नई दिल्ली: उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को यहां भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से उनके आवास पर मुलाकात की.
इस मुलाकात से पहले रावत ने पार्टी के राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी के साथ बैठक की थी. नड्डा से लगभग 40 मिनट की मुलाकात के बाद रावत ने पत्रकारों के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया और दिल्ली स्थित अपने आवास के लिए रवाना हो गए.
हालांकि उत्तराखंड भाजपा के मुख्य प्रवक्ता व विधायक मुन्ना सिंह चौहान ने स्पष्ट किया कि न तो पार्टी की ओर से विधायक दल की कोई बैठक बुलाई गई है और न ही मुख्यमंत्री को लेकर पार्टी या कार्यकर्ताओं के बीच कोई नाराजगी है.
उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से गलत है कि मुख्यमंत्री को लेकर किसी भी प्रकार की कोई नाराजगी है.’
रावत की नड्डा से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'चूंकि उत्तराखंड चुनावी वर्ष में प्रवेश कर रहा है, इसलिए बैठकों का होना एक प्रक्रिया है. पार्टी में विचार-विमर्श की प्रक्रिया लगातार चलती रहती है.'
राज्य में नेतृत्व परिवर्तन संबंधी खबरों के बारे में पूछे जाने पर चौहान ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि भाजपा एक लोकतांत्रिक पार्टी है और उसमें एक निर्धारित प्रक्रिया के तहत फैसले होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘पार्टी का संसदीय बोर्ड इसके लिए अधिकृत है और इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता.’
नाटकीय घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री की भाजपा अध्यक्ष से मुलाकात
रावत और नड्डा के बीच हुई मुलाकात पिछले दो दिनों से उत्तराखंड में चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद हुई है, जब भाजपा उपाध्यक्ष रमन सिंह और महासचिव व राज्य के प्रभारी दुष्यंत गौतम बिना किसी तय कार्यक्रम के पिछले दिनों देहरादून पहुंचे और राज्य के कोर समूह के नेताओं की बैठक की.
भाजपा सांसद और उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता अजय भट्ट ने मीडिया को बताया कि पार्टी में ‘सब कुछ ठीक है.’ उन्होंने बताया कि सिंह और गौतम ने तीन दिवसीय प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक और 18 मार्च को रावत सरकार के चार साल पूरा होने के सिलसिले में राज्य का दौरा किया था.
राज्य के कोर समूह के नेताओं की बैठक ऐसे समय बुलाई गई थी, जब प्रदेश की नई बनी ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में राज्य विधानसभा का महत्वपूर्ण बजट सत्र चल रहा था.
बैठक की सूचना मिलने पर मुख्यमंत्री रावत को तुरंत गैरसैंण से वापस देहरादून आना पड़ा. आनन-फानन में बजट पारित करा कर सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया और भाजपा विधायकों को भी तत्काल गैरसैंण से देहरादून बुला लिया गया.
दो घंटे से भी ज्यादा समय तक चली कोर ग्रुप की बैठक में राज्यसभा सदस्य नरेश बंसल, टिहरी से लोकसभा सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, नैनीताल से लोकसभा सांसद अजय भट्ट, प्रदेश पार्टी अध्यक्ष बंशीधर भगत, कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक सहित प्रदेश संगठन के भी कई नेता मौजूद रहे.
पार्टी सूत्रों ने बताया कि रमन सिंह ने कोर ग्रुप की बैठक में मौजूद हर सदस्य से अलग-अलग बातचीत की. बाद में सिंह मुख्यमंत्री के सरकारी आवास भी गए, जहां करीब 40 पार्टी विधायक मौजूद थे. कोर ग्रुप की बैठक के बाद सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय भी गए.
इसके बाद प्रदेश से लेकर राजधानी दिल्ली तक राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई.
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भाजपा अध्यक्ष को सौंपी रिपोर्ट
सूत्रों के मुताबिक सिंह और गौतम ने राज्य से लौटने के बाद प्रदेश नेताओं से हुई रायशुमारी के संबंध में नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.
पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उत्तराखंड में घटनाक्रम के संबंध में अभी तक आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है. हालांकि, गौतम ने रविवार को कहा था कि सिंह और वह प्रदेश सरकार के चार साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 70 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले कार्यक्रमों के बारे में चर्चा करने के लिए राज्य गए थे.
प्रदेश के एक धड़े के नेताओं के रावत के नेतृत्व से नाराज होने की खबरें आई हैं और उनका मानना है कि रावत के नेतृत्व में पार्टी का भविष्य ठीक नहीं दिख रहा. रावत उत्तराखंड के नौवें मुख्यमंत्री हैं.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली भारी सफलता के बाद पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य की कमान रावत को सौंपने का फैसला किया था.
वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 75 में से 57 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था. रावत राज्य में भाजपा के पांचवें मुख्यमंत्री हैं.
अगले साल के शुरुआती महीनों में उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव होने की संभावना है.
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