Parliament Attack: लोकतंत्र पर सबसे बड़े हमले की पूरी कहानी

आज से ठीक 18 साल पहले देश की संसद पर आतंकियों ने हमला कर दहलाने की कोशिश की थी, उस वक्त आतंकियों के खात्मे के बाद 30 किलो. RDX बरामद हुआ था. अगर आतंकी इसे विस्फोट करने में कामयाब हो जाते, तो संसद भवन की तस्वीर क्या होती इसे सोचकर भी हर कोई सहम जाता है..

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Dec 13, 2020, 11:49 AM IST
  • 19 साल पहले हुए संसद भवन पर हमले की पूरी कहानी
  • 30 किलो. RDX के साथ संसद भवन में घुसे थे आतंकी
  • पांचों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने जहन्नुम पहुंचा दिया था
  • करीब 45 मिनट तक गोलियों की आवाज से गूंजता रहा संसद
  • हमले में एक मीडियाकर्मी की भी मौत हो गई
Parliament Attack: लोकतंत्र पर सबसे बड़े हमले की पूरी कहानी

नई दिल्ली: ठीक 19 साल पहले यानि 13 दिसंबर, 2001 को देश की संसद भवन (Parliament) के परिसर में जब आतंकियों ने नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए दाखिल हुए थे, एक खूनी तांडव की गवाह पूरी दुनिया बनी. 19 साल पहले लोकतंत्र (Democracy) पर सबसे बड़े हमले पर यकीन करना बेहद मुश्किल था. क्योंकि आतंकियों ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करके पूरे देश को दहलाने की नापाक साजिश रची थी. लेकिन भारतीय लोकतंत्र की बदकिस्मती थी कि हर तस्वीर सच थी. देश की संसद पर सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ था.

तारीख- 13 दिसम्बर 2001
जगह- संसद भवन

समय- सुबह 10 बजकर 15 मिनट

दिसंबर के महीने में संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ था, इस दिन भी और दिनों की तरह हालात सामान्य थे. सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा था. इतने में संसद भवन से कुछ सांसद (MP) बाहर निकले और संसद परिसर में गाड़ियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया. इतने में परिसर के भीतर एक सफेद रंग की लाल बत्ती लगी हुई एंबेसडर की एंट्री हुई, जिसपर गृह मंत्रालय (Home Ministry) का स्टीकर लगा हुआ था. वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी इस बात से बेखबर से थे कि उसमें 5 ऐसे आंतकी सवार थे, जो लोकतंत्र के इस मंदिर को बंधक बनाने के इरादे से आगे बढ़ रहे थे.

इसे भी पढ़े: संसद भवन पर हमले की 18वीं बरसी: PM मोदी ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि

समय- 11 बजकर 30 मिनट

इस दौरान उस वक्त के उप-राष्ट्रपति कृष्णकांत (Krishnkant) संसद भवन से बाहर निकलने वाले थे, इसलिए उनकी गाड़ियों का काफिला गेट नंबर 11 पर खड़ा हो गया था. इतने में 5 आतंकियों से भरी कार गेट नंबर 12 को पार करते हुए उनके काफिले के पास पहुंच गई. कृष्णकांत की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने एंबेसडर कार को रोकने की कोशिश की, इस दौरान काफिले में तैनात दिल्ली पुलिस के ASI जीतनराम की आवाज सुनकर सुरक्षाकर्मी जगदीश यादव आतंकियों की गाड़ी की ओर भागे. संसद के सभी दरवाजों को बंद करने के लिए कहा गया और इतने में ही आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी. इस फायरिंग में जगदीश यादव को गोली लग गई और वो शहीद हो गए.

सुरक्षाकर्मियों ने संसद को घेर लिया

गोली चलने की आवाज सुनकर वहां तैनात सभी गार्ड चौकन्ना हो गए और सुरक्षाकर्मियों ने भवन को चारों तरफ से घेर लिया. इस बीच आतंकियों की गोलीबारी में मीडिया के एक कैमरामैन को भी गोली लग गई. आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच गोलीबारी का दौर तेज होता चला गया. इस बीच बाहर जाने वाले सभी रास्तों को बंद कर दिया गया था.

समय- 11 बजकर 36 मिनट

उस वक्त देश के गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत करीब सौ से ज्यादा सांसद संसद भवन की मेन बिल्डिंग में ही मौजूद थे. गोलीबारी कर रहे आतंकवादियों का मंसूबा था कि उस बिल्डिंग में घुसकर सभी सांसदों और मंत्रियों को बंधक बना लिया जाए, लेकिन वो अपने इस नापाक मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए.

समय- 11 बजकर 45 मिनट

गोलीबारी के दौरान करीब पौने 12 बजे एक आतंकी की बेल्ट पर गोल लग गई, उसके शरीर पर विस्फोटक बंधे थे. पलक झपकते ही धमाका हो गया और आतंकी के शरीर की धज्जियां उड़ गईं. हालांकि अन्य आतंकियों को रोकने के लिए जबरदस्त जवाबी फायरिंग जारी थी. इसी बीच 3 आतंकी हमजा, राणा और राजा अंधाधुंध फायरिंग करते हुए परिसर के गेट नंबर 9 की तरफ बढ़ने लगे. ऐसे में सुरक्षाकर्मियों ने कोई चूक नहीं की, तीनों आतंकी गेट नंबर 9 पर ही ढेर हो गए.

5 में से 4 आतंकियों का खात्मा हो चुका था, लेकिन अभी भी 5वें आतंकी हैदर की तलाश जारी थी. जो पूरे संसद भवन का चक्कर लगाते हुए उस गेट पर पहुंच गया जिसका इस्तेमाल प्रधानमंत्री किया करते हैं. इतने में ही CRPF के एक जवान ने निशाना लगाकर पांचवें आतंकी हैदर को भी जहन्नुम का रास्ता दिखा दिया.

पांचों आतंकियों का हुआ खात्मा

पांचों आतंकियों के मारे जाने बावजूद सुरक्षकर्मियों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि संसद पर कितने आतंकियों ने हमला किया है. मारे गए पांचों आतंकियों ने चारों तरफ जो हैंड ग्रेनेड फेंके थे, उसमें से कुछ आतंकियों के मारे जाने के बाद फटे. पूरे इलाके को सील कर दिया गया और सांसदों को बसों के जरिए उनके घर पहुंचाया गया.

45 मिनट तक गूंजती रही गोलियों की आवाज

संसद पर हमले को नाकाम करने में करीब 45 मिनट का वक्त लगा, सारे आतंकियों को नेस्तानाबूद कर दिया गया था. लेकिन इसके बाद एक के बाद एक करके बम विरोधी दस्ता, एनएसजी कमांडों संसद भवन में पहुंचते रहे. इस दौरान कई जिंदा बमों को डिफ्यूज किया गया.

इसे भी पढ़ें- Balakot में एनकाउंटर: दुश्मन नंबर वन होगा ‘खल्लास’

तलाशी के दौरान आतंकियों के पास मौजूद थैलों में विस्फोटक के अलावा खाने-पीने के सामान भी बरामद हुए. जिसे देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो लंबे वक्त तक संसद में रुकने के लिए तैयार होकर आए थे. उनका मंसूबा था कि संसद परिसर में मौजूद लोगों, सांसदों और मंत्रियों को बंधक बनाया जाए. लेकि उनका इस इरादे को हिन्दुस्तान ने छलनी-छलनी कर दिया.

करीब 30 किलो. RDX के साथ आए थे आतंकी

जांच एजेंसियों ने एंबेसडर कार की छानबीन की तो पता चला कि आतंकी इसमें करीब 30 किलो. RDX लेकर घुसे थे. ये सोचकर भी हर कोई दहल उठता है कि अगर आतंकी इस कार को विस्फोट करने में कामयाब हो जाते तो लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर की तस्वीर क्या होती.

पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से बैठकर हिन्दुस्तान की संसद को दहलाने की साजिश रची गई. वहां बैठे आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी भी ली. लेकिन पाकिस्तान उनपर कार्रवाई करने के बजाय उनको शरण देकर पीठ थपथपाती रही. हर बार वो ऐसी करतूत करता है, जिसके बाद उसकी ऐसी की तैसी हो जाती है. लेकिन पाकिस्तान और वहां बैठे आतंकी इससे बाज नहीं आते हैं.

देश और दुनिया की हर एक खबर अलग नजरिए के साथ और लाइव टीवी होगा आपकी मुट्ठी में. डाउनलोड करिए ज़ी हिंदुस्तान ऐप, जो आपको हर हलचल से खबरदार रखेगा... नीचे के लिंक्स पर क्लिक करके डाउनलोड करें-

Android Link - https://play.google.com/store/apps/details?id=com.zeenews.hindustan&hl=en_IN

iOS (Apple) Link - https://apps.apple.com/mm/app/zee-hindustan/id1527717234

ट्रेंडिंग न्यूज़