नई दिल्लीः इस वक्त पाकिस्तान के हालात तो दुनिया के सामने है हीं, प्रधानमंत्री इमरान खान के हालात इससे भी अधिक खराब है. एक तरफ तो मुल्क महंगाई से जूझ रहा है. दूसरी ओर देश में विपक्षी दल सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने चहेते सेना प्रमुख जनरल बाजवा के सेवाविस्तार पर अड़ंगा लगा दिया है. इमरान डर रहे हैं कि कश्मीर और सीमा की रणनीति कैसे बनेगी. मतलब उनकी हालत है कि, करें तो करें क्या, बोले तो बोलें क्या? और जाएं तो जाएं कहां. फिलहाल अभी एक ही रास्ता सूझ रहा है उन्हें वह है आपातकाल... इन चारों स्थितियों पर डालते हैं नजर
कमर बाजवा के सेवाविस्तार का विवाद
न्यूज एजेंसी IANS के मुताबिक, 'द न्यूज' व 'जंग' ने अपनी रिपोर्ट में खास सूत्रों के हवाले से कहा है कि सत्ता के शीर्ष पर मौजूद लोग इस बात पर विचार कर रहे हैं कि जनरल बाजवा के मामले में अगर सरकार के विपरीत किसी तरह का फैसला आता है तो इससे देश में पैदा होने वाली किसी भी स्थिति से निपटने के लिए आपातकाल लगाया जा सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सूत्रों ने बताया कि इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है, क्योंकि अधिकांश उच्च अधिकारी इस सुझाव के खिलाफ हैं. उनका कहना है कि इससे हालात और बिगड़ेंगे और इनके पूरी तरह से हाथ से निकल जाने का खतरा पैदा हो जाएगा.
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लेकिन, अभी इसकी आशंका को पूरी तरह से खारिज भी नहीं किया गया है. कोर्ट का कहना है कि कार्यकाल के किसी भी विस्तार पर कोई भी अधिसूचना चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ के वर्तमान कार्यकाल के पूरा होने के बाद ही जारी की जा सकती है, जो 28 नवंबर 2019 को समाप्त हो रही है.
कुछ इसे ठीक मान रहे हैं
रिपोर्ट में कहा गया है कि आपातकाल लगाने का समर्थन करने वाले नेताओं का कहना है कि अतीत में आपातकाल लगाने के अच्छे नतीजे सामने आ चुके हैं. उनका कहना है कि कम समय के लिए आपातकाल को लगाया जाना नुकसानदेह नहीं होगा. इससे संवैधानिक संकट की स्थिति से निपटा जा सकेगा और समाज में किसी तरह की अशांति पर काबू पाकर सौहार्द के साथ लोगों की समस्याओं का समाधान किया जा सकेगा. दरअसल ऐसे लोग पाकिस्तान के हर तरफ से बिगड़े हालात की ओर ध्यान दिला रहे हैं. इस समय बेतहाशा महंगाई के कारण लोगों का गुस्सा चरम पर है और देश में विपक्षी दल इमरान सरकार को सत्ता से हटाने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
ऐसे शुरू हुआ जनरल बाजवा का मामला
28 नवंबर को जनरल बाजपा रिटायर होने वाले हैं. इसे देखते हुए पाक प्रधानमंत्री ने उनका सेवा विस्तार की प्रक्रिया शुरू कर दी. सरकार की ओर से की गई प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (CJP) आसिफ सईद खोसा की अगुवाई वाली 3 सदस्यीय बेंच ने सरकारी अधिसूचना को निलंबित कर दिया. कोर्ट ने सेना प्रमुख सहित सभी पक्षों को नोटिस जारी किया और सुनवाई को स्थगित कर दिया.
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कोर्ट ने चीफ ऑफ आर्मी स्टॉफ के 3 साल के कार्यकाल विस्तार को मंजूरी देने के प्रधानमंत्री के अधिकार पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान के राष्ट्रपति केवल अधिसूचना जारी कर सकते हैं. अगस्त 2019 के दौरान, प्रधानमंत्री इमरान खान ने इसे मंजूरी देते हुए अधिसूचना को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था, जिसे राष्ट्रपति डॉक्टर आरीफ अल्वी ने अपनी सहमति दे दी.
...लेकिन पाक बाजवा का सेवा विस्तार करना ही क्यों चाहता है
29 नवंबर 2016 को पूर्व पाक पीएम नवाज शरीफ ने बाजवा को सेवानिवृत्त जनरल राहिल शरीफ का स्थान दिया था. इस पद पर जनरल बाजवा को रखे जाने की खास वजह है कि कश्मीर मुद्दों के खास तौर पर भारत से लगी नियंत्रण रेखा का बाजवा को लंबा अनुभव है. वह पाकिस्तान सेना मुख्यालय जीएचक्यू में जिस पद आसीन थे उसी पद पर राहील शरीफ भी थे.
इस सीट से पाकिस्तान सेना की सबसे बड़ी विंग 10 कॉपर्स को कंट्रोल किया जाता है. इसकी जिम्मेदारी एलओसी की सुरक्षा है. हालांकि, प्रधानमंत्री इमरान खान जनरल अशफाक परवेज कियानी को एक्सटेंशन दिए जाने की पुरजोर खिलाफत कर चुके हैं. उनका कहना था कि अगर हम किसी को बढ़ावा देते हैं तो हम अपने कानून की खिलाफत करते हैं और उसे कमजोर करते हैं.
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