राजस्थान चुनाव से पहले पहले फिर गहलोत-पायलट में रार, 'हाईकमान' तंज के हैं बड़े मायने?

जवाबी कार्रवाई के लिए सबकी निगाहें पायलट पर टिकी हैं. चाहे वह टिप्पणी करें या वही करते रहें, जो वह पिछले कई महीनों से करते आ रहे हैं, अपनी सभा में बड़ी भीड़ खींचना और अपनी ताकत दिखाना फिर भी चुप रहना.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 8, 2023, 04:16 PM IST
  • चुनाव से पहले फिर दिखी रार.
  • अब है पायलट के जवाब का इंतजार.
राजस्थान चुनाव से पहले पहले फिर गहलोत-पायलट में रार, 'हाईकमान' तंज के हैं बड़े मायने?

नई दिल्ली.राजस्थान के राजनीतिक गलियारों में कुछ महीनों में गहलोत और पायलट खेमों के बीच देखी गई आश्चर्यजनक चुप्पी की चर्चा रही है. लेकिन हाल ही में यह चुप्‍पी तब टूटी, जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर तंज करते हुए उन्हें 'हाईकमान' करार दिया.

इस एक बात ने पार्टी के भीतर चल रही लड़ाई को उजागर कर दिया. चर्चाओं को खारिज करते हुए, कांग्रेस नेता सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कांग्रेस में गुटों के सवाल पर कहा था, 'अंतर कहां हैं? क्या आपने कभी हमारी पार्टी के किसी व्यक्ति को एक-दूसरे के खिलाफ बोलते देखा है?'

लेकिन विधानसभा चुनाव की दस्तक के बीच सीएम अशोक गहलोत का सचिन पायलट पर यह तंज पार्टी में एकता दिखाने की कोशिशों पर पानी फेर गया.

सीएम ने कहां किया तंज 
5 अक्टूबर को जयपुर में एक कार्यक्रम में टिकट वितरण में पायलट की भूमिका पर एक सवाल में गहलोत ने कहा, 'सचिन पायलट हमारी पार्टी के नेता हैं. अब वह खुद ही हाईकमान बन गये हैं. आलाकमान को ये बताने की जरूरत नहीं है कि क्या करना है. उन्होंने कहा, 'जब आलाकमान ही टिकट बांटता है, तो पायलट की भी इसमें भूमिका होगी.' उन्होंने कहा, 'सीडब्ल्यूसी सदस्य होना बड़ी बात है. 'राजनीतिक विशेषज्ञों के मुताबिक, 'यह टिप्पणी पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था में पायलट की सदस्यता पर एक व्यंग्य प्रतीत होती है.

क्या चुनावी पोस्टर बने तंज की वजह!
गहलोत और पायलट के बीच यह एक न खत्म होने वाला विवाद दिखाई दे रहा है. इस टिप्पणी की टाइमिंग भी चर्चा में है. कांग्रेस नेताओं ने कहा कि हाल ही में पार्टी की सलाहकार एजेंसी 'डिजाइन बॉक्स' को लेकर गहलोत और पीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा के बीच अनबन हो गई थी.

डोटासरा को इस एजेंसी से दिक्कत थी, जो अपने सभी पोस्टरों में केवल सीएम के चेहरे को चित्रित कर रही थी, न ही कांग्रेस पार्टी का कोई अन्य चिन्ह और प्रतीक और न ही किसी अन्य नेता का.सूत्रों ने कहा कि वह कथित तौर पर इस मुद्दे को कांग्रेस आलाकमान के पास भी ले गए, जो पोस्टरों से समान रूप से नाखुश था.

इस बीच, डिज़ाइन बॉक्स के सह-संस्थापक, नरेश अरोड़ा ने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा, 'मीडिया के कुछ वर्ग मेरे और माननीय आरपीसीसी प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा के बीच एक बैठक की काल्पनिक कहानियां बना रहे हैं. मेरे मन में उनके लिए और राहुल गांधी के लिए अत्यंत सम्मान है.' उन्होंने राहुल गांधी व गोविंद डोटासरा को टैग करते हुए कहा चुनाव से पहले कांग्रेस के अभियान को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वाले सफल नहीं होंगे, राजस्थान में कांग्रेस की जीत निश्चित है.

पायलट खेमे से भी आया चुभता जवाब
इस बीच, पायलट खेमे से पार्टी कार्यकर्ता सुशी असोपा ने एक मीडिया ग्रुप से बात करते हुए कहा, 'सचिन पायलट अब सीडब्ल्यूसी सदस्य हैं, जो कांग्रेस में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है. शायद उनका खेमा और वह पायलट के सीडब्ल्यूसी सदस्य बनने से इतने खुश नहीं हैं.' इसलिए यह टिप्पणी आई है. असोपा ने कहा, 'असल में गहलोत को भी (कांग्रेस अध्यक्ष पद की पेशकश करके) आलाकमान बनने का मौका दिया गया था, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया.'

सीएमओ का जवाब- बयान को बेवजह दी जा रही तूल
इस बीच सीएमओ के गहलोत खेमे के कार्यकर्ता ने कहा, 'इस बयान को अनावश्यक रूप से तूल नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर कहा गया है कि पायलट खुद सीडब्ल्यूसी सदस्य हैं. तो हमें उनके टिकटों पर फैसला क्यों करना चाहिए, क्योंकि सीडब्ल्यूसी और एआईसीसी कांग्रेस में निर्णय लेने वाली संस्थाएं हैं.

पायलट ने अब तक नहीं दिया कोई जवाब
जवाबी कार्रवाई के लिए सबकी निगाहें पायलट पर टिकी हैं. चाहे वह टिप्पणी करें या वही करते रहें, जो वह पिछले कई महीनों से करते आ रहे हैं, अपनी सभा में बड़ी भीड़ खींचना और अपनी ताकत दिखाना फिर भी चुप रहना.दरअसल राजस्थान में गहलोत को सीएम बनाए जाने के समय से ही दोनों दरार है. गाहे बगाहे यह दरार रार के रूप में सामने आती ही रहती है.

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