नई दिल्ली: देश में सार्वजनिक क्षेत्र की दो बैंकों के निजीकरण के विरोध में कई बैंक यूनियनों ने दो दिनों की हड़ताल की घोषणा की थी.
बैंक यूनियनों की हड़ताल के आह्वान पर देशभर की कई बैंकें बंद रहीं. बैंकों में कार्यरत दस लाख कर्मचारियों ने इस हड़ताल में हिस्सा लिया.
सोमवार और मंगलवार को हड़ताल के कारण बैंकें बंद रहने के कारण बैंकिंग गतिविधियां प्रभावित रहीं.
ग्राहकों को नकद निकासी, नकद जमा और चेक क्लीयरेंस कराने में समस्या का सामना करना पड़ा.
जानिए क्या रही हड़ताल की वजह
सरकार ने कुछ दिनों पहले दो सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों के निजीकरण का प्रस्ताव रखा है. जिसके बाद से ही कई बैंक यूनियनों ने सरकार के इस कदम के प्रति विरोध जाहिर किया है.
हड़ताल की घोषणा से पहले बैंक यूनियनों और सरकार के बीच वार्ता से इस मुद्दे पर सुलह करने का प्रयास किया गया, लेकिन वार्ता के माध्यम से इस मुद्दे का हल नहीं निकाला जा सका.
इससे पहले केंद्र सरकार ने साल 2019 में IDBI बैंक में अपनी अधिकतर हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच दी थी.
बैंकों का निजीकरण हो जाने से बैंक कर्मचारियों को यह डर है कि मिलने वाली सरकारी सुविधाओं का लाभ उन्हें नहीं मिल सकेगा.
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कौन से संगठन हुए हड़ताल में शामिल
बैंकों के निजीकरण के विरोध में नौ बैंक यूनियनों के संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU)ने हड़ताल की घोषणा की थी.
इस संगठन में एआईबीईए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ जैसे बैंक संगठन शामिल हैं.
इस हड़ताल में इस संगठन के बैनर तले लगभग 10 लाख कर्मचारी शामिल हुए.
किन बैंकों ने नहीं लिया हड़ताल में भाग
देश की शीर्ष निजी बैंकों ने इस हड़ताल में भाग नहीं लिया. कोटक महिंद्रा बैंक, HDFC बैंक, ICICI बैंक, Axis बैंक और IndusInd बैंक जैसे शीर्ष निजी बैंक हड़ताल के दौरान खुले रहे और यहां बैंकिंग गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहीं.
इन निजी बैंकों की भारतीय बैंकिंग व्यवस्था में लगभग एक तिहाई हिस्सेदारी है.
किन बैंकों का नहीं होगा निजीकरण
भारत सरकार के नीति आयोग ने छह सरकारी बैंकों को निजीकरण योजना से बाहर रखा है. जिनमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नैशनल बैंक, यूनियन बैंक, कैनरा बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा शामिल हैं.
इन बैंकों में कुछ दिनों पहले ही देश की कई छोटी बैंकों का विलय किया गया है. यह भी एक बड़ा कारण है कि इन बैंकों को निजीकरण योजना के तहत नहीं लाया जा रहा है.
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