हैवान या किसान? मोबाइल टॉवर को निशाना बना रहे उपद्रवी, 1400 टॉवरों को पहुंचाया नुकसान

कई दौर की बातचीत होने के बावजूद कोई हल नहीं निकल सका है. लगातार किसान आंदोलन के नाम पर ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो आम नागरिकों को नुकसान पहुंचा रही हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 28, 2020, 06:13 PM IST
  • नये कृषि सुधारों से अंबानी और अडानी को लाभ होने का भ्रम
  • 1400 मोबाइल टॉवरों को पहुंचाया गया नुकसान
हैवान या किसान? मोबाइल टॉवर को निशाना बना रहे उपद्रवी, 1400 टॉवरों को पहुंचाया नुकसान

चंडीगढ़: दिल्ली की सरहद (Delhi Border) पर एक महीने से भी ज्यादा समय से किसान आंदोलन (Farmer's Protest) कर रहे हैं. इनमें सबसे अधिक किसान पंजाब और हरियाणा के हैं. कई दौर की बातचीत होने के बावजूद कोई हल नहीं निकल सका है. लगातार किसान आंदोलन के नाम पर ऐसी खबरें सामने आ रही हैं जो आम नागरिकों को नुकसान पहुंचा रही हैं.

हिंसक हो रहा किसान आंदोलन

गौरतलब है कि कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन (Farmers Protest) कब खत्म होगा, ये तो वक्त ही बताएगा. लगातार ये आंदोलन हिंसक रूप ले रहा है जो खतरनाक है.

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किसान आंदोलन (Farmers Protest) ने पंजाब की दूरसंचार व्यवस्था (Telecom Service) को बुरी तरह प्रभावित किया है. ऐसे में यह सवाल लाजमी हो गया है कि क्या आंदोलन की आड़ में असामाजिक तत्व अपने नापाक मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं?

1400 मोबाइल टॉवरों को पहुंचाया गया नुकसान

उल्लेखनीय है कि किसान आंदोलन (Farmers Protest) शुरू होने के बाद से पंजाब (Punjab) में अब तक करीब 1400 टावर तोड़े जा चुके हैं. पिछले 24 घंटों में ही कई टावरों को नुकसान पहुंचाने की खबर सामने आई है. अंबानी और अडानी समूह के विरोध के नाम पर पंजाब में कई जगहों पर रिलायंस जियो के टावर (Mobile Tower) को नुकसान पहुंचाया गया, जिससे दूरसंचार व्यवस्था पर असर पड़ा है.

किसानों ने पहले भी कहा था कि हम लोग अम्बानी और अडानी की कंपनियों द्वारा बनाये गए उत्पादों का बहिष्कार करेंगे. किसान लगातार मोदी सरकार की बातें को अनदेखा करके अपना अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं.

नये कृषि सुधारों से अंबानी और अडानी को लाभ होने का भ्रम

आपको बता दें कि दूरसंचार टावरों को निशाना बनाने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि नए कृषि कानूनों से मुकेश अंबानी और गौतम अडानी जैसे उद्योगपतियों को लाभ होगा. 

विरोधियों का तो यहां तक कहना है कि भविष्य में उन्हें अपनी जमीन इन उद्योगपतियों को बेचने को मजबूर किया जाएगा. जबकि हकीकत ये है कि दोनों ही समूह की कंपनियां किसानों से अनाज नहीं खरीदतीं. पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पहले ही आंदोलनकारियों को हिंसा और उग्रता करने से सावधान रहने की चेतावनी दे  चुके है.

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