नई दिल्लीः दुनियाभर में चल रहे इंटरनेट के लिए रूसी पनडुब्बियां खतरा बन रही हैं. ये आशंका खुद ब्रिटेन के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ एडमिरल सर टोनी रेडकिन ने जताई है. उन्होंने चेतावनी दी है कि बीते 20 वर्षों में समुद्र के भीतर रूसी पनडुब्बियों की बढ़ी सक्रियता Sub-Sea cables केबल्स के लिए खतरा हैं.
उन्होंने चेताया है कि पुतिन अपने देश के पनडुब्बी बेड़े में भारी निवेश कर रहे हैं. इनमें ऐसी पनडुब्बियां भी शामिल हैं, जो ऐसी तकनीक से लैस हैं कि वे इन केबल्स को प्रभावित कर सकती हैं.
समुद्र के नीचे बिछी हैं इंटरनेट केबल्स
दरअसल, समुद्र के नीचे Sub-Sea cables बिछी हैं, जो दुनिया के लगभग 97 प्रतिशत हिस्सों को इंटरनेट से जोड़ती हैं. इन्हीं के जरिए पूरी दुनिया में कम्युनिकेशन होता है. आज के डिजिटल युग में अगर इन केबल्स को काट दिया जाता है तो हम न सिर्फ अपने मोबाइल-लैपटॉप में इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे बल्कि पूरी दुनिया में कृषि, हेल्थकेयर, फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन समेत सबकुछ प्रभावित होगा. ये दुनिया को नए तरह के अवसाद में ले जाएगा.
इन्हें लेकर टोनी रेडकिन ने कहा कि अगर रूस ने इन केबल्स को काटा तो इसे युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.
आसानी से कट नहीं पाएंगी ये केबल्स
हालांकि, अच्छी बात यह है कि केबल निर्माता तोड़फोड़ करने वालों के लिए चीजें आसान नहीं बनाते हैं. इन्हें प्राइवेट कंपनियां बनाती हैं और इन्हें समुद्र का सामना करने के लिए इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि ये आसानी से कट न पाएं.
ये केबल्स आमतौर पर व्यास में केवल एक इंच से अधिक होती हैं. ये फाइबर ऑप्टिक्स से युक्त होती हैं. यही नहीं गैल्वेनाइज्ड स्टील वायर आर्मरिंग से घिरी होती हैं और बाहर एक प्लास्टिक कोटिंग होती है. ये 99.999 प्रतिशत तक भरोसेमंद तकनीक से बनाई जाती हैं.
लेकिन, रूसी पनडुब्बियों में लगे हाइड्रोलिक कटर इन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं. वहीं, वैकल्पिक रूप से गोताखोर या रिमोट से संचालित वाहन इन्हें काट सकते हैं. इन केबल्स के लिए Yantar नामक शिप को गंभीर खतरा माना गया है. इस शिप को रूस की नेवी रिसर्च शिप कहती है.
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