नई दिल्ली. अमेरिका में डेढ़ माह बाद होने वाले राष्ट्रपति चुनावों पर विदेशी दखल देखी जा रही है. माइक्रोसॉफ्ट ने इस विषय में चेतावनी देते हुए बताया है कि चीन के निशाने पर जो बाइडेन है तो ट्रम्प के चुनाव प्रचार को ईरान ने अपना निशाना बनाया हुआ है जबकि रूस दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को अलग-अलग निशाना बना रहा है.
ग्लोबल नेटवर्किंग का फायदा है ये
चाहे वह माइक्रोसाफ्ट हो या गूगल, इस तरह की वैश्विक कंपनियों को यह विशेष सुविधा प्राप्त है कि विभिन्न संदेह वाली गतिविधियां उनकी नज़र में सबसे पहले आ जाती हैं. इसकी ख़ास और बड़ी वजह इन कंपनियों का ग्लोबल नेटवर्क में सबसे ऊपर रहना है. अब कम्प्यूटर की दुनिया की महारथी कम्पनी माइक्रोसॉफ्ट ने इस बात की जानकारी दी है कि अमेरिकी चुनावों को 'विदेशी हाथ' से बचाने की जरूरत है.
पहले भी मिली हैं ऐसी जानकारियां
यह पहली बार नहीं है कि माइक्रोसॉफ्ट जैसी कम्पनी ने ऐसी संदेहास्पद गतिविधियों की शिकायत की है. इसके पहले भी अमेरिका में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, विदेशी दखल की बातें सामने आ रही हैं. माइक्रोसॉफ्ट से पहले अमेरिका की खुफिया एजेंसियों, फेसबुक और ट्विटर द्वारा भी 'बाहरी हाथ' को लेकर चेतावनी दी गई है.
हैकर्स को किया गया है सक्रिय
गोपनीयता के मामले में सबसे खतरनाक हो सकते हैं हैकर्स. इस वर्ष के अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनावों में ये हैकर्स तीन देशों के द्वारा सक्रिय किये गए है. ख़ुफ़िया एजेंसियों ने बताया है कि चीन, रूस और ईरान के हैकर्स डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी के कैम्पेन स्टाफ, कंसल्टेंट और थिंक टैंक को लक्ष्य करके अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि रूस की मिलिट्री इंटेलीजेंस जीआरयू के हैकर्स सबसे खतरनाक हैं जो कि खास तौर पर इस चुनाव में सक्रिय किये गए हैं.
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