किसान आंदोलन बन रहा शाहीन बाग: PM Modi का 'मृत्यु जाप' क्यों?

कृषि कानूनों पर अंतरिम रोक के बावजूद किसान इस आंदोलन को खत्म करने का नाम नहीं ले रहे हैं. Protest में तीनों कृषि कानूनों की कॉपी जलाईं गई, एक बार फिर आंदोलन में 'मोदी मर जा' के नारे लगाए गए..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 13, 2021, 07:05 PM IST
  • सिंघु बॉर्डर पर दूसरी बार 'मोदी मर जा' के नारे लगाए गए
  • तीनों कृषि कानूनों पर किसान संगठनों का अड़ियल रुख
  • SC की कमेटी में जाने से किसान संगठनों का इनकार
किसान आंदोलन बन रहा शाहीन बाग: PM Modi का 'मृत्यु जाप' क्यों?

नई दिल्ली: किसानों के आंदोलन से एक बार फिर शर्मसार करने वाली तस्वीरें सामने आई है. किसान लोहड़ी को नए साल की आर्थिक शुरुआत मानते हैं. लोहड़ी को नई फसल की कटाई की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. ये किसानों के लिए देश में सबसे पावन पर्व है, लेकिन दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर लोहड़ी जलाकर देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ मृत्युगीत गाए जा रहे हैं.

दूसरी बार लगे 'मोदी मर जा' के नारे

किसानों के नाम पर आंदोलन पर दंगाइयों की फौज घुस गई है, जो सिर्फ और सिर्फ हिंसा को अपना हथियार बनाने पर उतारू हैं. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कानून पर रोक लगा दी है और कमेटी बनाकर इस समस्या का समधान करने का विकल्प चुना है. इस बीच किसान संगठनों ने तीनों कृषि कानूनों की कॉपी जलाईं, इस मौके पर सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात ये है कि सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर दूसरी बार 'मोदी मर जा' (Modi Mar Ja Tu) के नारे लगाए गए.

तीनों कृषि कानूनों पर किसान संगठनों ने अड़ियल रुख अख्तियार कर लिया है. उन्होंने SC की कमेटी में जाने से इनकार कर दिया है. जिसपर कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी (Kailash Chaudhary) ने कहा है कि किसान जिद छोड़ें और बात करें. वहीं कांग्रेस (Congress) ने सरकार पर SC को गुमराह करने का आरोप लगाया है.

किसान आंदोलन बनता जा रहा है शाहीन बाग

किसान आंदोलन में ऐसी करतूतों को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे ऐसा लगने लगा है कि ये आंदोलन शाहीन बाग बनता जा रहा है. शाहीन बाग में जैसा हुआ, बिल्कुल वैसा ही किसान आंदोलन में हो रहा है. आपको विस्तार से समझाते हैं.

शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुनी थी, बिल्कुल वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन के नेता भी सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुन रहे हैं.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने भारत विरोधी नारेबाजी की थी, बिल्कुल वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर खालिस्तान के लिये नारे लगाए जा रहे हैं और वहां खालिस्तानी मौजूद हैं.
शाहीन बाग का प्रदर्शन टुकड़े-टुकड़े गैंग का अड्डा बन चुका था, बिल्कुल वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर कुछ लोग जेल में बंद टुकड़े गैंग के सदस्यों की रिहाई की मांग कर रहे हैं
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने मोदी विरोध की केंद्र बना लिया था, बिल्कुल वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन की आड़ में मोदी के लिये 'मृत्यु कामना' की जा रही है.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली को बंधक बनाया था, बिल्कुल वैसे ही किसान आंदोलन के नाम पर दिल्ली को बंधक बनाया गया है.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने महिलाओं-बच्चों की आड़ ली थी, बिल्कुल वैसे ही किसान आंदोलन में बुजुर्ग किसानों की आड़ ली जा रही है जहां महिला और बच्चे भी मौजूद हैं.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुनी थी, बिल्कुल वैसे ही सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठन के नेता भी सुप्रीम कोर्ट की नहीं सुन रहे हैं.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने बातचीत पर अड़ियल रुख अपनाया था, बिल्कुल वैसे ही किसान संगठनों ने आठ वार्ता पर भी अड़ियल रुख अपनाया हुआ है.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रवादियों के लिए 'नो एंट्री' रखी थी, बिल्कुल वैसे ही किसान आंदोलन में भी राष्ट्रवादियों की 'नो एंट्री' है.
शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने सिर्फ सेलेक्टिव मीडिया से बात की थी, बिल्कुल वैसे ही किसान आंदोलन में भी सेलेक्टिव मीडिया से बात की जा रही है.

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सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की हरकत

अब आपको सिख फॉर जस्टिस (SFJ) की एक गंदी करतूत से रूबरू करवाते हैं. SFJ ने आंदोलनकारी किसानों को बरगलाने की कोशिश की है. किसानों के नाम पर एक चिट्ठी और भड़काऊ वीडियो जारी किया है. 26 जनवरी के मुख्य समारोह में बाधा डालने को कहा है. SFJ ने इंडिया गेट पर खालिस्तान का झंडा लगाने को कहा है. खालिस्तानी झंडा फहराने पर 2,50,000 अमेरिकी डॉलर का ईनाम देने का भी ऐलान किया है. इस चिट्ठी के जरिए गणतंत्र दिवस पर समानांतर ट्रैक्टर परेड करने को कहा गया है.

कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक

सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल तीनों कानून पर रोक लगा दी है, लेकिन खास बात है कि सुप्रीम कोर्ट का इस रोक पर कहना है कि 'ये अभूतपूर्व स्थिति है जब हमने किसी कानून के अमल पर रोक लगाई है. ये कदम सिर्फ इसलिये उठाया गया है ताकि गतिरोध खत्म हो सके. ये इसलिये ताकि किसान नेता आंदोलनकारियों को समझाकर घर भेजें. हमारा मानना है इससे किसानों की दुखी भावनाएं शांत की जा सकती हैं. इससे किसानों को बातचीत करने का प्रोत्साहन मिलेगा, उनका विश्वास बढ़ेगा.'

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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों रोके कानून?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपनी टिप्पणी में क्या कहा ये तो आपको समझ आ ही गया होगा, लेकिन आपको अब हम समझाते हैं कि आखिर सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर क्यों रोक लगाया? ताकि गतिरोध खत्म हो सके, बातचीत का माहौल बने, आंदोलनकारी शांत हों, कोई खून-खराबा न हो, किसानों में भरोसा जागे, आम लोग परेशान न हों, टकराव टाला जा सके, देश का नुकसान न हो. इन सभी वजहों के सुप्रीम कोर्ट ने कानूनों पर रोक लगाई है.

किसान आंदोलन पर दो दिनों का UPDATE

1). सुप्रीम कोर्ट की तीनों कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक
2). सुप्रीम कोर्ट ने समाधान के लिये एक कमेटी गठित की
3). सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी को 2 महीने में रिपोर्ट देने को कहा
4). किसानों ने कमेटी में पेश होने से साफ इनकार किया
5). कमेटी के 4 सदस्यों पर किसानों संगठनों को ऐतराज
6). किसानों का ऐलान- कानून वापस, तभी आंदोलन खत्म
7). किसानों ने चारों सदस्यों को कानून का समर्थक बताया
8). कांग्रेस ने भी चारों सदस्यों को 'मोदी के लोग' बताया
9). लोहड़ी पर किसानों ने तीनों कानूनों की कॉपियां जलाईं
10). सिंघु बॉर्डर पर प्रधानमंत्री मोदी के लिये 'मर जा' के नारे

अन्नदाताओं के आंदोलन में ऐसी ओछी हरकतों को अंजाम दिया जा रहा है, जिससे जेहन में सिर्फ एक ही शब्द आता है- 'लानत है..' लोहड़ी पर पीएम मोदी (PM Modi) के लिए मृत्युजाप किया जा रहा है. क्या किसान ऐसा कर सकता है? इन लोगों का रिमोट कंट्रोल किसके हाथ में है? ये हमारे देश के किसान हो ही नहीं सकते, ये बहरूपिये हैं.. जिन्होंने किसानों को बनदाम करने के लिए उनका चोला ओढ़ा हुआ है.

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