पीठ दर्द में इतनी कारगर है ये चीज कि इसके फायदे बताने के लिए मनाए जाने लगा 'दिवस', क्या आप जानते हैं

आज 'विश्व फिजियोथेरेपी डे' है. फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान और फिजियोथेरेपी के फायदे समझाने के लिए इसे मनाया जाता है. फिजियोथेरेपी में थेरेपिस्ट अलग-अलग तकनीकों के जरिए शरीर की समस्याओं के हिसाब से लोगों को ट्रीटमेंट देते हैं. गर्दन, कमर, पीठ आदि के दर्द फिजियोथेरेपी की मदद ली जाती है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 8, 2024, 05:45 PM IST
  • फिजियोथेरेपी की तकनीकों में आया बदलाव
  • खेलों में तेजी से बढ़ी है फिजियोथेरेपी की मांग
पीठ दर्द में इतनी कारगर है ये चीज कि इसके फायदे बताने के लिए मनाए जाने लगा 'दिवस', क्या आप जानते हैं

नई दिल्लीः आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी की वजह से लोगों की जीवनशैली में तेजी से बदलाव आ रहा है. इसके कारण अक्सर लोगों को अपने गर्दन, कमर और घुटनों में दर्द की समस्याएं रहती हैं. इस दौरान हमें डॉक्टर से ज्यादा फिजियोथेरेपिस्ट की याद आती है. 8 सितंबर 'विश्व फिजियोथेरेपी डे' मनाया जा रहा है जिसका मकसद लोगों के लिए फिजियोथेरेपिस्ट के योगदान और फिजियोथेरेपी के फायदे समझाना है.

इस बार 'विश्व फिजियोथेरेपी दिवस' की थीम 'लोअर बैक पेन और इसके प्रबंधन में फिजियोथेरेपी की भूमिका' रखी गई है. इस वर्ष की थीम पीठ दर्द की समस्या और इसके समाधान में फिजियोथेरेपी के महत्व को बताने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.

फिजियोथेरेपी की तकनीकों में आया बदलाव

फिजियोथेरेपी पैरामेडिकल का ऐसा फील्ड है जो बगैर दवाओं के शारीरिक गतिविधियों को सुचारू तौर पर चलाने के लिए प्रतिबद्ध है. जो समस्याएं फिजियोथेरेपी के स्कोप में आती हैं उनके लिए थेरेपिस्ट विभिन्न तकनीकों के जरिए शरीर की समस्याओं के हिसाब से लोगों को ट्रीटमेंट देते हैं. समय के साथ पूरी दुनिया में फिजियोथेरेपी की तकनीकों में भी काफी बदलाव आया है. इस समय फिजियोथेरेपी में इलेक्ट्रोथेरेपी, लेजर, माइक्रोवेव, अल्ट्रासोनिक वेव, मैनुअल थेरेपी जैसी तकनीकों का उपयोग किया जाने लगा है.

विश्व फिजियोथेरेपी दिवस की शुरुआत, 8 सितंबर 1996 में विश्व फिजियोथेरेपी संगठन ने की थी. विश्व फिजियोथेरेपी संगठन एक ऐसी बॉडी है जो वैश्विक स्तर पर सभी फिजियोथेरेपिस्टों का प्रतिनिधित्व करती है. इसकी स्थापना 8 सितंबर 1951 को हुई थी. 1996 के बाद से यह दिवस हर वर्ष बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, जिससे लोगों में फिजियोथेरेपी के प्रति जागरूकता भी बढ़ी है.

खेलों में तेजी से बढ़ी है फिजियोथेरेपी की मांग

अच्छी बात यह है कि फिजियोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स लगभग न के बराबर होते हैं. इस समय फिजियोथेरेपी का स्कोप सिर्फ क्लीनिक या हॉस्पिटल तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि खेलों में खासकर इनकी डिमांड बहुत तेजी से बढ़ी है. भारतीय क्रिकेट टीम के कई खिलाड़ियों के रिहैब में फिजियो की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. ऐसे ही अन्य खेलों में भी फिजियोथेरेपी सपोर्ट स्टॉफ का एक महत्वपूर्ण अंग बन चुका है.

अहम होता है फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लेना

आधुनिक जीवनशैली में फिट रहने के लिए लोगों में आजकल योग और रनिंग जैसे व्यायाम काफी लोकप्रिय हो गए हैं, लेकिन बिना उचित सलाह के इन्हें करने से घुटनों और जोड़ो में दर्द हो सकता है. इसलिए, फिजियोथेरेपिस्ट से सलाह लेकर व्यायाम करना उचित होता है. इसके साथ ही मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल सीमित समय तक करना और सही बॉडी पोस्चर बनाए रखने में फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह बड़ी अहम हो जाती है.

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