नई दिल्लीः चीन ने क्वाड पर निशाना साधा है. भारत समेत चार सदस्य देशों के इस समूह की नजदीकियां चीन को रास नहीं आ रही हैं. चीन ने कहा कि उसे आगे बढ़ने से रोकने के लिए क्वाड गठबंधन एक 'उपकरण' की तरह है और यह टकराव को तेज करने के लिए जानबूझकर उठाया गया कदम है जो सफल नहीं होगा.
वहीं, क्वाड ने शुक्रवार को कहा कि समूह की पहल के तहत कोविड-19 रोधी टीकों की पहली खेप का वितरण 2022 की पहली छमाही में हो जाएगा. इसके साथ ही समूह के विदेश मंत्रियों ने भारत के एक प्रतिष्ठान में टीकों के उत्पादन में तेज प्रगति पर संतोष व्यक्त किया.
मेलबर्न में हुई बैठक में क्वाड के चार सदस्यों-भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विदेश मंत्रियों ने हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में कोविड-19 रोधी टीकों के वितरण में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की.
क्वाड ने इन मुद्दों पर जताई सहमति
क्वाड की चौथी बैठक में भाग लेने के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि सुरक्षित और सस्ते टीकों के वितरण में तेजी लाने, क्षमता निर्माण में वृद्धि और अंतिम व्यक्ति तक टीका वितरण के लिए बुनियादी ढांचा बढ़ाने पर सहमति हुई.
1.3 अरब टीका खुराक दान करने का संकल्प
इस संबंध में एक संयुक्त बयान में कहा गया, 'एक साथ, हमने विश्व स्तर पर 1.3 अरब से अधिक टीका खुराक दान करने का संकल्प लिया है. हम भारत में बायोलॉजिकल ई लिमिटेड प्रतिष्ठान में टीका उत्पादन के विस्तार में क्वाड टीका भागीदारी की तेज प्रगति से प्रसन्न हैं, जिसका उद्देश्य 2022 के अंत तक कम से कम एक अरब टीके वितरित करना है.'
जयशंकर के अलावा, बैठक में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, जापानी विदेश मंत्री योशिमासा हयाशी और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्री मारिस पायने शामिल हुए.
50 करोड़ से ज्यादा खुराक उपलब्ध कराई
बयान में कहा गया कि क्वाड भागीदारों ने सामूहिक रूप से 50 करोड़ से अधिक टीका खुराक उपलब्ध कराई हैं. इसमें कहा गया, 'हम इस साल की पहली छमाही में क्वाड-समर्थित टीकों की पहली खेप के वितरण की उम्मीद कर रहे हैं.'
क्वाड के साथ मिलकर काम करेगा भारत
जयशंकर ने अपने समकक्षों के साथ संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि भारत समूह के सकारात्मक एजेंडे को आकार और सार देने के लिए क्वाड भागीदारों के साथ मिलकर काम करेगा ताकि इसे वैश्विक कल्याण के लिए एक शक्ति बनाया जा सके. जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं.
इससे पहले क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में अपनी टिप्पणी में जयशंकर ने कहा कि पिछले साल फरवरी में हुई बैठक के बाद से भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक वैश्विक परिदृश्य अधिक जटिल हो गया है.
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