अंतरिम बजट 2019: बजट भाषण में इस्तेमाल होने वाले 6 शब्दों का ये है अर्थ
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अंतरिम बजट 2019: बजट भाषण में इस्तेमाल होने वाले 6 शब्दों का ये है अर्थ

अंतरिम बजट पेश होने से 9 दिन पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. अरुण जेटली अस्वस्थ हैं और इलाज के लिए विदेश में हैं.

अंतरिम बजट 2019: बजट भाषण में इस्तेमाल होने वाले 6 शब्दों का ये है अर्थ

नई दिल्लीः अंतरिम बजट पेश होने से 9 दिन पहले रेल मंत्री पीयूष गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया गया. अरुण जेटली अस्वस्थ हैं और इलाज के लिए विदेश में हैं. इससे साफ हो गया है कि इस बार इस बार अंतरिम बजट अरुण जेटली नहीं बल्कि पीयूष गोयल पेश करेंगे. मोदी सरकार की तरफ से 1 फरवरी को अंतरिम बजट पेश किया जाएगा. ऐसे में हम आपको बजट की कुछ शब्दावलियों के बारे में बता रहे हैं जिनका इस्तेमाल बजट भाषण में खूब होता है. इन शब्दावलियों का इस्तेमाल कई संदर्भों में किया जाता है. इससे आप बजट भाषण को आसानी से समझ सकेंगे.

फाइनेंसियल बिल (वित्तीय विधेयक)
बजट एक वित्तीय विधेयक होता है. इसमें नई सरकार की नीतियां, नए कर प्रस्ताव और वर्तमान कर ढांचे में बदलाव के प्रस्ताव शामिल होते हैं. वित्त मंत्री सदन में बजट भाषण पढ़ते हैं और इसे संसद की मंजूरी के लिए सदन में पेश करते हैं. इसमें सबसे अहम बात यह है कि संविधान में वित्तीय विधेयक के लिए कुछ विशेष नियम हैं. इस नियम के मुताबकि वित्तीय विधेयक को संसद की मंजूरी दिलाने में राज्यसभा अड़ंगा नहीं लगा सकती. अगर सरकार के पास ऊपरी सदन में विधेयक को पास कराने के लिए जरूरी संख्याबल नहीं है तो भी उसे कोई दिक्कत नहीं होगी और बजट प्रस्तावों को मंजूरी मिल जाएगी. जबकि अन्य विधेयकों को संसद की मंजूरी के लिए दोनों सदनों की मंजूरी जरूर है.

कैबिटल रिसिप्ट/एक्सपेंडिचर (पूंजीगत आय/व्यय)
किसी भी बजट में कैपिटल रिसिप्ट और एक्सपेंडिचर दोनों चीजें होती हैं. परिसंपत्ति निर्माण या मशीनरी या जमीन के अधिग्रहण के लिए इस्तेमाल धन को पूंजीगत व्यय कहा जाता है. इसके अलावा सरकार को जो धन उधार या परिसंपत्तियों की बिक्री से प्राप्त होता उसे पूंजीगत आय कहते हैं.

पब्लिक अकाउंट
भविष्य निधि और छोटी बजत पब्लिक अकाउंट के तहत आती है. लोग भविष्य के लिए इन खातों में धन जमा करते हैं. यहां यह समझने की जरूरत है कि सरकार इन खातों में मौजूद धन का मालिक नहीं होती लेकिन वह इनका अपने हिसाब से इस्तेमाल करती है. कुल मिलाकर वह इन खातों के मामले में एक बैंकर की तरह काम करती है.

फिसकल डेफ्सिट (वित्तीय घाटा)
एक वित्त वर्ष में सरकार जब अपनी आय से अधिक खर्च करती है तो तब वित्तीय घाटे की स्थिति पैदा होती है. सरकार हमेशा से वित्तीय घाटे को नियंत्रित करने की कोशिश करती है. इसके लिए वह अपने खर्च पर नियंत्रित करती है. वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है. पिछले कुछ सालों से भारत सरकार का वित्तीय घाटा 2.5 फीसदी से 3.5 फीसदी के बीच रहता आ रहा है.

ट्रेजरी बिल
ट्रेजरी बिल या टी-बिल सरकार की प्रतिभूतियां होती हैं जो एक साल के भीतर ही परिपक्व (मैज्योर) होती हैं. सरकार उस वक्त टी-बिल जारी करती है जब खास वित्त वर्ष में खर्च को पूरा करने के लिए सरकार के पास पर्याप्त राजस्व यानी धन नहीं होता.

कंटीजेंसी फंड (आपातकालीन कोष)
सरकार के पास आपात स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन कोष होता है. इस फंड के इस्तेमाल के लिए वित्त मंत्री को संसद से मंजूरी लेनी होती है. यह राष्ट्रपति की ओर से वित्त सचिव के पास पड़ा होता है.

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