भुगतान में देरी से बिजली क्षेत्र में 3 लाख करोड़ का निवेश खतरे में
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भुगतान में देरी से बिजली क्षेत्र में 3 लाख करोड़ का निवेश खतरे में

राज्यों द्वारा महीनों से बिजली का भुगतान नहीं किए जाने की वजह से करीब एक दर्जन बिजली संयंत्रों में तीन लाख करोड़ रुपये का निजी निवेश जोखिम में है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.

भुगतान में देरी से बिजली क्षेत्र में 3 लाख करोड़ का निवेश खतरे में

नई दिल्ली : राज्यों द्वारा महीनों से बिजली का भुगतान नहीं किए जाने की वजह से करीब एक दर्जन बिजली संयंत्रों में तीन लाख करोड़ रुपये का निजी निवेश जोखिम में है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. बिजली मंत्रालय के प्राप्ति पोर्टल के अनुसार जीएमआर और अडाणी समूह की कंपनियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी को दिसंबर, 2018 तक राज्यों की बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) से 41,730 करोड़ रुपये की वसूली करनी थी. अब यह बकाया करीब 60,000 करोड़ रुपये का है. इनमें से आधी राशि बिजली क्षेत्र की स्वतंत्र उत्पादक इकाइयों को वसूलनी है.

उत्तर प्रदेश पर सबसे ज्यादा बकाया
भाजपा शासित उत्तर प्रदेश पर सबसे अधिक 6,497 करोड़ रुपये का बकाया है जबकि महाराष्ट्र पर 6,179 करोड़ रुपये का बकाया है. जो अन्य राज्य समय पर बिजली उत्पादक कंपनियों को भुगतान नहीं कर रहे हैं उनमें तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब शामिल हैं.

भुगतान के लिए औसतन 562 दिन का समय
पोर्टल के अनुसार यूपी को बकाया को चुकाने में 544 दिन लगते हैं जबकि महाराष्ट्र इसके लिए 580 दिन का समय लेता है. देश के सबसे अधिक औद्योगीकृत राज्य मसलन महाराष्ट्र और तमिलनाडु पर कुल का 80 प्रतिशत से अधिक का बकाया है. ये बिजली के सबसे बड़े उपभोक्ता राज्य हैं. शीर्ष 10 राज्य भुगतान के लिए औसतन 562 दिन का समय लेते हैं.

सूत्रों ने कहा कि भुगतान में देरी की वजह से निजी क्षेत्र की बिजली कंपनियों के समक्ष कार्यशील पूंजी का संकट पैदा हो रहा है. सूत्रों ने बताया कि बजाज समूह के स्वामित्व वाली ललितपुट पावर जेनरेशन कंपनी उत्तर प्रदेश की डिस्कॉम पर 2,185 करोड़ रुपये के बकाये की वजह से अपने करीब तीन हजार कर्मचारियों के वेतन का भुगतान नहीं कर पा रही है. यही नहीं कंपनी अपने पास जरूरी कोयले का भंडार भी रखने में विफल है.

दिसंबर, 2018 तक कुल 41,730 करोड़ रुपये के बिजली बकाये में से अडाणी समूह को 7,433.47 करोड़ रुपये और जीएमआर को 1,788.18 करोड़ रुपये की वसूली करनी है. सेम्बकॉर्प को 1,497.07 करोड़ रुपये वसूलने है. सार्वजनिक क्षेत्र की एनटीपीसी को 17,187 करोड़ रुपये का बकाया वसूलना है.

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