नई दिल्ली: चालबाज चीन की अकड़ ठिकाने लाने के लिए भारत ने पूरा 'रोड'मैप तैयार कर रखा है. जिसपर काम भी चल रहा है. इसी लिए आपको सीमा पर भारत के पराक्रम पथ के एक-एक पहलू से रूबरू होना चाहिए.
सीमा पर 'पराक्रम पथ'
लेह-दरबुक-दौलत बेग ओल्डी सड़क का निर्माण हो रहा है, दौलत बेग ओल्डी तक पहुंचने में सिर्फ 6 घंटे लगेंगे. दौलत बेग ओल्डी रणनीतिक तौर पर अहम है. दौलत बेग ओल्डी को 'ज्वेल ऑफ हाइट्स' कहा जाता है.
मोदी सरकार का फैसला
BRO को सड़कें बनाने की मंजूरी दी. LAC से 100 किमी. दायरे में सड़कें हैं, सड़क निर्माण की बाधाओं को दूर किया और अफसरशाही को खत्म किया. मंजूरी की लंबी प्रक्रियाओं को छोटा किया. 2017 में BRO को मजबूती दी. BRO के DG को कई अधिकार दिए. सीमा पर 66 सड़कें बनने का रास्ता साफ हुआ. DG को 100 करोड़ तक के वित्तीय अधिकार दिए. कई वरिष्ठ अफसरों को बड़े अधिकार दिए.
22 साल पुराने अटल संकल्प का नतीजा
गलवान से भारत का स्वर्णिम काल बेशक अब शुरू हुआ है. लेकिन इस स्वर्णिम विजय पथ की सड़क बनने की शुरुआत अटल सरकार में हुई थी. जब रक्षामंत्री जॉर्ज फर्नांडिस थे. उन्होंने ही चीन से सटे इलाकों में तेज दौरे किए. उनके नेतृत्व में 22 साल पहले अटल सरकार ये समझ गई कि चीन से निपटने के लिए सीमा पर मजबूत सड़कें बनानी होंगी. ये बीजेपी सरकार के 22 साल पुराने अटल संकल्प का नतीजा है कि आज गलवान में भारत आसानी से चीन के गुरूर की गर्दन तोड़ पाया.
रणनीतिक सड़कें बनाने की योजना अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में शुरू हुई थी. तब रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज़ थे, और वो ऐसे नेता थे जो खुलकर कहते थे कि चीन हमारा दुश्मन नंबर वन है. जॉर्ज फर्नांडीज़ 1998 से 2004 तक देश के रक्षा मंत्री थे और रक्षा मंत्री के तौर पर वो खुद करीब 30 बार सियाचिन के दौरे पर गए थे.
कांग्रेस सरकार में क्या हुआ?
नवंबर 2011 में राज्य सभा में रक्षा मंत्री का लिखित जवाब सामने आया था. उस वक्त तत्कालीन रक्षा मंत्री ए के एंटनी का राज्य सभा में जवाब आया और कहा गया कि 73 सड़कों में से 15 तैयार हुई हैं. उन्होंने 39 सड़कें साल 2013 में पूरा करने की बात कही. इसके अलावा 19 सड़कें साल 2016 तक पूरा करने की बात कही थी. हालांकि इस दावे की पोल साल 2018 के CAG रिपोर्ट में खुल गई.
क्या कहती है CAG रिपोर्ट 2018?
आपको बता दें, साल 2018 में आई CAG रिपोर्ट में इस बात की जानकारी मिली कि 61 सड़कें साल 2012 तक बननी थीं. लेकिन साल 2016 तक केवल 22 सड़कें ही बनीं. 22 सड़कों पर 4,536 करोड़ खर्च हुए. पूरे प्रोजेक्ट की लागत 4,622 करोड़ थी. बजट का 98% खर्च हुआ और आधी से कम सड़कें बनीं.
खैर अब आपको सीमा पर भारत आखिर किन-किन जरिये से मजबूत हुआ है आपको एक-एक कर तफसील से समझाते हैं.
सीमा पर मजबूत हुआ भारत: निर्माण बजट
वर्ष 2017-2018: 5,450 करोड़ रुपये
वर्ष 2018-2019: 6,700 करोड़ रुपये
वर्ष 2019-2020: 8,050 करोड़ रुपये
वर्ष 2020-2021: 11,800 करोड़ रुपये
सिर्फ चीन की सरहद ही नहीं, भारत पूरे सरहदी इलाकों में बुनियादा ढांचा मजबूत करने के लिए तेजी से काम कर रहा है. इसके लिए अच्छे-खासे बजट की भी जरूरत है जिसका पूरा ध्यान रखा गया है. 2008 से 2016 के बीच इन सड़कों के निर्माण पर 3300 करोड़ रुपये से लेकर 4600 करोड़ रुपये तक खर्च हुए. लेकिन वित्तीय वर्ष 2017-18 में ये बजट बढ़कर 5 हजार 450 करोड़ रुपये, वित्तीय वर्ष 2018-19 में 6 हजार 700 करोड़, 2019-20 में 8 हजार 50 करोड़ रुपये हो गया और वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए ये बजट 11 हजार 800 करोड़ रुपये है.
सीमा पर मज़बूत हुआ भारत: सड़क की कटिंग-फॉर्मेटिंग
वर्ष 2008 से 2017 तक 230 किलोमीटर
वर्ष 2017 से 2020 तक 470 किलोमीटर
सीमा पर मज़बूत हुआ भारत: सड़क का समतलीकरण
वर्ष 2008 से 2017 तक 170 किलोमीटर सड़क का समतलीकरण
वर्ष 2017 से 2020 तक 380 किलोमीटर सड़क का समतलीकरण
लद्दाख में बन रही सड़कें सिर्फ एक रास्ता नहीं, मोदी सरकार का कर्मपथ है. जिस पर चल कर वो देश की रक्षा का कर्तव्य निभा रही है. इस कर्मपथ पर कहीं सडकें हैं, कहीं सुरंगे तो कहीं पुल और मोदी सरकार के इस कर्मपथ ने चीन को लद्दाख में लॉकडाउन कर दिया तो बेचैन हो उठा है.
सीमा पर मजबूत हुआ भारत: सुरंग निर्माण
वर्ष 2008-2014: 1 सुरंग का निर्माण
वर्ष 2014-2020: 6 सुरंगों का निर्माण
सीमा पर मजबूत हुआ भारत: पुल निर्माण
वर्ष 2008-2014: 7,270 मीटर
वर्ष 2014-2020: 14,450 मीटर
सीमा पर मज़बूत हुआ भारत: सड़क निर्माण
वर्ष 2008-2014: 3,610 किमी.
वर्ष 2014-2020: 4,764 किमी.
साल 2001 में लद्दाख में सड़क निर्माण पर बड़ा फैसला लिया गया था. तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडिस ने इस सड़क को भारत के लिए जरूरी बताया था.
लद्दाख मे दरबुक से दौलत बेग ओल्डी तक 250 KM सड़क का प्लान बनाया गया था. अब लेह ये दौलतबेग ओल्डी तक करीब 323 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है. दौलत बेग ओल्डी में दुनिया की सबसे ऊंचाई पर बना एडवांस लैंडिंग ग्राउंड है.
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चीन-पाकिस्तान पर निगरानी रखने के लिए इस सड़क का निर्माण जरूरी था. साल 2004 से 2014 तक UPA सरकार में सड़क निर्माण की रफ्तार धीमी रही. लेकिन अब भारत ने ये साफ कर दिया है कि वो पीछे नहीं हटने वाला है, हिन्दुस्तान लगातार आगे बढ़ता है और बढ़ता रहेगा. क्योंकि भारत के 'रोड'MAP से चीन की हवा टाइट होनी तय है.
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