आधार कार्ड पर सरकार को झटका, पुनर्विचार अर्जी खारिज

जरूरी सेवाओं के लिए आधार नंबर या आधार कार्ड को जरूरी बनाने के कदम पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से निराशा हाथ लगी है।

नई दिल्ली : केन्द्र सरकार रियायती मूल्य पर गैस सिलेन्डर जैसे सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों का लाभ उठाने के लिये आधार कार्ड की अनिवार्यता पर उच्चतम न्यायालय से कोई राहत हासिल करने में असफल रही। न्यायालय ने अपने उसे अंतरिम आदेश में संशोधन करने का केन्द्र सरकार का अनुरोध ठुकरा दिया जिसमें कहा गया था कि आधार के अभाव में किसी व्यक्ति को किसी भी योजना के लाभ से वंचित नहीं किया जायेगा।
अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती और सालिसीटर जनरल मोहन पराशरन सहित सरकार की ओर से प्रमुख वकीलों ने न्यायालय के अंतरिम आदेश में संशोधन के लिये न्यायालय को संतुष्ट करने का प्रयास किया। उनका कहना था कि इस आदेश से देश के 97 जिलों में गैस सब्सीडी और समूची वितरण प्रणाली बुरी तरह प्रभावित होगी और सारा काम ठप हो जायेगा।
न्यायमूर्ति बी एस चौहान और न्यायमूर्ति एस ए बोबडे की खंडपीठ ने कहा कि केन्द्र की अर्जी पर याचिकाकर्ताओं का पक्ष जानने के बाद ही कोई आदेश दिया जायेगा। न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में कहा था कि किसी भी सरकारी सेवा का लाभ उठाने के लिये आधार कार्ड होना अनिवार्य नहीं होगा और किसी भी व्यक्ति को कार्ड के अभाव में इन सुविधाओं से वंचित नहीं किया जायेगा।
न्यायालय भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किये जा रहे आधार कार्ड की कानूनी स्थिति को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर तत्काल विचार के लिये तैयार हो गया है।
न्यायाधीशों ने कहा कि मौजूदा स्थिति दोहरी समस्या है और आधार को चुनौती देने वाले पक्षों को सुने बगैर केाई भी आदेश नहीं दिया जा सकता है। न्यायालय ने इसके साथ ही दशहरा अवकाश के बाद इस मामले की सुनवाई करने का निश्चय किया है। (एजेंसी)

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