पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से हुआ बाहर, जून 2018 से झेल रहा था प्रतिबंध

पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ‘ग्रे (संदिग्ध)’ लिस्ट से हटा दिया गया है. इस बात के आसार पहले से जताए जा रहे थे. FATF के बयान के मुताबिक, धनशोधन, वित्तीय आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया गया.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 21, 2022, 09:16 PM IST
  • पाकिस्तान को मिली राहत
  • आर्थिक मदद मिल सकेगी
पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट से हुआ बाहर, जून 2018 से झेल रहा था प्रतिबंध

नई दिल्लीः पाकिस्तान को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ‘ग्रे (संदिग्ध)’ लिस्ट से हटा दिया गया है. इस बात के आसार पहले से जताए जा रहे थे. FATF के बयान के मुताबिक, धनशोधन, वित्तीय आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया गया.

FATF ने कहा कि पाकिस्तान ने धन शोधन के खिलाफ प्रयासों को मजबूत किया है. वह आतंकवाद को मिल रहे वित्त पोषण से लड़ रहा है, तकनीकी खामियों को दूर किया गया है. 

2018 में पाकिस्तान पर हुई थी कार्रवाई 
FATF से बाहर होने पर अब पाकिस्तान अपनी संकटपूर्ण वित्तीय स्थिति से निपटने के लिए विदेशी धन प्राप्त करने का प्रयास कर सकता है. FATF ने धन शोधन और आंतकवाद के वित्तपोषण पर रोक लगाने में विफल रहने के बाद पड़ोसी देश को जून 2018 में इस श्रेणी में शामिल किया गया था.

पाक को डाला गया था निगरानी सूची में
FATF ने धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कानूनी, वित्तीय, नियामक, जांच, अभियोजन, न्यायिक और गैर-सरकारी क्षेत्र की कमियों के चलते पाकिस्तान को निगरानी सूची में डाला था. जून तक पाकिस्तान ने ज्यादातर कार्रवाई बिंदुओं को पूरा कर लिया था और केवल कुछ कार्रवाई बिंदु अधूरे रह गये थे. 

इनमें जैश-ए-मोहम्मद (JEM) प्रमुख मसूद अजहर, लश्कर-ए-तैयबा (LET) के संस्थापक हाफिज सईद और जकीउर रहमान लखवी समेत संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता शामिल थी. अजहर, सईद और लखवी भारत में कई आतंकवादी कृत्यों में शामिल होने के लिए अति वांछित आतंकवादी हैं. 

इन आतंकवादी कृत्यों में मुंबई में आतंकी हमला और 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की बस पर हमला शामिल है. 

वित्तीय सहायता पाना हो गया था कठिन
बता दें कि पाकिस्तान के निगरानी सूची में बने रहने से इस्लामाबाद के लिए आईएमएफ, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता पाना कठिन हो गया था. ऐसे में नकदी की कमी से जूझ रहे इस देश में समस्याएं और बढ़ गई थीं.

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