`भ्रष्टाचारियों को सक्रिय राजनीति से अलग किया जाए`

इस बार सियासत की बात में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्‍त तिवारी से ज़ी न्यूज उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड/मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। इसमें एनडी तिवारी ने बेबाकी से अपनी राय रखी।

इस बार सियासत की बात में पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्‍त तिवारी से ज़ी न्यूज उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड/मध्यप्रदेश/छत्तीसगढ़ के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। इसमें एनडी तिवारी ने बेबाकी से अपनी राय रखी। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-
वासिंद्र मिश्र : तिवारी जी, ज़ी मीडिया पर आपका स्वागत है। जो विकास का मॉडल आपने सोचा था जिन आर्थिक नीतियों को लेकर आप चले थे, क्या आपको लगता है जो मौजूदा मॉडल है देश का, उस हालात पर खरा उतरा है?
एनडी तिवारी : मैं आपके चैनल का आभारी हूं कि आपने मुझे मौका दिया। आज देश के बारे में जब बात करते हैं, विश्व गलोबल दृष्टिकोण से चल रहा है। इकोनॉमी शेयर मार्केट पर निर्भर है, विकास के जो नए-नए तरीके इजाद हो रहे हैं उसको कौन ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकता है उस पर देश की प्रगति निर्भर है। वैश्विक दृषिकोण में जो जहां सफल है उसकी सफलता का हमें क्या लाभ मिल सकता है, अपनी सफलता बनाने में ये आज एक मुख्य प्रश्न है। अभी आप देखेंगे यहां वालमार्ट बनाया, ये विश्व की टेक्नोलॉजी का तमाम प्रभाव जो उत्पादन पर पड़ा है वो वालमार्ट पर दिखाई दे रहा है। जहां-जहां वालमार्ट बने है वहां पर महंगाई पर नियत्रंण हुआ है क्योकि विदेशों से उसी कीमत पर उनको माल मिलता है, जिस कीमत पर वो अपने देश में है। इसलिए हमने एफडीआई का सहयोग किया कि एफडीआई भारत में आए और मनमोहन सिंह की नीति इस बारे में रही वो देश की हित में है ये स्पष्ट हो गया।
वासिंद्र मिश्र : आपका जो राजनीतिक सफर रहा है वो एक समाजवादी आंदोलन से शुरू हुआ। आपके तमाम समाजवादी नेता एफडीआई का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि एफडीआई को लागू किया तो इससे बेरोजगारी बढ़ेगी और जो कारोबारी है उनका अस्तित्व खतरें में आ जाएगा लेकिन आप बता रहे है कि एफडीआई से महंगाई पर काबू होगा, लेकिन महंगाई पर लगाम लगाना ज्यादा जरूरी है या जो छोटे कारोबारी है उनका बचाना जरूरी है?
एनडी तिवारी: ये प्रचार हो रहा है कि खाली एफडीआई खुलने से या वालमार्ट आने से छोटे रोजगार वालों को नुकसान हो रहा है। हो सकता है जो नहीं जानते हैं कि उनको मालूम होना चाहिए कि जो कुछ वालमार्ट से लेंगे वो उसी रेट पर ले सकते हैं। होलसेल के रूप में जैसे कि वालमार्ट में हो रहा है इससे नुकसान होने का कोई संभावना नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : आजादी के बाद से लेकर जो सबसे सफलतम प्रधानमंत्री माने जाते हैं, इंदिरा जी, पंडित नेहरू, और कुछ दिनों तक आपने राजीव गांधी के साथ काम किया। आपकी नजर में जो नीतियां रही, पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी की, राजीव गांधी की और आज जिन नीतियों पर सरकार चल रही है आपको लग रहा है उन नीतियों का पालन हो रहा है उनमें डायवर्जन नहीं है?
एनडी तिवारी: पंडित जवाहर लाल नेहरू एक दूर दृष्टि वाले नेता थे। महात्मा गांधी जी ने, उनको अपना पॉलिटिकल सक्सेसर बताया था। स्प्रिचुअल सक्सेसर विनोबा भावे को बताया था तो जवाहर लाल नेहरू ने जो किया वो दुनिया के सामने स्पष्ट है। जो उनकी स्पीच रही कि हमारा देश है वो न्यू इरा ऑफ फ्रीडम है। जो उनका भाषण था उसमें नई टेक्नॉलॉजी और दृष्टिकोण था। देखिए प्लानिंग कमीशन का नाम कहीं विधान में नहीं है। फाइनेंस कमीशन का नाम है। लेकिन प्लानिंग कमीशन का कितना महत्व है, ये किसी से छिपा नहीं है। आज हम प्लान के हिसाब से चल रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं?
वासिंद्र मिश्र : आप प्लानिंग कमीशन में भी रहे हैं और जिम्मेदार पद पर रहे हैं। आपने सोवियत यूनियन की भी बात की उसका असर भी दिखाई देता है जबकि संविधान में फाइनेंस कमीशन की बात कही गई प्लानिंग कमीशन की नहीं। आज जो प्लानिंग हो रही है जो नीतियां बन रही हैं आपको नहीं लग रहा है कि कैपिटलिस्ट इकोनॉमी का ज्यादा प्रभाव है। गरीबों का ज्यादा ध्यान नहीं रखा जा रहा है। पूरा का पूरा जो अमीर देश हैं उनकी नीतिया हैं। प्लानिंग कमीशन के जरिए भारत पर जबरदस्ती थोपने की कोशिश हो रही है।
एनडी तिवारी: ये सौ फीसदी गलत है क्योंकि इससे जो गरीब किसान है, नई टेक्नोलॉजी आने के साथ गरीब की संख्या जो बढ़ रही है। उसमें ये देखना है कि बढ़ती आबादी पर नियंत्रण होना चाहिए जो कि बहुत जरूरी है। जिसके लिए गुलाम नबी आजाद के नेतृत्व में फैमिली वेल्फेयर कार्यक्रम चल रहा है। मेरा ख्याल है कि लोग समझ गए हैं कि जो प्रचार हो रहे हैं उसमें भी कहा गया है कि एक या दो बच्चे ही काफी हैं। उनसे ही काम चलाइए। इस तरह के जो विज्ञापन निकलते हैं उससे भी प्रभाव पड़ रहा है।
वासिंद्र मिश्र : आबादी को ताकत के तौर पर इस्तेमाल करके चीन दुनिया का सबसे ताकतवार मुल्क बन कर उभरा है और हमारे यहां आबादी को आभिशाप माना गया है आपकों नहीं लगता है कि इंडिया की जो आबादी है, अगर हम चीन के रास्ते पर चलें तो इंडिया की जो हालत है वो चीन की तरह पेश कर सकते हैं?
एनडी तिवारी : ब्रिक्स नाम का एक संगठन बन चुका है जिसमें दुनिया के बड़े देश है जिसमें उनके आर्थिक सवालों पर बातचीत होती है।
वासिंद्र मिश्र : दुनिया के बाकी मुल्क की तुलना में हमारे देश में जिस तरह से भ्रष्टाचार बढ़ रहा है, चाहे वो आर्थिक भ्रष्टाचार हो, राजनैतिक भ्रष्टाचार हो या प्रशासनिक भ्रष्टाचार। उस भ्रष्टाचार को लेकर जो नीतियां किसी तरह से बन भी जाती है, जनहितकारी, लोकहितकारी। उनका क्रियान्‍वयन उस प्रभावी तरीके से, ईमानदारी के साथ निचले स्‍तर यानी गहराई तक नहीं हो पा रहा है।
एनडी तिवारी: ये जो भ्रष्टाचार की बात है, पहले भ्रष्टाचार की परिभाषा देखनी होगी। अगर भ्रष्टाचार की परिभाषा को देखा जाए तो वो कोई भी बातें जो हो रही है वो भ्रष्टाचार के परिधि में आ जाती है। मैं आप से बातचीत कर रहा हूं, कोई कह सकता है कि मैं अपना प्रचार कर रहा हूं, ये भ्रष्टाचार है। कोई ये कह सकता है कि हम जो बैठे हैं उत्‍तराखंड भवन में तो ये भवन इतना मजबूत अच्छा बना है। ये भी गरीबों की झोपड़ी के मुकाबले में बहुत अच्छा बना है। असल बात ये है कि गरीबी से लड़ाई लड़ना, इसके लिए जरूरी है कि बहुमुखी विकास हो जिसमें खेती का विकास, नए तरीके का विकास, पेयजल से लेकर सिंचाई जल का विकास। आज शारदा सहायक योजना के जरिये शारदा नदी जैसी ही नेपाल से आती है उसका पानी मिर्जापुर से इलाहाबाद तक जाता है। ये सब काम हो रहा है लेकिन अभी बहुत कुछ करना है। क्योंकि जो समय चल रहा है, आबादी बढ़ रही है। जितना हम सोचते हैं, मुझे याद है कि जब बाबू राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति हुए थे तो उन्होंने कंपनी बाग में एक भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि 33 करोड़ भारतीय हैं और 33 करोड़ रुपये ही हमारी इनकम है। टैक्स की नजर से देखा जाए तो एक भारतीय पर एक रुपया आया। तो कहां 33 करोड़ और आज की आबादी देखिए। तो ये सब इतिहास से जो आ रहा है, हर क्षेत्र से हर राज्य को केंद्र की सहायता योजना बनानी चाहिए।
वासिंद्र मिश्र : आपने अपनी पार्टी के निर्देश को दरकिनार किया, संवैधानिक मर्यादा को बचाए रखने की कोशिश की, जब आपके हाथ में सत्ता रहती थी। कैग संवैधानिक संस्था है और कैग ने पिछले चार सालों से जितने तरह के भ्रष्टाचार उजागर किए हैं, उसको देखते हुए ऐसा लगता है कि नेचुरल रिसोर्सेज का बड़े पैमाने पर बंदरबांट हुआ है। चाहे कोलगेट स्कैम हो, टूजी स्कैम हो, कॉमनवेल्थ गेम स्कैम हो। इतने भ्रष्टाचार के बावजूद आपको लगता है कि देश में सब कुछ ठीक चल रहा है। इसमें किसी तरह के सुधार की ज़रूरत नहीं है?
एनडी तिवारी: भ्रष्टाचार की परिभाषा होनी चाहिए। भ्रष्टाचार की तमाम परिभाषाएं हो सकती हैं। व्यक्तिगत भ्रष्टाचार, जिसको सीबीआई के जरिए देखा जाता है। जिसको देखने के लिए इनकम टैक्स भी है। अगर इनकम टैक्स अथॉरिटी ठीक से काम कर रही है, भ्रष्टाचार को रोकने के लिए संवैधानिक व्यवस्थाओं का भी सही काम करना जरूरी है। भारत का संविधान ऐसा है कि दुनिया में इसका सम्मान है। तीन साल तक कॉन्स्टीट्युएंट असेंबली मिलती रही और सारे राज्यों के विद्वानों ने भाग लिया। डॉक्टर अंबेडकर से लेकर कृष्णस्वामी, जवाहर लाल नेहरू, मौलाना आजाद, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण, राममनोहर लोहिया। सब इनके विचारों का समन्वय हमारे संविधान में हुआ है। इस संविधान को हम ठीक ढंग से चलाएं और उसको लागू करें। ये सबसे बड़ी बात है।
वासिंद्र मिश्र : सबसे बड़ी जिम्मेदारी संविधान को ठीक से चलाने की है। संविधान में जो बातें कही गई हैं, उसको ठीक से लागू कराने को सरकार है। जो ज्यूडिशियरी है, उसका जो अधिकार है उसका जनता के हित में एक्सरसाइज करें। ये जिम्मेदारी जो लोग सत्ता में हैं, उनकी ज्यादा है और मुख्य विपक्षी पार्टियों की भी है। आपने अभी व्यक्तिगत भ्रष्टाचार की बात कही, अगर भ्रष्टाचार व्यक्तिगत है, तो गंभीर है। आप नहीं लगता है कि भ्रष्टाचार को इंस्टीट्यूशनलाइज्‍ड कर दिया गया है। आज की तारीख में देश के 4 ऐसे पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जिनके विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति का मुकदमा चल रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग कर रही है। जांच एजेंसियां पॉलिटिकल दबाव में या केंद्र सरकार के दबाव में अपनी ही जांच रिपोर्ट की स्टेटस रिपोर्ट बदलती रहती है। क्या आपको लगता है ऐसे लोग जो सत्ता में हैं, जिनके दबाव में सत्ता चल रही है और सरकार चल रही है। जो मौजूदा तौर तरीका है, उससे देश का भला होने वाला है? क्या भ्रष्टाचार का खात्मा हो सकता है। आप सभी महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं, आपके ऊपर आपके समर्थक और विरोधी आर्थिक भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा पाए। क्या कारण है कि आपके साथी, आपके मित्र जो अलग-अलग राजनीतिक दलों में हैं, जो आपके प्रशंसक भी हैं और आपका आदर भी करते हैं। जो दो बार मुख्यमंत्री रहते हैं, तो 2 हजार करोड़ के आर्थिक भ्रष्टाचार में फंस जाते हैं। क्या कारण है उसी कुर्सी पर आप भी रहे?
एनडी तिवारी: ये तो उनसे पूछने की बात है। सीधी सी बात ये है कि ईमानदार होना। जो भी राजनैतिज्ञ हैं, ब्लॉक स्तर से लेकर, ग्राम स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक जहां-जहां शासन होता है तो उसमें भ्रष्टाचार न हो इसके लिए विरोधी दल होते हैं। जो विरोधी दल आवाज उठाते हैं, वो फौरन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने लगते हैं, प्रेस की आज़ादी का बड़ा लाभ है और टीवी चैनल भी एक बहुत बड़ा माध्यम है। उसके जरिए भी कोई रोक नहीं, किसी प्रकार की। वो खुद सेंसर करती है, बाकी कोई दूसरा सेंसर नहीं कर सकता।
वासिंद्र मिश्र : हम विनम्रतापूर्वक ये जानना चाहते हैं कि जिस तरह से भ्रष्टाचार का इंस्टीट्यूशनलाइजेशन हो रहा है, उसको रोकने के क्या उपाय हैं?
एनडी तिवारी: उसके लिए जितने भी कानून बने हैं, उन्हें ठीक से लागू किया जाए। अब लोकायुक्त है, इसकी वजह से भ्रष्टाचार में कमी आई है। इस पर और ज्यादा सख्ती की जरूरत है। इसमें हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन जी देश के लिए मिसाल हैं। जितने भी शासन करने वाले हैं, वो प्रधानमंत्री के रास्ते पर चलें।
वासिंद्र मिश्र : लेकिन, मनमोहन जी के पास ही कोयला मंत्रालय था। तो इतना बड़ा घोटाला कोयला मंत्रालय में हो गया है। तो, क्या आप इस बात को मानते हैं कि इस तरह के लोग जिनके ऊपर आर्थिक भ्रष्टाचार के आरोप हैं। जिनके विरुद्ध अलग-अलग राज्यों में मुकदमे चल रहे हैं। उनको सक्रिय राजनीति से हट जाना चाहिए?
एनडी तिवारी: आर्थिक भ्रष्टाचारियों को सक्रिय राजनीति से बिल्कुल हटना चाहिए। बल्कि, उनको हटा देना चाहिए। उसके लिए तमाम राजनैतिक दल एक-दूसरे की आलोचना करते हैं संसद में। फ्रीडम ऑफ स्पीच, सूचना का अधिकार अधिनियम लगा हुआ है। हर एक व्यक्ति सूचना मांग सकता है। ये सब अधिकार दुनिया के हर देशों में नहीं है, वो अधिकार यहां दिया हुआ है। मैं समझता हूं कि सारे अधिकारों का प्रयोग ठीक ढंग से हो, तो फिर भ्रष्टाचार जिसकी परिभाषा अभी ढंग से नहीं हो पाई है, वो रुक सकता है।
वासिंद्र मिश्र : राजनीति के स्तर पर भी काफी तेज़ी से गिरावट आ रही है। आप लोगों का जो दौर था, उसमें पंडित नेहरू और फिरोज गांधी दोनों एक दूसरे की आलोचना करते नजर आते थे। संसद के अंदर नीतियों के आधार पर, वैचारिक प्रतिबद्धता के आधार पर, लेकिन आज नई तरह की राजनीति दिखाई दे रही है। स्टिंग ऑपरेशन करके, गलत तरीकों का इस्तेमाल करके, अपने विरोधियों को अगर चित करना है तो उसको गलत तरीके से षड़यंत्र करके, फंसा के। ये जो राजनीति में गिरावट आई है, इसके लिए आप किसको जिम्मेदार मानते हैं?
एनडी तिवारी: मैं ये जानना चाहूंगा उन लोगों से जो ये कहते हैं कि ये भारत तक सीमित है। आज किस देश में है दुनिया में कि जहां पर किसी न किसी प्रकार की कोई आलोचना भ्रष्टाचार की नहीं होती है और वहां इंपीचमेंट तक हुआ है। राष्ट्रपतियों का उनको हटाने के लिए। और ये आज वैश्विक दुनिया ग्लोबल इकॉनॉमी हो गई है और ग्लोबल थिंकिंग हो गई है। सारा रूप ही बदल गया है और वहां दूसरे के शेयर मार्केट अगर गिरते हैं, अमेरिका में डाऊ जोंस या कोई और। या इधर जापान में गिरती है तो इसका असर चीन पर भी पड़ता है। आज चीन कितना बदल गया है, माओत्से तो जो पाजामा पहना करते थे, आज बिल्कुल शूटेड-बूटेड टाई लगाकर बैठते हैं। कितनी खुशी होती है कि वो अब खुलेआम आलोचना भी करते हैं और ऐसा लगता है जैसे आप कहीं इंग्लैंड या यूरोप में बैठे हों। सब टाई लगाकर चीन के लीडर बैठे हैं। मैंने देखा है चीन पहले भी और बाद में भी, तो ये सब बदल रहा है। दुनिया बदल रही है और ये बदलती दुनिया में हम सबको अपने को तैयार रखना है कि जो रोजाना बदलाव हो रहा है, उसमें हम कहां फिट होते हैं।
वासिंद्र मिश्र : पंडित जी, बदलाव अगर बेहतरी के लिए हो तो ठीक है। लेकिन, बदलाव अगर सोवियत रूस की तरह हो। तो क्या उसको उचित मानते हैं? जिस तरह से गोर्वाचोब ने पेरेस्त्रोइका ग्लासनोत के जरिए पूरे सोवियत रूस को ही तहस-नहस कर दिया और आज सोवियत रूस अलग-अलग राज्यों में विभाजित दिखाई दे रहा है। जो दुनिया का एक सुपरपावर था, आज अपनी सत्ता बचाने को मोहताज है दुनिया के सामने। आप इस तरह के बदलाव के पक्षधर हैं या बदलाव बेहतरी के लिए हो इसके पक्षधर हैं?
एनडी तिवारी: देखिए, समय के साथ सियासत में भी लगातार बदलान आते रहे हैं। ये शाऊपिंग के समय में जो पोलित ब्यूरो परिवर्तन हुआ और जिसमें ग्लोसनोस्त और पेरेस्त्रोइका की बात आई और माओत्से तुंग की विचारधारा को बदल दिया। माओ आज महात्मा गांधी की तरह माने जाते हैं, लेकिन उनका नाम लेते हैं। और जो आज सुधार हो गया वो माओवाद के खिलाफ है। ये दुनिया देख रही है।
वासिंद्र मिश्र : यहां भी वही हो रहा है कि गांधी का नाम लेकर तो सरकारें बनती हैं। लेकिन, गांधी का जो जीवन दर्शन था, गांधी की नीतियां जो थीं, वो कहीं भी सरकारी नीतियों में उसका रिफ्लेक्शन नहीं दिखाई देता। भारत के कॉन्टेक्स्ट में आप इस बात को मानते हैं?
एनडी तिवारी: न तो। बिल्कुल नहीं मानता। क्योंकि गांधी जी ने जवाहर लाल नेहरू को अपना पॉलिटिकल सक्सेसर बताया कि ये हमारे राजनीतिक शिष्य हैं और इनको हम मानते हैं भारत का। तो जवाहर लाल नेहरू ने जो किया वो दुनिया के सामने है।

वासिंद्र मिश्र : नहीं, आज की सरकार जो कर रही है उसको आपको लगता है कि जो गांधीयन सोशलिज्म था, जो गांधीयन फिलॉसफी थी, जो गांधी दर्शन था, जो गांधी का ग्राम स्वराज था, वो कहीं दिखाई दे रहा है, मौजूदा सरकार के कामकाज में।
एनडी तिवारी: देखिए। मेरे पहनावे को देखिए। मैं आज भी बिल्कुल खद्दर पहनता हूं।
वासिंद्र मिश्र : मैं आपकी बात नहीं कर रहा हूं।
एनडी तिवारी: नहीं, मैं कह रहा हूं कि लोग अपनी मर्जी से खद्दर पहनें, न पहनें। इसकी आजादी है। ये हर चीज़ की आजादी है। बोलने की भी आजादी है। गाली देने की भी आजादी है। हाउस में अगर कोई गाली देने लगे तो फौरन स्पीकर रूल करेगा कि ये निकाल दिया जाए प्रोसीडिंग से। तो ये तमाम होता है। ये आदर्श हमारे भारत का है कि हम पार्लियामेंट्री डेमोक्रेसी के जरिए संविधान के जरिए हम भारत को चला रहे हैं। ये बड़ी खुशी की बात है। राज्यों में भी हो रहा है यही। जो उत्तराखंड राज्य में, जिसमें बैठे हैं हम और आप। ये राज्यों का बना दफ्तर है, बिल्डिंग है।
वासिंद्र मिश्र : पंडित जी, एक बड़ी खुशी की बात है कि एक अरसे तक अस्वस्थ रहने के बाद आप फिर सक्रिय हैं। हम सबकी शुभकामनाएं हैं आपके साथ। हम लोग चाहते हैं कि आप और पहले की तरह ज्यादा सक्रिय रहें। सक्रिय राजनीति में रहें। आपकी इधर कुछ दिनों की गतिविधियों को लेकर तरह-तरह की राजनीतिक अटकलबाजी शुरू हो गई है। मुलायम सिंह जी लगातार आपके संपर्क में हैं। आपने सोनिया जी से मुलाकात की है। सुना जा रहा है कि आप मनमोहन सिंह से भी मिलने वाले हैं।
एनडी तिवारी: विकास के लिए जहां भी काम करता है, जो भी विकास का काम है, हम उसके साथ हैं। विकास जिससे हो और बढ़े, उसके लिए हमारा जीवन समर्पित है। और विकास में रखा क्या है। विकास हो, अगर हमारी कोई इनकम टैक्स देखता है कि क्या है सच्चाई, देखता है कि हर एक किसी की आमदनी क्या है, क्या नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अभी भी ऑर्डर लगा रखा है। कोर्ट अलग है। लोग ज्युडिशियरी पर भी आरोप लगाते हैं।
वासिंद्र मिश्र : हम ये जानना चाह रहे हैं, हम अपने चैनल के माध्यम से दर्शकों तक ये बात बताना चाहते हैं सीधे आपके माध्यम से कि आपकी भावी रणनीति क्या है? क्या फिर आप पहले की तरह पूर्ण रूप से सक्रिय राजनीति करने जा रहे हैं।
एनडी तिवारी: देखिए, मैं विकास की राजनीति में हूं। और जो अच्छा विकास जहां करेगा उसका समर्थन करूंगा।

वासिंद्र मिश्र : आप कांग्रेस पार्टी के अभी भी सदस्य हैं?
एनडी तिवारी: कांग्रेस पार्टी तो है ही, लेकिन विकास किसी पार्टी का नहीं होता। विकास सारी जनता के लिए होता है। किसी पार्टी द्वारा विकास हो हम उसका समर्थन करते हैं।

वासिंद्र मिश्र : देश की जो मौजूदा सरकार है, उसका कार्यकाल पूरा होने जा रहा है। 2014 में फ्रेश मैन्डेट के लिए जाने वाली है सरकार। कांग्रेस के नेतृत्व में जो साझा सरकार है वो चल रही है। आप विकास के हिमायती है। विकास के लिए आप प्रयासरत हैं। क्या कांग्रेस पार्टी की तरफ से 2014 के लोकसभा के लिए आप पार्टी के हित में आम जनता में जाएंगे कि इस पार्टी को एक बार फिर जनादेश दे जनता ताकि जो विकास का अधूरा काम रह गया है उसको पूरा कर पाए कांग्रेस पार्टी, जिसमें आपने पूरा जीवन लगा दिया?
एनडी तिवारी: देखिए कांग्रेस पार्टी आज की पार्टी नहीं है। सर डेविड ह्यूम ने बनाया इटावा में, जब वो कलेक्टर थे। उन्होंने एक एसोसिएशन बनाया पॉलिटिकल एसोसिएशन। उन्होंने उसका नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस रखा था शुरू में। तब अंग्रेज आईसीएस ने रखा था लेकिन तब से कितना बदल गया। लोकमान्य गंगाधर तिलक और पुराने जो नेता थे डेविड ह्यूम, उनके बाद तमाम कितना परिवर्तन हुआ राजनीति में। देश की, दुनिया की वो हम देख रहे हैं। अमेरिका में क्या था, अमेरिका में जिस तरह आप देखते हैं कि यहां राज्य बने, उतने झंडे में तारे बढ़ते चले गए। तो अमेरिकन कंस्टीट्यूशन अलग है, लेकिन वहां सफलता मिली है। राज्यों के माध्यम से उन्होंने केंद्र को राष्ट्रपति का चुनाव भी आम जनता करती है।
वासिंद्र मिश्र : पंडित जी, मैं विशेष कर आपसे उत्तर चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के लिए आप 2014 के चुनाव में कैंपेन करेंगे या इटावा के ही एक दूसरे नेता हैं जो आपका छोटा भाई अपने को कहते हैं श्री मुलायम सिंह यादव। अगर वो आपसे आग्रह करते हैं तो समाजवादी पार्टी के लिए आप काम करेंगे? दो पार्टियों में आप किसको चुनेंगे?
एनडी तिवारी: ऐसा सवाल न पूछिए मुझसे कि जिसका उत्तर देने में मुझे नहीं कहना पड़े या हां कहना पड़े। मैं तो कार्य को देखूंगा, अगर विकास के लिए कर रहे हैं, जो अच्छा कर रहे हैं, चाहे समाजवादी पार्टी हो, चाहे साम्यवादी पार्टी हो, चाहे वो कोएलेशन हो, तो हम उसके साथ हैं।
वासिंद्र मिश्र : तो ऐसा कैसे हो सकता है कि उत्तर प्रदेश में आप समाजवादी पार्टी के लिए...?
एनडी तिवारी: नहीं-नहीं। उत्तर प्रदेश नहीं, विकास के काम का हमने जिक्र किया हैं।
वासिंद्र मिश्र : अच्छा विकास के ही काम में उत्तर प्रदेश में श्री मुलायम सिंह यादव जी की पार्टी की सरकार चल रही है और देश में मनमोहन सिंह की सरकार चल रही है। और दोनों अगर विकास के काम को कर रहे हैं तो उसमें आप?
एनडी तिवारी: किनकी चल रही है?
वासिंद्र मिश्र – मनमोहन सिंह जी की सरकार।
एनडी तिवारी: कहां ?
वासिंद्र मिश्र : देश में।
एनडी तिवारी: हां देश में मनमोहन सिंह जी की नही चल रही है, कांग्रेस की चल रही है।
वासिंद्र मिश्र : हां कांग्रेस की चल रही है, तो अगर मुलायम सिंह जी की सरकार और कांग्रेस की सरकार दोनों विकास का काम कर रहे हैं तो उसमें आप किसके साथ खड़े रहेंगे?
एनडी तिवारी: आप विकास के लिए पार्टियों को देख रहे हैं। मैं विकास के लिए विकास के काम को देख रहा हूं, कि जो विकास का काम कर रहा है, उसके साथ हूं। जो विकास के काम के साथ है, पार्टी के साथ नहीं।
वासिंद्र मिश्र : पंडित जी, जनादेश के लिए जब भी आप जाएंगे तो आपको बताना पड़ेगा न कि आप जनादेश किस पार्टी के पक्ष में चाहते हैं।
एनडी तिवारी: ये तो जनता तय करेगी। आम जनता देखती है। आज बहुत होशियार हो गई है आम जनता। वो पहचान जाती है कि कौन सही कह रहा है, कौन गलत कह रहा है। कौन खाली प्रचार कर रहा है। आम जनता इतनी होशियार है कि वो सत्य-असत्य के बीच में पहचान कर लेगी। जैसे सत्य को सोने के पात्र में भी छिपाया नहीं जा सकता। ऐसे ही सत्य और असत्य के बीच में जनता असत्य को पहचानती है।

वासिंद्र मिश्र : क्या आपकी सोनिया जी से, जो मुलाकात हुई थी तो आपने इस बात को बताने की कोशिश की। समझाने की कोशिश की। सत्य और असत्य में कितना फर्क है ?
एनडी तिवारी: उनको समझाने की बात मैंने नहीं की। उनसे जो ये वर्तमान स्थिति है। उसके बारे में केवल ये बातें हुईं कि जो उन्होंने मुझसे सवाल पूछे मैंने उनका उत्तर दिया और उनको समाधान करने की कोशिश की और मैंने उनसे कोई ऐसी बात नहीं की कि जिससे कोई किसी प्रकार की किसी को नुकसान पहुंचे। बल्कि कांग्रेस को मजबूत करने के बारे में जरूर जो बातें हुईं सारी पार्टियां कांग्रेस से निकली हैं। तो कांग्रेस मजबूत हो ये हमारे और देश के इंटरेस्ट में है।
वासिंद्र मिश्र : ये जनता को बताने के, जनता को बताना भी मुनासिब समझेंगे। कांग्रेस के हित में कौन सी बाते हैं, ये जनता को बताना मुनासिब समझेंगे?
एनडी तिवारी: अब ये उत्तराखंड भवन है, जो बना है। ये किसी पार्टी का तो है नहीं। उत्तराखंड में सरकार एक साल पहले बीजेपी की थी। आजकल बहुगुणा जी मुख्यमंत्री हैं, तो ये तो चुनाव में होता है। ये तो नीचे ब्लॉक से होता है। अभी निकायों के चुनाव हुए हैं। अभी रिपोर्ट नहीं आई है, कल तक मालूम होगा। ये तो जनता के ऊपर है। इससे बड़ा प्रजातंत्र क्या हो सकता है।
वासिंद्र मिश्र : आप मनमोहन सिंह से मिलकर क्या बात करने वाले हैं। मनमोहन सिंह से भी आपकी मुलाकात होने वाली है?
एनडी तिवारी: अभी नहीं होने वाली है। अभी तो ऐसा कोई एजेंडा नहीं है।
वासिंद्र मिश्र : उनकी तरफ से कोई प्रस्ताव आया है?
एनडी तिवारी: नहीं, ऐसा नहीं है। खाली मैं तो जो साथ काम कर चुका हूं प्लानिंग कमीशन में उनके साथ और खुशी है कि उनके जैसा ईमानदार व्यक्ति आज हमारे देश का प्रधानमंत्री है।
वासिंद्र मिश्र : तो उनके ऊपर जो इस तरह के आर्थिक भ्रष्टाचार, माने जो गवर्नेंस, कमजोर शासन की बात कही जा रही है?
एनडी तिवारी : बिल्कुल गलत कहा जा रहा है।
वासिंद्र मिश्र : आपके मातहत काम करते थे, तब उनका कंडक्ट कैसा था?
एनडी तिवारी: मनमोहन सिंह जी जैसा ईमानदार व्यक्ति और योग्य व्यक्ति, अर्थशास्त्री जो देश का प्रधानमंत्री हो ये खुशी की बात है।
वासिंद्र मिश्र : तो ये थे पंडित नारायण दत्त तिवारी, जिनसे हमने जानने की कोशिश की देश में मौजूदा जो हालात चल रहा है, उसके बारे में। राजनैतिक और आर्थिक भ्रष्टाचार के बारे में। और विकास को लेकर जो अलग-अलग धारणा बनी हुई है, उसके बारे में। पंडित जी आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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