असर हो सकता है. 

महंगाई से निपटने के लिए दिए जा सकते हैं कूपनः सर्वे

इसमें कहा गया है, 'इसलिए इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि क्या देश में महंगाई के लक्ष्य से संबंधित रूपरेखा में खाद्य पदार्थ को छोड़कर महंगाई दर को लक्षित करना चाहिए. वहीं गरीब और कम आय वाले उपभोक्ताओं को खाने के सामान की ऊंची कीमतों के कारण होने वाली कठिनाइयों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या उचित अवधि के लिए निर्धारित वस्तुओं की खरीद को लेकर कूपन के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है.'

आरबीआई ने 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्त वर्ष के 5.4 प्रतिशत से कम है. उल्लेखनीय है कि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 5.08 प्रतिशत थी जबकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 9.36 प्रतिशत थी. मुद्रास्फीति संबंधी चिंताओं के कारण आरबीआई ने फरवरी 2023 से नीतिगत दर में बदलाव नहीं किया है.

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