मोसाद का वो एजेंट, जो जासूसी करते-करते दुश्मन देश का रक्षा मंत्री बनने वाला था

मोसाद एजेंट एली कोहेन जिसने दुश्मन देश में रहकर सत्ता में गहरी पैठ बनाई और इजराइल को ऐसी खुफिया जानकारी दी कि इजराइल ने 6 दिनों में ही सीरिया, जॉर्डन और मिस्र तीनों को युद्ध में हरा दिया.    

Written by - Animesh Nath | Last Updated : May 19, 2021, 06:49 AM IST
  • सीरिया का रक्षा मंत्री बनने से एक कदम दूर थे एली
  • पकड़े जाने पर एली को बीच चौराहे दी गई थी फांसी
मोसाद का वो एजेंट, जो जासूसी करते-करते दुश्मन देश का रक्षा मंत्री बनने वाला था

नई दिल्ली: इजराइल अपनी सैन्य ताकत के लिए दुनिया भर में जाना जाता है. इजराइल के पास हर जंग को जीतने के लिए एक सबसे बड़ा हथियार है उसकी खुफिया एजेंसी 'मोसाद'.

आज हम आपको मोसाद के एक ऐसे खुफिया एजेंट की कहानी बताने जा रहे हैं. जिसने दुश्मन देश में रहकर सत्ता में गहरी पैठ बनाई और इजराइल को ऐसी खुफिया जानकारी दी कि इजराइल ने 6 दिनों में ही सीरिया, जॉर्डन और मिस्र तीनों को युद्ध में हरा दिया. 

मोसाद के उस एजेंट का नाम था 'एली कोहेन'. जिसने मोसाद का लोहा पूरी दुनिया में मनवाया. एली कोहेन की मौत को आज 56 साल बीत चुके हैं. साल 1965 में 18 मई को उन्हें खुफिया जानकारी साझा करने के जुर्म में सीरिया के दमिश्क शहर में बीच चौराहे पर फांसी पर लटका दिया गया. 

एकाउंटेंट की नौकरी करते थे एली

एली का जन्म 1924 में मिस्र के एलेग्जेंड्रिया में एक यहूदी परिवार में हुआ था. एली के पिता अलेप्पो से आकर यहां बसे थे. साल 1949 में एली के माता-पिता और भाई इजराइल आ गए, लेकिन एली मिस्र में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए रुके.

जब मिस्र में स्वेज संकट आया, तो कई यहूदियों को वहां से बेदखल कर दिया गया, इनमें एली भी शामिल थे. साल 1957 में एली इजराइल में आकर बसे. इससे पहले उन्होंने इजराइल में जासूसी का एक कोर्स भी किया था. इजराइल आने के दो साल बाद उन्होंने नादिया से शादी कर ली. 

उन्होंने इजराइल आने के बाद ट्रांसलेटर और एकाउंटेंट के रूप में काम किया. लेकिन अरबी, अंग्रेजी और फारसी भाषा की बेहतरीन पकड़ के कारण इजराइल के खुफिया विभाग ने एली में दिलचस्पी दिखाई.

एली को 6 महीने की कड़ी ट्रेनिंग दी गई और उन्हें सीरिया भेजने का प्लान शुरू हो गया. ट्रेनिंग के बाद एली के परिवार को बताया गया कि एली को रक्षा मंत्रालय के कुछ काम से विदेश भेजा जा रहा है. 

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एली ने अर्जेंटीना होते हुए तय किया सीरिया की सत्ता का रास्ता

साल 1961 में एली को इजराइल से अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स भेजा गया. यहां रहकर उन्होंने एक सीरियाई मूल के कारोबारी के रूप में अपनी छवि विकसित की. 

एली ने कामिल अमीन थाबेत बनकर अर्जेंटीना में रह रहे सीरियाई समुदाय के लोगों से संपर्क बनाए. अर्जेंटीना में रहते हुए ही एली ने सीरियाई दूतावास में रह रहे सीरिया के कई बड़े अफसरों से दोस्ती करके उनका भरोसा जीत लिया. 

इस दौरान एली ने सीरियाई मिलिट्री अटैच अमीन अल-हफीज का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की. ये वही अल-हफीज थे, जो आगे चलकर सीरिया के राष्ट्रपति बने. 

साल 1963 में सीरिया में सत्ता परिवर्तन हुआ, जिसकी अगुवाई अल-हफीज ही कर रहे थे और इस तरह एली की सीरिया में एंट्री हुई. अर्जेंटीना में रहते हुए ही एली ने अपने सभी सीरियाई दोस्तों के मन में यह बात अच्छे से बैठा दी थी कि वे सीरिया में रहकर व्यापार करना चाहते हैं.

सीरिया में सत्ता बदलते ही अल-हफीज सीरिया के नए राष्ट्रपति बने. इस सरकार में एली अल-हफीज के बेहद करीबी होने की वजह से बेहद अहम भूमिका निभा रहे थे.

एली ने बहुत कम समय में ही अल-हफीज का भरोसा जीत लिया था, इसीलिए अल-हफीज सीरिया से जुड़ी कई खुफिया जानकारी एली से साझा किया करते थे.

एली ने सीरिया में रहते हुए यह सारी जानकारी रेडियो ट्रांसमिशन के जरिए इजराइल पहुंचाना शुरू कर दिया.

खुफिया जानकारी लीक होने के कारण अल-हफीज को सीरिया में नाकामी का सामना करना पड़ रहा था. अल-हफीज ने इस नाकामी से उबरने के लिए जिस आदमी पर भरोसा किया वे थे एली कोहेन.

एली सीरिया के रक्षा मंत्रालय से जुड़ी सारी जानकारी जानते थे और वे यह जानकारी रेडियो ट्रांसमिशन के जरिए इजराइल से साझा करते रहते थे. 

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जब सीरिया का रक्षा मंत्री बनने से एक कदम दूर थे एली

अल-हफीज एली पर इस कदर भरोसा करते थे कि वे उन्हें सीरिया का रक्षा मंत्री का पद सौंपने जा रहे थे. लेकिन कहते हैं न जब किस्मत में मौत लिखी होती है, तो उसे कोई नहीं बदल सकता. 

एली जो कि एक बेहतरीन खुफिया एजेंट थे, लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमजोरी थी कि वे प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते थे. मोसाद में एली को ट्रेनिंग देते समय यह कहा गया था कि उन्हें दिन में एक बार ही रेडियो ट्रांसमिशन के जरिए जानकारी साझा करनी है. लेकिन एली अधिकतर दिन में दो या उससे अधिक बार रेडियो ट्रांसमिशन किया करते थे. 

यह लापरवाही उनकी मौत का कारण बनी और वे रेडियो ट्रांसमिशन के जरिए जानकारी साझा करते हुए रंगे हाथों पकड़े गए. 

अल-हफीज के चीफ ऑफ स्टाफ ने उन्हें पकड़ लिया, क्योंकि उसे पहले से शक था कि कोई अंदर का आदमी ही खुफिया जानकारी इजराइल से साझा कर रहा है.

पकड़े जाने के बाद जो एली के साथ हुआ, उसकी यादें आज भी हर इजराइली के मन में बसी हुई हैं. खुफिया जानकारी साझा करते हुए पकड़े जाने पर एली को सीरिया की राजधानी दमिश्क में फांसी दी गई. एली को सीरिया की जनता के सामने शहर के एक चौराहे पर फांसी पर लटका दिया गया. फांसी दी जाने के दौरान उनके गले में एक बैनर भी डाला गया था, जिसमें लिखा था 'सीरिया में मौजूद अरबी लोगों की ओर से.'

इजराइल ने एली को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय अभियान तक चलाया था, लेकिन अल-हफीज ने अपनी नाकामी के गवाह एली को सबके सामने सबक सिखाने की ठान ली थी. एली को फांसी पर लटकाए जाने के बाद उनका शव भी इजराइल को नहीं सौंपा गया. 

कई सालों बाद साल 2018 में मोसाद ने अपने सबसे बेहतरीन एजेंट की घड़ी को ढूंढ निकाला. इस घड़ी को उनकी पत्नी नादिया को सौंप दिया गया. 

जब एली के मौत के बाद काम आई उनकी खुफिया जानकारी

एली अपनी मौत से पहले सीरिया का रक्षा मंत्री बनने से बस एक कदम दूर थे. उन्होंने जब सीरिया में कई सैन्य ठिकानों का दौरा किया था. 

तब उन्होंने गोलान हाइट्स इलाके में सीरियाई सैनिकों को गर्मी से बचाने के लिए वहां पर यूकेलिप्टस के पेड़ लगाने की सलाह दी थी. 

एली ने इजराइल से यह खुफिया जानकारी भी साझा की थी कि यूकेलिप्टस के पेड़ों के सहारे सीरियाई सैन्य ठिकानों का पता लगाया जा सकता है. 

इस जानकारी के आधार पर ही साल 1967 की मिडल ईस्ट वॉर में इजराइल ने सीरिया के सैन्य ठिकानों को तबाह कर दिया था और उस युद्ध में सीरिया को हार का स्वाद चखना पड़ा था. 
आज भी गोलान हाइट्स का दो तिहाई से ज्यादा हिस्सा इजराइल के कब्जे में है.

अगर आप एली कोहेन को और करीब से जानना चाहते हैं, तो आप नेटफ्लिक्स प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध 'The Spy' वेब सीरीज को देख सकते हैं. इस सीरीज में इस जांबाज एजेंट के जीवन के हर पहलू को बेहतरीन ढंग से दिखाया गया है. 

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