गुजरात जासूसी केस की जांच कर सकता है गृह मंत्रालय
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गुजरात जासूसी केस की जांच कर सकता है गृह मंत्रालय

कांग्रेस सहित कुछ वर्गों में उठ रही मांगों के चलते केन्द्र गुजरात में एक महिला पर कथित रूप से गैर कानूनी ढंग से निगाह रखने एवं फोन टैपिंग के मामले में जांच के आदेश दे सकता है।

नई दिल्ली/मुंबई : कांग्रेस सहित कुछ वर्गों में उठ रही मांगों के चलते केन्द्र गुजरात में एक महिला पर कथित रूप से गैर कानूनी ढंग से निगाह रखने एवं फोन टैपिंग के मामले में जांच के आदेश दे सकता है।
‘‘जासूसी’’ की योजना कथित तौर पर गुजरात पुलिस ने अमित शाह के कहने पर बनायी थी। शाह भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के करीबी सहयोगी हैं। यह फोन टैपिंग नियमों का उल्लंघन है क्योंकि जब महिला राज्य के बाहर गयी तो यह काम केन्द्र की आवश्यक मंजूरी के बिना किया गया।
यह पूछे जाने पर कि क्या राज्य की मशीनरी का दुरूपयोग करने के लिए मोदी पर अभियोजन चलाया जा सकता है, केन्द्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने रविवार को कहा, ‘‘इन सब के बारे में जांच की जायेगी और निर्णय किया जायेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र एवं राज्य के गृह सचिवों को (गैर कानूनी) जासूसी के खिलाफ कार्रवाई के लिए अधिकृत किया गया है।’’
सूत्रों ने बताया कि राज्य गृह सचिव को प्रदेश के भीतर किसी व्यक्ति की फोन टैपिंग का आदेश देने के लिए अधिकृत हैं। लेकिन जब निगरानी विभिन्न राज्यों में की जाती है तो केन्द्रीय गृह सचिव की अनुमति अनिवार्य होती है।
उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि गुजरात पुलिस ने महिला के टेलीफोन को केन्द्रीय गृह सचिव की अनुमति के बिना गुजरात के अलावा उस समय भी टैप किया गया जब वह महाराष्ट्र एवं कनार्टक भी गयी थी।
गुजरात सरकार ने गुजरात उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त एक न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच समिति पहले ही गठित कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि गृह मंत्रालय इस विवादास्पद एवं बहु चर्चित मुद्दे पर इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए आदेश दे सकता है कि कांग्रेस इस बारे में स्वतंत्र जांच करने की मांग कर रही है।
कांग्रेस इस बात पर कायम है कि इस प्रकरण ने गुजरात के मुख्यमंत्री का कानून के प्रति सम्मान तथा बेंगलूर की एक आर्किटेक्ट की निजता में घुसपैठ में लेकर सवाल उत्पन्न कर दिये हैं। इस आर्किटेक्ट का परिवार कच्छ से संबंधित है।
पार्टी ने महिला पर नजर रखने के लिए आतंकवाद निरोधक दस्ते एवं राज्य खुफिया विभाग जैसी राज्य एजेंसियों के इस्तेमाल पर सवाल उठाये थे। (एजेंसी)

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